पूर्णागिरी मंदिर उत्तराखंड.Poornagiri Temple

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Purnagiri Devi Temple
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दोस्तों स्वागत है आपका देव भूमि उत्तराखंड के आज के नए लेख में आज हम आप लोगों के साथ पूर्णागिरी मंदिर के बारे में जानकारी देने वाले हैं । जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं कि पूर्णागिरि का मंदिर उत्तराखंड के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक हैं जो कि अपने भव्य मंदिर एवं पौराणिक महत्व के लिए जानी जाती है। हर कोई दर्शनार्थी इस मंदिर के बारे में जाने के लिए उत्सुक है तो चलिए आज हम आपको पूर्णागिरी मंदिर टनकपुर के बारे में जानकारी देते हैं।

पूर्णागिरी मंदिर उत्तराखंड. Poornagiri Temple

मां भगवती को समर्पित पूर्णागिरि का मंदिर उत्तराखंड राज्य राज्य के चंपावत जिले में स्थित एक भव्य एवं ऐतिहासिक मंदिर है जो कि काली नदी के किनारे पर बना हुआ है। यह प्रसिद्ध मंदिर तीन देश चीन, नेपाल और तिब्बत की सीमाओं से घिरा हुआ है। मां भगवती के 108 शक्तिपीठों में से यह मंदिर टनकपुर से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित अन्नपूर्णा चोटी के शिखर में 3000 फिट की ऊंचाई पर स्थित है।

आस्था एवं भक्ति का प्रसिद्ध है यह भव्य मंदिर अपनी ऐतिहासिक पहलुओं को संजोया हुआ है। हर साल हजारों दर्शनार्थी मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं और मां भगवती से आशीर्वाद प्राप्त करके मां के समक्ष अपनी इच्छा प्रकट करते हैं। स्थानीय मान्यता है कि जो भी भक्त यहां सच्चे मन से कामना करते हैं उनकी मनोकामना जरूर पूर्ण होती है।

पूर्णागिरी मंदिर निर्माण कथा के अनुसार.Poornagiri Temple

किवदंती है कि जहां देवी के अंग गिरे वही स्थान शक्तिपीठ के रूप में प्रसिद्ध हो गए। माना जाता है कि इस प्रकार से माता के कुल 108 शक्तिपीठ है और जहां पर माता सती का नाभि अंग गिरा वह चंपावत का पूर्ण गिरी पर्वत था। इसलिए यहां पर माता का भव्य मंदिर बनाया गया।

इसलिए इस मंदिर को मां भगवती के 108 सिद्ध गीतों में से एक माना जाता है जोकि पवित्र होने के साथ-साथ ऐतिहासिक एवं पौराणिक महत्व को संजोया हुवा है।

पूर्णागिरी मंदिर पौराणिक मान्यता. Poornagiri Temple Pouranik Manyta

दोस्तों जिस तरह से पूर्णागिरी मंदिर आस्था और भक्ति से ओतप्रोत है ठीक इसी तरह से इसका पौराणिक महत्व अपने आप में विशेष मान्यता रखता है। पूर्णागिरी मंदिर के सिद्ध बाबा के बारे में कहा जाता है कि एक साधु ने व्यर्थ रूप से मां पूर्णागिरि के सबसे ऊंचे पर्वत पर पहुंचने की कोशिश की। तो मां ने क्रोध में आकर उस साधु को नदी के पार फेंक दिया। लेकिन मान्यताओं के आधार पर माना जाता है कि मां ने दयालुता की भाव में आकर सिद्ध बाबा के नाम से विख्यात होने का आशीर्वाद प्रदान किया। और कहा कि जो व्यक्ति मेरे दर्शन के लिए आएगा वह जरूर तुम्हारे दर्शन भी करेंगे। इस तरह से पूर्णागिरि का मंदिर अपने पौराणिक महत्व के लिए भी जाना जाता है।

पूर्णागिरी धाम के झूठे मंदिर की कथा. Poornagiri Temple History

पौराणिक मान्यताओं के आधार पर माना जाता है कि जो भी भक्त मां पूर्णागिरि के मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं उनकी मनोकामना जरूर पूर्ण होती है। एक समय की बात है । एक सेट संतान विहीन थे। मां पूर्णागिरि ने उनके सपने में कहा कि मेरे दर्शन के बाद तुम्हें पुत्र की प्राप्ति होगी। सेठ माता के दर्शन के लिए मंदिर में गए और उन्होंने माता से मन्नत मांगी कि यदि उन्हें पुत्र की प्राप्ति होती है तो वह सोने का मंदिर बनाएंगे। मां पूर्णागिरि के आशीर्वाद से सेठ का पुत्र हो गया और उनका मनोकामना पूर्ण हो गई। इसके बाद सेठ की मंदिर बनाने की बारी आती है लेकिन वह लालच में आ जाते हैं और वह तांबे के मंदिर में सोने की पॉलिश करवा कर मां पूर्णागिरि को चढ़ाने चले जाते हैं। बताया जाता है कि तुन्यास नामक स्थान पर पहुंचने के बाद वह मंदिर को आगे नहीं ले जा सके और वह मंदिर वही जम गई। जो कि आज के समय में झूठे मंदिर के नाम से विख्यात है। स्थानीय लोगों द्वारा बच्चों के मुंडन संस्कार इसी मंदिर में किए जाते हैं।

