नमस्ते दोस्तों स्वागत है आपका देव भूमि उत्तराखंड के आज के नए लेख में। आज के इस लेख के माध्यम से हम आप लोगों के साथ उत्तराखंड के बागेश्वर धाम के बारे में (Bageshwar Dham Uttarakhand) जानकारी देने वाले हैं। देवभूमि उत्तराखंड में अनेकों धार्मिक एवं पवित्र स्थल है जो कि अपने इतिहास और सांस्कृतिक विरासत को अपने में समेटे हुए हैं। उन्हीं स्थानों में से एक हैं उत्तराखंड का बागेश्वर धाम जोकि उत्तराखंड के पवित्र स्थलों में से एक हैं। आज हम आप लोगों के साथ बागेश्वर धाम के बारे में जानकारी (Bageshwar Dham Uttarakhand) साझा करने वाले हैं। आशा करते हैं कि आपको हमारा यह लेख जरूर पसंद आएगा इसलिए इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ना।
बागेश्वर धाम उत्तराखंड. Bageshwar Dham Uttarakhand
सरयू नदी के संगम पर स्थित बागेश्वर धाम उत्तराखंड राज्य के बागेश्वर जिले में अवस्थित है। भगवान शिव जी को समर्पित यह धाम उत्तराखंड के पवित्र धामों में से एक है जो कि अपने इतिहास और पौराणिक महत्व के लिए पहचाना जाता है। देवभूमि उत्तराखंड में भगवान शिव जी के अनेकों तीर्थ स्थल है जिनमें से एक बागेश्वर धाम है। इसमें शिव शक्ति की जल लहरीपुरा दिशा को है। प्रसिद्ध बागेश्वर धाम मंदिर में भगवान शिव जी स्वयं मां पार्वती के साथ जल लहरी के मध्य विराजमान हैं। इस मंदिर के समीप ही बानेस्वर मंदिर भी स्थित है।
बागेश्वर धाम मंदिर का पौराणिक कथाओं के अनुसार मार्कंडेय ऋषि की तपोभूमि हुआ करती थी। भगवान शिव जी यहां बाग रूप में निवास करते हैं। मान्यता है कि पहले इस जगह को व्यागेश्वर नाम से जाना जाता था। जिसे 1602 में चंद्रवंशी राजा लक्ष्मीचंद ने बनवाया था।
बागेश्वर धाम मंदिर की पौराणिक कथा. Bageshwar Dham Uttarakhand Kahani
बागेश्वर धाम मंदिर की पौराणिक कथा के अनुसार शिव पुराण के मानस खंड में बागेश्वर को सेवर के गण जगदीश ने बसाया था। इस समय मंदिर काफी छोटा था जिसके बाद चंद्रवंशी राजा लक्ष्मीचंद ने 1602 ईस्वी में भव्य रुप से बनाया।
मान्यता है कि अनादि काल में मुनि वशिष्ठ अपने कठोर बल से ब्रह्मा के कमंडल से निकली मां सरयू को ला रहे थे। परंतु जब वह इस जगह की नजदीक पहुंचे तो ब्रह्मा का पाली के पास मार्कंडेय ऋषि तपस्या में लीन थे। जिसे देख वशिष्ट जी को उनकी तपस्या भंग होने का खतरा सताने लगा।
पौराणिक कथाओं के अनुसार मान्यता है कि महादेव ब्रह्मा कपाली के पास एक गाय पर झपटने का प्रयास किया। गांव के रंभाने की आवाज से मार्कंडेय ऋषि की आंखें खुल गई। जिसके बाद ऋषि बाग को गाय से बचाने के लिए भागे तो गाय ने मां सीता का रूप ले लिया। इसके बाद भगवान शिव जी और माता पार्वती ने मार्कंडेय ऋषि को दर्शन देकर उन्हें इच्छा अनुसार वरदान दिया जिसके बाद सरयू नदी आगे बढ़ सकी।
एक तरह से बागेश्वर धाम मंदिर की पौराणिक कहानी (Bageshwar Dham Uttarakhand) कथाओं में देखने को मिलती है। दोस्तों ऐसा करते हैं कि आपको बागेश्वर धाम के बारे में जानकारी पसंद आई होगी। यदि आपको यह लेख पसंद आया है तो अपने दोस्तों और परिवार के साथ जरूर साझा करें। और आपको यह लेख कैसा लगा हमें कमेंट के माध्यम से जरूर बताएं।
आप भी अपना किमती लेख हम तक पहुंचाना चाहते हैं तो गेस्ट पोस्ट के माध्यम से आप अपनी वाणी को हम तक पहुंचा सकते हैं।
यह भी पढ़ें –