हेलो दोस्तों स्वागत है आपका देव भूमि उत्तराखंड के आज के नए लेख में। आज के इस लेख के माध्यम से हम आप लोगों के साथ द्रोणागिरी पर्वत के बारे में जानकारी साझा करने वाले हैं। जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं कि देवभूमि उत्तराखंड को प्राचीन काल से ही पवित्र एवं दिव्य आत्माओं का निवास स्थान माना जाता है। इन पवित्र स्थानों में उलझे आज भी कुछ ऐसे रहस्य हैं । जिनके बारे में जानने के लिए पूरी देश और दुनिया के लोग बेताब है। उन्हीं पवित्र स्थलों में से एक है द्रोणागिरी पर्वत। देवभूमि उत्तराखंड के आज के इस लेख में हम आपको द्रोणागिरी पर्वत के बारे में संपूर्ण जानकारी देने वाले हैं। आशा करते हैं कि आपको हमारा यह लेख जरूर पसंद आएगा। इसलिए इसलिए कि को अंत तक जरूर पढ़ना।
द्रोणागिरी पर्वत कहां स्थित है. Dronagiri Parwat Kaha Isthit Hai
भारत के पर्वतीय राज्य उत्तराखंड के जोशीमठ के पास स्थित द्रोणागिरी पर्वत एक ऐतिहासिक स्थल है जोकि पूरे वर्ष भर में हजारों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। अक्सर हमारे पाठकों द्वारा यह भी पूछा गया है कि द्रोणागिरी पर्वत कहां स्थित है। आशा करते हैं कि उन्हें जानकारी प्राप्त हो गई होगी।
द्रोणागिरी पर्वत और द्रोणागिरी गांव उत्तराखंड के इतिहास में राजस्थान रखते हैं। द्रोणागिरी गांव लगभग समुद्र तल से 3600 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। द्रोणागिरी पर्वत का रहस्य रामायण काल से जुड़ा हुआ है। इसलिए इन दोनों स्थानों को उत्तराखंड के लोगों द्वारा खास महत्व दिया जाता है।
द्रोणागिरी पर्वत के बारे में. Dronagiri Parwat Ke Baren Me
प्यारे पाठको द्रोणागिरी पर्वत उत्तराखंड के उन पर्वतों में से एक हैं जिसमें हजारों प्रकार के तमाम जड़ी बूटियों पाई जाती है जिनका उल्लेख रामायण में भी देखने को मिलता है।
द्रोणागिरी पर्वत द्रोणागिरी गांव वालों का पवित्र स्थल माना जाता था वह लोग द्रोणागिरी पर्वत आस्था और भक्ति भावना के साथ पूजा किया करते थे। क्योंकि द्रोणागिरी पर्वत ने गांव वालों को हजारों प्रकार की आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां प्रदान की थी जोकि वे इलाज बीमारियों की दवाई का काम करते थे।
रामायण में जब भगवान लक्ष्मण जी मूर्छित अवस्था में होते हैं तो भगवान राम के द्वारा भगवान हनुमान जी को उनके उपचार के लिए जड़ी-बूटी के लिए भेजा जाता है। भगवान लक्ष्मण जी मूर्छित अवस्था में थे तो उनका ठीक हो ना केवल संजीवनी बूटी के द्वारा ही था इसलिए भगवान हनुमान जी संजीवनी बूटी की तलाश करते करते हैं द्रोणागिरी पर्वत पर पहुंचे। जहां उन्हें संजीवनी बूटी मिल जाती है लेकिन उन्हें संजीवनी बूटी की पहचान नहीं होती है इसलिए वह संजीवनी बूटी को ले जाने के बजाय पूरे द्रोणागिरी पर्वत को ही उठाकर ले जाते हैं।
इसलिए रामायण में उल्लेखित द्रोणागिरी पर्वत को विशेष महत्व दिया गया है। और उत्तराखंड के इतिहास में द्रोणागिरी पर्वत का विशेष स्थान है। आज के समय में भी यहां के द्रोणागिरी पर्वत को विशेष स्थान देते हैं।
द्रोणागिरी गांव में आज भी नहीं होती है हनुमान जी की पूजा
दोस्तों क्या आप जानते हैं कि द्रोणागिरी पर्वत के समीप स्थित द्रोणागिरी गांव में क्यों हनुमान जी की पूजा नहीं होती है। जैसा कि हम आपको ऊपर बता चुके हैं कि भगवान हनुमान जी संजीवनी बूटी की तलाश करते करते द्रोणागिरी पर्वत में पहुंचते हैं और संजीवनी बूटी की पहचान ना होने के कारण वह पूरे द्रोणागिरी पर्वत को ही भगवान राम जी के पास ले जाते हैं।
लेकिन द्रोणागिरी गांव के लोग द्रोणागिरी पर्वत को पवित्र मानते थे और वह उसकी पूजा किया करते थे। इसलिए जब हनुमान जी ने यह पर्वत उठाया तो गांव वाले काफी नाराज हो गए और उनकी नाराजगी इतनी ज्यादा थी कि आज के समय में भी उत्तराखंड के द्रोणागिरी गांव में के लोग हनुमान जी की पूजा नहीं करते हैं। शायद यह उन लोगों का द्रोणागिरी पर्वत के प्रति लगाव और भक्ति का प्रतीक हो।
प्यारे दोस्तों आशा करते हैं कि आपको द्रोणागिरी पर्वत के बारे में जानकारी मिल गई होगी। आशा करते हैं कि आपको हमारा यह नहीं पसंद आया होगा। यदि आपको यह जानकारी पसंद आई है तो अपने दोस्तों और परिवार के साथ जरूर साझा करें।
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द्रोणागिरी पर्वत F&Q
Q – हनुमान जी संजीवनी बूटी कहां से लाए।
Q – संजीवनी बूटी पार्वत कहां पर है।
Q – संजीवनी बूटी पार्वत कहां पर है।
Q – द्रोणागिरी पर्वत कहां स्थित है
Q – रात में चमकने वाली जड़ी बूटी
Q – द्रोणागिरी पर्वत किस राज्य में है।
Q – द्रोणागिरी पर्वत का रहस्य
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