केदारनाथ मंदिर का इतिहास. Kedarnath Temple History

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हेलो दोस्तों स्वागत है आपका देवभूमि उत्तराखंड के आज के नए लेख में। आज के इस लेकर माध्यम से हम आप लोगों को उत्तराखंड का केदारनाथ मंदिर एवं केदारनाथ धाम का इतिहास ( Kedarnath Temple History) के बारे में जानकारी देने वाले हैं। देवभूमि उत्तराखंड प्राचीन काल से ही दिव्य आत्माओं का निवास रही है उन्हें पवित्र एवं धार्मिक स्थलों में से एक है केदारनाथ मंदिर जो कि उत्तराखंड के अलावा पूरे देश विदेश में काफी प्रसिद्ध है आज के इस लेख में हम आपको केदारनाथ मंदिर का इतिहास के बारे में जानकारी देंगे तो इसलिए को अंत तक जरूर पढ़ना।

हिमालय पर्वत की गोद में बसा केदारनाथ मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और पंच केदार के समूह का एक मंदिर माना जाता है। कटवा पत्थरों के विशाल शिलाखंडों को जोड़कर बनाया गया केदारनाथ मंदिर उत्तराखंड का सबसे विशाल शिव मंदिर में से एक है। 80वी शताब्दी में निर्मित केदारनाथ मंदिर 6 फुट पहुंचे चबूतरे पर बना हुआ है।

तीनों दिशाओं से सुंदर से पहाड़ों से गिरा हुआ केदारनाथ मंदिर समुद्र तल से लगभग 22000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। तीन पहाड़ों एवं पांच नदियों के संगम पर स्थित केदारनाथ मंदिर उत्तराखंड के सबसे पवित्र स्थान में से एक माना जाता है आस्था और भक्ति का प्रतीक है मंदिर हर साल लाखों लोगों को आकर्षित करता है।

केदारनाथ मंदिर का निर्माण एवं वास्तुकला. Architecture of Kedarnath Temple

केदारनाथ मंदिर जितना आकर्षित लगता है उतनी ही सुंदर एवं प्राचीन इसकी वास्तुकला है। मंदिर के मुख्य भाग में मंडप जिसे गर्भ ग्रह कहा जाता है बना हुआ है। मंदिर के बाहरी हिस्से में नंदी बैल विराजमान है एवं मंदिर के मध्य भाग में श्री केदार स्वयंभू ज्योतिर्लिंग स्थित है। श्री ज्योतिर्लिंग के चारों दिशाओं में चार बड़े-बड़े स्तंभ विद्यमान है और यह स्तंभ चारों वेदों के आधार माने जाते हैं। जिसके अग्रभाग पर भगवान गणेश जी और मां पार्वती के यंत्र का चित्रण किया गया है।

वास्तु कला से निर्मित चार विशाल का स्तंभों पर मंदिर की छत टिकी हुई है। ज्योतिर्लिंग के पश्चिमी भाग में एक अखंड दीपक विद्यमान है जो की हजारों सालों से मंदिर को प्रकाशित कर रहा है। मान्यता है कि इस अखंड ज्योति का रखरखाव पुरोहितों द्वारा सदियों से किया जा रहा है ताकि यह अखंड ज्योति सदैव मंदिर के भाग में जलता रहे।

400 साल बर्फ के अंदर ददबा था केदारनाथ मंदिर। Kedarnath Temple History

आपको जानकर हैरानी होगी कि 400 साल बर्फ के अंदर दबा हुआ था केदारनाथ मंदिर जिसके बारे में दावा किया जाता है कि वादियां इंस्टीट्यूट आफ हिमालयन जियोलॉजी की रिपोर्ट के अनुसार केदारनाथ मंदिर ने न केवल सन 2013 की बाढ़ की आपदा का सामना किया बल्कि केदारनाथ धाम लगभग 400 वर्षों तक बर्फ के बीच दबा हुआ रहा। इंस्टिट्यूट की रिपोर्ट के अनुसार मान्यता है मंदिर की दीवारों पर पीली रेखाएं अंकित है जो की लगातार ग्लेशियर के पिघलने से मानी जाती है। 13वीं शताब्दी से लेकर 14वीं शताब्दी के बीच हिम युग की शुरुआत हुई थी 13वी भी से लेकर 14वीं शताब्दी के बीच तक केदारनाथ मंदिर बर्फ के भीतर दबा हुआ था।

