हेलो दोस्तों स्वागत है आपका देवभूमि उत्तराखंड के आज के नए लेख में। के माध्यम से हम आप लोगों के साथ विष्णु प्रयाग पौराणिक मान्यताओं ( Beliefs of Vishnu Prayag ) के बारे में जानकारी देने वाले है। आशा करती है कि आपको हमारा यह लोग पसंद आएगा।
विष्णु प्रयाग की पौराणिक मान्यताएं. Mythological Beliefs of Vishnu Prayag
यह स्पष्ट हो जाता है कि विष्णुप्रयाग का नाम भगवान विष्णु के नाम पर रखा गया है विष्णु प्रयाग की मान्यता के भी अनुसार यह भी कहा गया है कि नारद मुनि मैं उसी जगह पर भगवान विष्णु की तपस्या की थी और तपस्या में नारद मुनि ने पंचाक्षरी मंत्र का जाप किया और खुद भगवान विष्णु नारद मुनि को दर्शन देने के लिए इस जगह में नारद मुनि के समक्ष पधारे थे.
पौराणिक कथाओं के अनुसार. यह वह जगह है जहां साधु नारद तप है इसके बाद भगवान विष्णु से पहले उसे दिखाई दीया
विष्णु प्रयाग में भगवान विष्णु का मंदिर भी है जिसके निर्माण का सारा श्रेया इंदौर की महारानी अहिल्याबाई को दिया जाता है सन 1889 में भगवान विष्णु के मंदिर का निर्माण महारानी ने कराया था
विष्णुप्रयाग में दाएं और बाएं और जो पर्वत है जिन्हें भगवान विष्णु के द्वारपालों जय और विजय के रूप में माना गया है इनमें से दाएं पर्वत को जया और बाएं पर्वत को विजय माना गया है विष्णुप्रयाग का इतिहास पौराणिक मान्यताएं एवं आकर्षक स्थान
विष्णुप्रयाग के आकर्षण जगह. Vishnu Prayag Me Ghumne Ki jagah
भगवान विष्णु मंदिर – यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है किंवदंतियों का कहना है कि इस जगह पर भगवान विष्णु ने दिव्या साधु महाराज को आशीर्वाद दिया और मंदिर प्रांगण में प्रवेश करते ही मिलने को शांति और हृदय को आनंद महसूस होता है इस मंदिर के अंदर भगवान विष्णु की प्राचीन मूर्ति भी है
नर्सिंग मंदिर – जोशीमठ की एक महत्वपूर्ण धार्मिक एवं ऐतिहासिक विरासत है श्री नर्सिंग मंदिर भगवान श्री बद्री विशाल की गद्दी शीतकालीन प्रवास में यही विराजमान होती है पुराणों के अनुसार भगवान श्री नरसिंह जी के दर्शन के उपरांत ही श्री बद्रीनाथ जी के दर्शनों की परंपरा है और पौराणिक काल में यह नगरी कार्तिकेय पुर नाम से भी जानी जाती है
हनुमान चट्टी – बद्रीनाथ धाम से कुछ किलोमीटर पहले स्थित है यह मंदिर पौराणिक आख्यान है की हनुमान जी ने इस जगह पर तपस्या की थी क्षेत्र के बाद द्वापर में जब पांडव इस क्षेत्र में विचरण कर रहे थे तो उन्होंने भी हनुमान जी को यही तप करते हुए देखा गया था इस मंदिर के पीछे हनुमान और पांडव पुत्र भीम के बीच की कहानी है आज भी श्री बद्रीनाथ जाने वाले यात्री यहां पर पूजा अर्चना करते हैं
विष्णुप्रयाग में विष्णु कुंड – ब्रहान कुंड, बृंगी कुंड, गणेश कुंड, सूर्य कुंड, ऋषि कुंड, दुर्गाकुंड, धंदरा कुंड, तथा पहलाद कुंड और अलकनंदा धौली गंगा संगम आदि प्रमुख है यदि आप जोशीमठ में ठहरते हैं तो आपको औली रोपवे, हाथी पर्वत, कल्पवृक्ष, गणेश गुफा, भविष्य बद्री, और व्यास गुफा, भीम पुल, भविष्य केदार और तपोवन जोशीमठ आदि जगहों का लुफ्त उठाना चाहिए विष्णुप्रयाग का इतिहास, पौराणिक मान्यताएं एवं आकर्षक जगह
दोस्तों यह था हमारा आजकल एक जिसमें हमने आपको विष्णु प्रिया की पौराणिक मान्यताओं के बारे में जानकारी दी आशा करते हैं कि आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा यदि आपको यह लेख पसंद आया है तो अपने दोस्तों और परिवार के साथ जरूर साझा करें। उत्तराखंड से संबंधित ऐसी ही जानकारी युक्त देख पाने के लिए आप देवभूमि उत्तराखंड को जरूर फॉलो करें।
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