वैसे तो पूर्णागिरी मंदिर में हर साल हजारों की संख्या में दर्शनार्थी आते रहते हैं लेकिन खासतौर पर चैत्र माह में पूर्णागिरि मेला आयोजन होने के कारण यहां पर लाखों की संख्या में दर्शनार्थी आया करते हैं। चैत्र माह से यह पूर्णागिरि का मेला शुरू होता है और लगभग 90 दिनों तक चलता है।

पूर्णागिरी मंदिर कैसे पहुंचे. Poornagiri Temple Kese Pauchen

पूर्णागिरी मंदिर उत्तराखंड के चंपावत जिले में स्थित है। मंदिर सड़क मार्ग से जुड़े होने के कारण यहां सड़क मार्ग के माध्यम से आसानी से पहुंचा जा सकता है साथ ही वायु मार्ग एवं रेल मार्ग के माध्यम से भी पूर्णागिरी मंदिर के दर्शन किए जा सकते हैं।

सड़क मार्ग द्वारा

मां पूर्णागिरि का मंदिर अन्नपूर्णा में पर्वत पर स्थित है जो की समुद्र तल से 3000 मीटर की ऊंचाई पर बना हुआ है। मां पूर्णागिरि का मंदिर चंपावत से लगभग 90 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और टनकपुर से यह मात्र 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

रेल मार्ग द्वारा

मां पूर्णागिरी मंदिर का नजदीकी रेलवे स्टेशन टनकपुर है टनकपुर से पूर्णागिरी मंदिर की दूरी मात्र 20 किलोमीटर है यहां से प्राइवेट टैक्सी एवं बस के माध्यम से आसानी से पहुंचा जा सकता है। दिल्ली जैसे महानगर से पूर्णागिरि जनशताब्दी एक्सप्रेस नामक ट्रेन शुरू की गई है।

हवाई मार्ग द्वारा

पूर्णागिरी मंदिर का नजदीकी एयरपोर्ट पंतनगर है। पंतनगर से पूर्णागिरी मंदिर की दूरी 160 किलोमीटर है जहां से आपको बस एवं किराए की गाड़ी भी मिल जाएगी।

मां पूर्णागिरी मंदिर से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

Q-पूर्णागिरि का मंदिर कहां पर है
Ans – देवी भगवती को समर्पित मां पूर्णागिरि का मंदिर उत्तराखंड राज्य के चंपावत जिले में टनकपुर नामक स्थान से 20 किलोमीटर की दूरी पर अन्नपूर्णा पर्वत पर स्थित है। आस्था एवं भक्ति का प्रतीक यह मंदिर अपने पौराणिक इतिहास को संजोया हुआ है।
Q -पूर्णागिरी मंदिर का इतिहास
Ans – किवदंती है कि जहां देवी के अंग गिरे वही स्थान शक्तिपीठ के रूप में प्रसिद्ध हो गए। माना जाता है कि इस प्रकार से माता के कुल 108 शक्तिपीठ है और जहां पर माता सती का नाभि अंग गिरा वह चंपावत का पूर्ण गिरी पर्वत था। इसलिए यहां पर माता का भव्य मंदिर बनाया गया।
Q -पूर्णागिरी मंदिर दूरी
Ans – मां पूर्णागिरि का मंदिर टनकपुर से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है एवं इसका नजदीकी एयरपोर्ट पंतनगर है जहां से मां पूर्णागिरी मंदिर की दूरी मात्र 160 किलोमीटर है उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित है।
Q – पूर्णागिरी मंदिर की फोटो
Ans –
Q -पूर्णागिरि से नैनीताल की दूरी
Ans – आस्था एवं भक्ति का प्रतीक मां पूर्णागिरि का मंदिर नैनीताल से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है जहां से प्राइवेट टैक्सी एवं बस सेवा आसानी से उपलब्ध हो जाती है। आप चाहे तो टनकपुर तक बस के माध्यम से भी पहुंच सकते हैं।
Q -टनकपुर से पूर्णागिरी मंदिर की दूरी
Ans -टनकपुर से मां पूर्णागिरि मंदिर की दूरी मात्र 20 किलोमीटर की है। मंदिर अन्नपूर्णा नामक शिखर पर स्थित है जहां के लिए टनकपुर से टैक्सी आसानी से मिल जाती है।

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