केदारनाथ मंदिर का इतिहास एवं मान्यताएं. Kedarnath Temple History

केदारनाथ मंदिर भारत के सबसे पवित्र स्थलों में से एक माना जाता है। भगवान शंकर का निवास स्थान केदारनाथ मंदिर हर वर्ष लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। केदारनाथ मंदिर का इतिहास पौराणिक कहानियों ( Kedarnath Temple History) के आधार पर मान्यता है कि भगवान श्री हरि विष्णु के अवतार और महान तपस्वी ऋषि नर और नारायण केदार पर्वत पर भगवान शंकर की तपस्या किया करते थे। उनके कठिन तपस्या से भगवान शिव जी प्रसन्न हुए और उनके सामने प्रकट हुए। स्थान पर भगवान भोलेनाथ प्रकट हुए उसे स्थान पर ज्योतिर्लिंग बनाया गया जिसे आज के समय में केदारनाथ मंदिर के रूप में पहचाना जाता है।

केदारनाथ मंदिर का इतिहास ( Kedarnath Temple History ) से संबंधित दूसरी कथा यह भी है कि कुरुक्षेत्र की लड़ाई के बाद पांडव भगवान शिव जी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए यहां आए थे। कुरुक्षेत्र में पांडवों के द्वारा अपने भाइयों और रिश्तेदारों को मारने का अपराध बोध लग गया। इसके निवारण के लिए पांडव को भगवान शिव जी के दर्शन करना जरूरी था। भगवान भोलेनाथ जी उन्हें दर्शन नहीं देना चाहते थे इसलिए वह उनसे छुपकर विभिन्न जगहों में छुपने लगे।

दोस्तों इस तरह से केदारनाथ मंदिर का इतिहास ( History of Kedarnath Temple) से संबंधित कई प्रकार की कहानी उजागर होकर सामने आती है। आधार पर हम कह सकते हैं कि केदारनाथ मंदिर का इतिहास काफी प्राचीन और रहस्यों से सम्मिलित है।

6 महीने तक नहीं बुझता है केदारनाथ मंदिर का दीपक। Kedarnath Temple beliefs.

भारी भरकम एवं हिमपाल की वजह से जब 6 महीने के लिए मंदिर के पट बंद किए जाते हैं तो मंदिर के पुजारी द्वारा केदार बाबा की मूर्ति को उसकी पेमेंट में स्थानांतरित किया जाता है। पवित्र मंदिर के कपाट बंद किए जाने के समय मंदिर में दीपक प्रज्वलित किया जाता है और आश्चर्य की बात यह है कि यह दीपक 6 महीने तक जलता रहता है। और आश्चर्य की बात यह है कि मंदिर का दीपक 6 महीने तक जलती रहने के साथ-साथ मंदिर की साफ सफाई भी ठीक उसी क्रम में हुई ही रहती है जैसे की मंदिर में पूजा के दौरान रहती है।

दोस्तों यह थी कहानी केदारनाथ मंदिर का इतिहास ( Kedarnath Temple History) के बारे में। है कि आपको केदारनाथ मंदिर का इतिहास के बारे में जानकर अच्छा लगा होगा यदि आपको यह जानकारी अच्छी लगी है तो अपने परिवार हो दोस्तों के साथ जरूर साझा करें । उत्तराखंड से संबंधित ऐसे ही लेख पढ़ने के लिए आप देवभूम में उत्तराखंड को जरूर फॉलो करें अधिक जानकारी के लिए आप हमारे व्हाट्सएप ग्रुप और फेसबुक पेज के साथ भी जुड़ सकते हैं।


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1 thought on “केदारनाथ मंदिर का इतिहास. Kedarnath Temple History”

  1. मैं तो कभी केदारनाथ नही जा पाया पर आपके द्वारा जो जानकारी मिली पढ़कर बहुत अच्छा लगा और आपके द्वारा जो जानकारी दी जा रही वाह कबीले तारीफ है

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