मुक्तेश्वर मंदिर उत्तराखंड. Mukteswar Mandir

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नमस्ते दोस्तों स्वागत है आपका देवभूमि उत्तराखंड के आज की नई लेख में। आज के इस लेख के माध्यम से हम आपको उत्तराखंड के प्रसिद्ध मंदिर मुक्तेश्वर मंदिर के बारे में (Mukteswar Mandir )जानकारी देने वाले हैं। मंदिर के बारे में एवं उसकी पौराणिक इतिहास के बारे में जाने के लिए इसलिए को अंत तक जरूर पढ़ना। आशा करते हैं कि आपको हमारा यह लेख जरूर पसंद आएगा।

मुक्तेश्वर मंदिर उत्तराखंड. Mukteswar Mandir

मुक्तेश्वर मंदिर उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है जोकि सुंदर से पहाड़ों के बीच में बसा हुआ है। आस्था एवं भक्ति भावना से ओतप्रोत यह मंदिर ऐतिहासिक एवं पौराणिक महत्व को संजोया हुआ है। मान्यता है कि जो भी भक्त यहां पर सच्चे दिल से कामना करते हैं उनकी मनोकामना जरूर पूर्ण होती है।

मुक्तेश्वर मंदिर सुंदर से पहाड़ों के बीच में स्थित समुद्र तल से 2315 मीटर की ऊंचाई पर बना हुआ है। प्राकृतिक सौंदर्य एवं नंदा देवी पर्वत के खूबसूरत मनमोहक हास्य यहां से देखे जा सकते हैं। जोकि भक्तों के आगमन का मुख्य कारण है। प्रसिद्धमुक्तेश्वर मंदिर मुक्तेश्वर धाम के नाम से भी जाना जाता है।

यह प्रसिद्ध मंदिर भगवान शिव जी के प्रसिद्ध देवालय में से एक है । पुराणों में इस मंदिर के बारे में बताया गया है कि यहां शालीनता के रूप में भगवान शिव के 18 मंदिरों में से एक है। जोकि नैनीताल से महज 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। मंदिर का इतिहास एवं पौराणिक मान्यता वास्तव में इस मंदिर को बहुत खास बनाती है ।

जैसे ही आप लोग सड़क से मंदिर की ओर बढ़ते हैं तो मंदिर में प्रवेश के लिए 100 से भी अधिक सीढ़ियां चढ़ने पड़ती है फिर चढ़ने के बाद जब प्रांगण दिखाई देता है। मंदिर में प्रवेश करते ही हम देख पाएंगे कि भगवान शिव जी की एक अनुपम प्रतिमा के साथ भगवान विष्णु एवं मां पार्वती के साथ हनुमान जी की प्रतिमाएं भी विद्यमान है। मंदिर के आसपास विभिन्न प्रकार के सदाबहार पेड़ पौधे हैं जिनकी छाया में श्रद्धालु विश्राम किया करते हैं।

मुक्तेश्वर मंदिर का इतिहास.Mukteswar Mandir ka itihas

मुक्तेश्वर धाम मंदिर का इतिहास प्राचीन है। मंदिर के निर्माण विषय में आज भी किवदंती है कि लगभग मंदिर का निर्माण 350 वर्ष पहले हुआ था। ‌ वास्तव में इस मंदिर की निर्माण कला एवं निर्माण शैली से ज्ञात होता है कि यह मंदिर कई युगों पुरानी है। मुक्तेश्वर मंदिर की इतिहास के बारे में (Mukteswar Mandir ka itihas)किंवदंती है कि भगवान शिव जी इस स्थान पर तपस्या में लीन रहा करते थे। मंदिर निकट स्थित चौली की जाली के बारे में बताया जाता है कि शिवरात्रि के दिन संतान सुख की कामना के साथ कोई भी महिला पत्थर पर बने उस छेद को पार कर दी है तो उन्हें संतान सुख की प्राप्ति अवश्य होती है। मंदिर की मान्यता एवं आस्था की सत्यता के बारे में लोगों का कहना है कि वाकई में भगवान शिव जी भक्तों की मनोकामना जरूर पूर्ण करते हैं। शायद इसीलिए यहां पर शिवरात्रि के दिन हजारों लोगों की भीड़ एकत्रित होती है।

मुक्तेश्वर मंदिर कैसे पहुंचे. Mukteswar mandir Kese Pahuchen

मुक्तेश्वर मंदिर पहुंचने के लिए सड़क मार्ग के साथ-साथ रेल मार्ग एवं वायु मार्ग का विकल्प भी उपलब्ध है आप चाहे तो किसी भी माध्यम से मुक्तेश्वर धाम मंदिर तक पहुंच सकते हैं।

सड़क मार्ग से मुक्तेश्वर मंदिर – मुक्तेश्वर मंदिर सड़क मार्ग से पूरी तरह से जुड़ा हुआ है । जिसके कारण सभी लोग यहां आराम से पहुंच सकते हैं। यह दिल्ली से 350 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। देश की राजधानी देहरादून से मात्र 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है आप बस के माध्यम से आराम से यहां तक पहुंच सकते हैं।

रेल मार्ग से मुक्तेश्वर मंदिर – मुक्तेश्वर का नजदीकी रेलवे स्टेशन काठगोदाम हैं। काठगोदाम से मुक्तेश्वर की दूरी मात्र 70 से 75 किलोमीटर है। जहां के लिए आप किराए की टैक्सी यहां बस के माध्यम से भी आ सकते हैं।

मुक्तेश्वर मंदिर हवाई मार्ग द्वारा- मुक्तेश्वर हवाई मार्ग द्वारा भी पहुंचा जा सकता है। मुकेश का नजदीकी हवाई अड्डा पंतनगर है। जहां से मुक्तेश्वर की दूरी लगभग 100 किलोमीटर है। यहां से मुक्तेश्वर के लिए गाड़ियां चलती रहती है। आप चाहे तो बस एवं किराए की टैक्सी लेकर भी मुक्तेश्वर धाम मंदिर में पहुंच सकते हैं।

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