हेलो दोस्तों स्वागत है आपका देवभूमि उत्तराखंड के आज के नए लेख में। आज के इस लेख के माध्यम से हम आप लोगों को उत्तराखंड का प्रसिद्ध मंदिर रुद्रनाथ मंदिर के बारे में जानकारी देने वाले हैं। जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं कि देवभूमि उत्तराखंड प्राचीन काल से ही दिव्य आत्माओं का निवास रही है। यहां के कर्ण कर्ण में देवी देवताओं का वास माना जाता है। उन्हें मंदिरों में से एक है भगवान शिव जी को समर्पित रुद्रनाथ मंदिर ( Rudranath Temple Chamoli) जो की आस्था और भक्ति का प्रतीक माना जाता है। आज के इस लेख में हम आपको रुद्रनाथ मंदिर के बारे में संपूर्ण जानकारी देने वाले हैं आशा करते हैं कि आपको हमारा यह लेख पसंद आएगा। इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ना।
रुद्रनाथ मंदिर चमोली. Rudranath Temple Chamoli
देवभूमि उत्तराखंड में भगवान भोलेनाथ को समर्पित आने को ऐसे मंदिर हैं जो अपने प्राचीन निर्माण शैली एवं दिव्य शक्तियों के लिए पहचानी जाती है। उन्ही मंदिरों में से एक है रुद्रनाथ मंदिर ( Rudranath Temple Chamoli ) जो कि उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है। भगवान शिव जी को समर्पित यह मंदिर भोलेनाथ के पंच केदार समूह में से एक माना जाता है।
पंच केदार में प्रथम केदारनाथ है जिन्हें 12 ज्योतिर्लिंगों के रूप में जाना जाता है। दूसरा केदार मद्महेश्वर है और तीसरा केदार तुंगनाथ मंदिर जाता है इसके अलावा तीसरा पंच केदार रुद्रनाथ मंदिर है और पांचवा केदार कल्पेश्वर है। पांच मंदिरों के समूह को विशेष माना जाता है।
गोपेश्वर के सागर गांव से लगभग 4 किलोमीटर की चढ़ाई चढ़ाई चढ़ने के बाद लगभग समुद्र तल से 2290 मीटर की ऊंचाई पर रुद्रनाथ मंदिर स्थित है ( Rudranath Temple Chamoli) । आस्था और भक्ति का परिपूर्ण इस मंदिर का सफर खूबसूरत से बुग्याल पुंग बुग्याल से शुरु होता है। लगभग आधा सफर तय करने के बाद भक्तगण पित्रधार स्थान पर पहुंचते हैं । के बारे में मान्यता है कि सभी भक्त यहां पर अपने पितरों के नाम पर पत्थर रखते हैं। और यहां से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर ही भगवान भोलेनाथ को समर्पित रुद्रनाथ मंदिर स्थित है।
रुद्रनाथ मंदिर की पौराणिक कथा. Rudranath Temple Mythology
दोस्तों रुद्रनाथ मंदिर की पौराणिक कथा के अनुसार माना जाता है कि महाभारत में विजई होने पर पांडव भरता हत्या के पाप से मुक्ति पाना चाहते थे। और उन्हें मुक्ति केवल भगवान भोलेनाथ के दर्शन से ही मिल सकती थी। लेकिन भगवान शिव जी उन्हें दर्शन नहीं देना चाहते थे क्योंकि पांडवों ने भगवान शिव जी के भक्तों को भी नुकसान पहुंचा था। पांडव भगवान भोलेनाथ के दर्शन करने के लिए उन्हें ढूंढने लगे। लेकिन भगवान शिव जी उन्हें दर्शन नहीं देना चाहते थे इसलिये वह जगह-जगह जाकर छुप जाते थे ( Rudranath Temple Mythology) । पांडवों से बचने के लिए भगवान भोलेनाथ कभी मनुष्यों का रूप धारण करते तो कभी जानवरों का। उनका पीछा करते-करते सभी पांडव केदारनाथ तक पहुंच गए। अंत में जब उन्हें भगवान भोलेनाथ जी नहीं मिले तो कुंती पुत्र भीम ने अपना विशाल रूप धारण किया और सभी जानवरों को अपने पैरों के नीचे से जाने के लिए तैयार किया। भगवान भोलेनाथ वहीं रुक गए और पांडव पहचान गए की यही भगवान शिव जी है । भीम ने उस भैंस को अपने हाथों से छूना चाहा लेकिन भैंस का पिछला भाग पकड़ लिया जबकि उनका अधिकांश भाग धरती में अंतर्धार्य हो गए। और उनका वह रूप नेपाल के काठमांडू में प्रकट हुआ जहां पर आज के समय में प्रसिद्ध पशुपतिनाथ मंदिर बना हुआ है। भोलेनाथ जी पांडवों के दृढ़ संकल्प को देखकर अत्यंत खुश हुए और उन्हें भ्राता हत्या के पाप से मुक्ति प्रदान की। इतने से भगवान भोलेनाथ जी भैंस की पीठ की आकृति पिंड के रूप में केदारनाथ मंदिर में पूजे जाते हैं।
