नमस्ते दोस्तों स्वागत है आपका देव भूमि उत्तराखंड के आज के नए लेख में। आज के इस ले के माध्यम से हम आपको उत्तराखंड का प्रसिद्ध कपिलेश्वर महादेव मंदिर के बारे में जानकारी देने वाले हैं।
देवभूमि उत्तराखंड प्राचीन काल से ही दिव्य आत्माओं का निवास स्थान रही है। यहां पर भगवान शिव जी को समर्पित कई ऐसे तीर्थ स्थल है जिनकी कण-कण में भगवान शिव जी का वास है उन्हीं पवित्र स्थलों में से एक है कपिलेश्वर महादेव मंदिर जो कि अपने इतिहास और पौराणिक महत्व के लिए पहचाना जाता है। आज की इसलिए के माध्यम से हम आप लोगों के साथ कपिलेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास एवं कपिलेश्वर महादेव मंदिर की पौराणिक कथा के बारे में जानकारी साझा करने वाले हैं। आशा करते हैं कि आपको हमारे यह लेख जरूर पसंद आएगा।
कपिलेश्वर महादेव मंदिर पिथौरागढ़. Kapileshwar Mahadev Mandir
भगवान भोलेनाथ को समर्पित कपिलेश्वर महादेव मंदिर उत्तराखंड राज्य के पिथौरागढ़ जनपद में स्थित है। प्रसिद्ध मंदिर टकोरा एवं टकारी गांव के ऊपर सोर घाटी में स्थित है। 10 मीटर गहरी गुफा हमें बना हुआ यह मंदिर अपने पौराणिक इतिहास स्थानीय लोगों के अटूट विश्वास के लिए प्रसिद्ध है।
मंदिर में प्रवेश करने के लिए मुख्य मंदिर पहुंचने के लिए लगभग 200 से अधिक सीढ़ियां बनाई गई है। मंदिर अपने प्राचीन भाषा और शिल्प कला का एक जगमगाता उदाहरण है। पुराने लोगों की कौशल को अपने में समेटे कपिलेश्वर महादेव मंदिर पूरे वर्ष भर में हजारों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है।
वैसे तो कपिलेश्वर महादेव मंदिर में हर दिन श्रद्धालु दर्शन के लिए आया करते हैं लेकिन खासतौर पर शिवरात्रि के दिन यहां पर हजारों की संख्या में दर्शनार्थी आया करते हैं। स्थानीय मान्यता है कि जो भी भक्त यहां पर सच्चे मन से कामना करते हैं भगवान भोलेनाथ उनकी मनोकामना जरूर पूर्ण करते हैं।
कपिलेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास. Kapileshwar Mahadev Mandir Ka Itihas
प्यारे पाठको वैसे तो कपिलेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा हुआ है। स्थानीय लोगों की मान्यता के अनुसार इस मंदिर को सैकड़ों वर्षों से देखते आ रहे हैं।
पौराणिक कहानी के आधार पर किवदंती है कि कपिलेश्वर महादेव मंदिर में भगवान विष्णु के अवतार महर्षि कपिल मुनि ने तपस्या की थी। शायद इसी कारण से इस मंदिर का नाम कपिलेश्वर महादेव रखा गया। मंदिर के भीतर एक चट्टान पर शिव सूर्य एवं शिवलिंग की आकृति मौजूद है। मंडी में प्रवेश करने के लिए दर्शनार्थियों को 200 से भी अधिक चिड़ियों को चढ़ना पड़ता है।
कपिलेश्वर मंदिर का निर्माण के विषय में माना जाता है कि भगवान शिव जी को समर्पित इस दिव्य मंदिर का निर्माण आठवीं और दसवीं शताब्दी के आसपास कत्यूरी राजाओं ने किया था। मंदिर में स्थित शिवलिंग प्राकृतिक तरीके से बना हुआ है। इसलिए स्थानीय इलाकों में इस मंदिर के प्रति अटूट विश्वास देखने को मिलता है।
कपिलेश्वर महादेव मंदिर कहानी. Kapileshwar Mahadev Mandir Kahani
दोस्तों पौराणिक कहानी के आधार पर कहा जाता है कि कपिलेश्वर महादेव मंदिर के सामने हैं ही मौन मंदिर भी शामिल है। कपिलेश्वर मंदिर में दो नाग रहते थे और एक समय की बात है जब उन दोनों नागों में शर्त लग जाती है कि कौन एक दूसरे के मंदिर को जल्दी तोड़ता है। इसी शर्त के अनुसार जब मौन कपिलेश्वर मंदिर को तोड़ने जाता है तो अखिलेश्वर मंदिर का नाम मौन के मंदिर को तोड़ने जाते हैं।
कपिलेश्वर महादेव मंदिर के नाग ने मौन के मंदिर को तहस-नहस कर दिया और जब वह और जब मौन कपिलेश्वर महादेव मंदिर को तोड़ने वाले होते हैं तो तुरंत ही कपिलेश्वर मंदिर के नाम आ जाते हैं और उन्हें अपनी जीत के बारे में बताते हैं तो मौन मंदिर के नाम वापस चले जाते हैं। मैंने तो है कि इस मंदिर के सामने बहने वाली नदी के किनारे पत्थरों में आज भी सफेद रंग के निशान है। खूबसूरत पहाड़ियों के मध्य एवं नदी के आकर्षक दृश्यों को प्रस्तुतकर्ता कमलेश्वर महादेव मंदिर एक पर्यटन स्थल के तौर पर भी जाना जाता है।
कपिलेश्वर महादेव मंदिर कैसे पहुंचे. Kapileshwar Mahadev Mandir Kese Pahuchen
कपिलेश्वर महादेव मंदिर पहुंचने के लिए सड़क मार्ग एवं रेल मार्ग के साथ-साथ वायु मार्ग का विकल्प भी उपलब्ध है। लेकिन कपिलेश्वर महादेव मंदिर सड़क मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ होने के कारण बस एवं टैक्सी के द्वारा कपिलेश्वर महादेव मंदिर पहुंचना काफी आसान है।
कपिलेश्वर महादेव मंदिर पिथौरागढ़ से 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से लगभग 180 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। वही कपिलेश्वर महादेव मंदिर देश की राजधानी दिल्ली से लगभग सर 400 किलोमीटर की दूरी पर जहां से बस एवं प्राइवेट टैक्सी के द्वारा आराम से पहुंचा जा सकता है
दोस्तों यह तो हमारा आज का लेख जिसमें हमने आपको कपिलेश्वर महादेव मंदिर के बारे में जानकारी दी। आशा करते हैं कि आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। यदि आपको यह लेख पसंद आया है तो अपने दोस्तों और परिवार के साथ जरूर साझा करें।
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