खास माना जाता है रुद्रनाथ ट्रैक. Rudranath trek
दोस्तों देख हमें उत्तराखंड में वैसे तो बहुत से ट्रैक है जहां पर पर्यटक यात्रा के लिए आते हैं लेकिन रुद्रनाथ ट्रैक ( Rudranath trek ) एक ऐसा प्रसिद्ध ट्रैक है जिसका इंतजार सभी पर्यटकों को रुद्रनाथ मंदिर के कपाट खुलने तक लगा रहता है। रुद्रनाथ मंदिर का सफर भी इस खूबसूरत से ट्रैक का हिस्सा है । यह ट्रैक सागर गांव से शुरू होकर या उरूगाम गांव से शुरू किया जाता है।
रुद्रनाथ ट्रैक पर मंदिर की ओर जाते हुए खूबसूरत से बुग्याल और बर्फीले पहाड़ के दर्शन भी होने लगते हैं यदि आप लोग दिसंबर माह के बीच यहां की यात्रा करते हैं तो आप स्नोफॉल का आनंद भी ले सकते हैं। इस खूबसूरत से ट्रैक पर ( Rudranath trek ) आपको ब्रह्म कमल जैसे महत्वपूर्ण फूलों के दर्शन भी होते हैं। रुद्रनाथ मंदिर के पास पहुंचने पर आप देख पाएंगे कि वहीं पर एक सरस्वती कुंड है जो बरसात में बहुत ही खूबसूरत लगता है। कुंड में गर्मियों के समय में पक्षियां स्नान करती हुई मिल जाती है। इस खूबसूरत सी यात्रा को आप अपने कैमरे में कैद करना बिल्कुल भी ना भूले।
रुद्रनाथ मंदिर कैसे पहुंचे. How To Reach Rudranath Temple
दोस्तों यदि आप भी रुद्रनाथ मंदिर के दर्शन करना चाहते हैं तो आपको बताना चाहेंगे कि रुद्रनाथ मंदिर आप बस एवं रेल मार्ग के साथ-साथ वायु मार्ग के द्वारा भी कर सकते हैं।
सड़क मार्ग से रुद्रनाथ मंदिर – रुद्रनाथ मंदिर उत्तराखंड की चमोली जिले में स्थित है पहुंचने के लिए आप ऋषिकेश से सागर गांव जो की 219 किलोमीटर की दूरी पर है तक बस के माध्यम से आ सकते हैं। रुद्रनाथ मंदिर की पैदल यात्रा लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर समाप्त होती है।
रेल मार्ग के द्वारा रुद्रनाथ मंदिर – नाथ मंदिर का नजदीकी रेलवे स्टेशन ऋषिकेश हरिद्वार और देहरादून है जहां से रुद्रनाथ मंदिर के लिए बस और टैक्सियां मिल जाती है। आप इस सुहाने सफर को अपने दोस्तों के साथ भी कर सकते हैं।
हवाई जहाज से रुद्रनाथ मंदिर – दोस्तों हवाई जहाज के माध्यम से भी रुद्रनाथ मंदिर पहुंच सकते हैं। बद्रीनाथ मंदिर का नजदीकी एयरपोर्ट देहरादून जौली ग्रांट एयरपोर्ट है जहां से रुद्रनाथ मंदिर की दूरी 258 किलोमीटर है। गोपेश्वर के लिए बस और टैक्सियां जाती रहती है।
तो यह था हमारा आज का लेख जिसमें हमने आपको उत्तराखंड का प्रसिद्ध मंदिर रुद्रनाथ मंदिर 9 Rudranath Temple Chamoli ) के बारे में जानकारी दी। आशा करते हैं कि आपको रुद्रनाथ मंदिर के बारे में जानकारी मिल गई होगी। आपको यह लेख कैसा लगा हमें टिप्पणी के माध्यम से जरूर बताएं और यदि आपको यह लेख पसंद आया है तो अपने दोस्तों और परिवार के साथ जरूर साझा करें। उत्तराखंड से संबंधित ऐसे ही जानकारी युक्त ले पाने के लिए आप देव भूमि उत्तराखंड को जरूर फॉलो करें।
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