हेलो दोस्तों स्वागत है आपका देव भूमि उत्तराखंड के आज के नए लेख में। आज के इस लेख के माध्यम से हम आप लोगों के साथ कसार देवी मंदिर के बारे में जानकारी साझा करने वाले हैं। देवभूमि उत्तराखंड प्राचीन काल से ही दिव्य आत्माओं का निवास स्थान रही है। जिसके कारण यहां पर विभिन्न प्रकार के पवित्र स्थल एवं धार्मिक स्थल स्थित है। जिनके प्रति न केवल स्थानीय लोगों का बल्कि पूरे देशवासियों का अटूट विश्वास होता है। उन्हीं पवित्र स्थलों में से एक है मां कसार देवी मंदिर जोकि अपने इतिहास एवं पौराणिक महत्व के लिए पूरे देश भर में मशहूर है। आज के इस लेख के माध्यम से हम आप लोगों के साथ कसार देवी मंदिर एवं कसार देवी मंदिर का इतिहास और पौराणिक महत्व के बारे में जानकारी साझा करने वाले हैं आशा करते हैं दोस्तों की आपको हमारा यह लेख जरूर पसंद आएगा इसलिए इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ना।
कसार देवी मंदिर के बारे में. Kasaar Devi Mandir Uttarakhand
कसार देवी का मंदिर उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में स्थित एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है जोकि यहां की स्थानीय देवी कसार देवी को समर्पित है। यह मंदिर अल्मोड़ा से लगभग 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कश्यप पर्वत पर स्थित है।
कसार देवी मंदिर के बारे में किवदंती है कि 1890 में स्वामी विवेकानंद जी द्वारा कसार देवी मंदिर में ध्यान के लिए रुके थे। स्वामी विवेकानंद जी को अल्मोड़ा में ही ध्यान की प्राप्ति भी हुई। न केवल स्वामी विवेकानंद जी ने बल्कि बौद्ध गुरु लामा अंगरिका गोविंदा ने इसी गुफा में रहकर साधना की थी।
मां कसर देवी अल्मोड़ा की कुलदेवी के रूप में भी जानी जाती है। यहां के कण-कण में मां कसार देवी मंदिर की शक्तियों को एहसास किया जा सकता है। किवदंती है कि कसार देवी मंदिर में मां दुर्गा साक्षात प्रकट हुई थी। मंदिर में मां दुर्गा के 8 रूपों में से एक देवी कात्यायनी की पूजा की जाती है। दोस्तों कसार देवी मंदिर के बारे में तो हम जान चुके हैं लेकिन मां कसार देवी मंदिर का रहस्य और इतिहास अपने आप में खास महत्व रखता है चलिए मां कसार देवी मंदिर का इतिहास के बारे में जानते हैं।
मां कसार देवी मंदिर का इतिहास. Kasaar Devi Mandir Ka Itihas
मां कसार देवी मंदिर का इतिहास अपने आप में एक खास महत्व रखता है। किवदंती यह है कि मां दुर्गा ने शुंभ और निशुंभ नाम के दो राक्षसों का वध करने के लिए मां कसार देवी मंदिर में कात्यानी का रूप धारण किया था। तब से इस स्थान को एक विशेष महत्व दिया जाता है और यह उत्तराखंड के पवित्र धामों में से एक माना जाता है।
ठीक इसी तरह से मां कसार देवी मंदिर का इतिहास हमें बताता है कि 1890 में स्वामी विवेकानंद जी द्वारा इसी स्थान पर ध्यान किया गया था। और अल्मोड़ा से लगभग 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ककड़ीघाट नामक स्थान पर उन्हें ज्ञान की अनुभूति हुई थी।
इसके अलावा मां कसार देवी का मंदिर क्रैक रीज के लिए भी प्रसिद्ध है। जहां 1960 से 1970 के दशक के बीच हिप्पी आंदोलन अपनी हुवा था।
चीड़ और देवदार के पेड़ों से घिरा हुआ मां कसार देवी मंदिर के बारे में मान्यता है कि यह मंदिर अद्वितीय और चुंबकीय शक्ति का केंद्र है। बताना चाहेंगे कि इसी अद्वितीय और चुंबकीय शक्ति का केंद्र होने के कारण मां कसार देवी मंदिर के अलावा दक्षिण अमेरिका के माचू पिच्छू और इंग्लैंड के स्टोन हैंग के रहस्य के बारे में जानकर वैज्ञानिक आज भी हैरान है। वाकई में मां कसार देवी मंदिर का इतिहास हैरान कर देने वाला है।
मां कसार देवी मंदिर की मान्यता . Kasaar Devi Mandir Ki Manyta
आस्था और भक्ति का प्रतीक मां कसार देवी मंदिर की मान्यता भी अपने आप में एक खास स्थान रखती है। वैसे तो श्री दादू कामाख्या देवी मंदिर के प्रति अटूट विश्वास रहता है लेकिन इसकी मान्यताएं भी श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करती है।
मां कसार देवी मंदिर उत्तराखंड के पवित्र धामों में से एक तो है ही साथ ही यहां अद्वितीय और चुंबकीय शक्ति का केंद्र भी है। जिसके बारे में डॉ अजय भट्ट का कहना है कि यह संपूर्ण क्षेत्र वैन एलेन बेल्ट है। इस जगह में धरती के अंदर विशाल चुंबकीय पिंड हैं और इस फील्ड में विद्युतीय चार्ज कहां की परत है।
मां कसार देवी मंदिर की मान्यता यह भी है कि झूठी श्रद्धालु यहां पर सच्चे मन से कामना करते हैं मां कसार देवी उनकी मनोकामना जरूर पूर्ण करती है। इस तरह से मां कसार देवी का मंदिर अपने आप में खास स्थान रखता है।
मां कसार देवी मंदिर कैसे पहुंचे. Kasaar Devi Mandir Kese Pahuchen
प्यारे पाठको यदि आप भी मात्र 4 देवी मंदिर के दर्शन करना चाहते हैं और मां के चार देदे मंदिर कैसे पहुंचे सवाल से परेशान हैं तो आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है।
मां कसार देवी मंदिर पहुंचने के लिए वायु मार्ग के साथ-साथ रेल मार्ग एवं सड़क मार्ग के उपयुक्त साधन मौजूद है। लेकिन सड़क मार्ग के माध्यम से श्रद्धालुओं मां कसार देवी मंदिर तक आराम से पहुंच सकते है।
मां कसार देवी का पावन धाम मंदिर अल्मोड़ा से महज 8 किलोमीटर की दूरी पर कश्यप नामक पहाड़ी पर स्थित है। अल्मोड़ा पूरी तरह से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है सभी श्रद्धालु अपने नजदीकी सड़क मार्ग पॉइंट से आराम से अल्मोड़ा तक पहुंच सकते हैं। उत्तराखंड की राजधानी से अल्मोड़ा मात्र 200 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है जबकि देश की राजधानी दिल्ली से अल्मोड़ा लगभग 380 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
कसार देवी मंदिर का नजदीकी रेलवे स्टेशन रामनगर हैं। यहां से अल्मोड़ा की दूरी लगभग 130 किलोमीटर है। यहां से सभी श्रद्धालुओं के द्वारा प्राइवेट टैक्सी एवं बस की सहायता ली जाती है। दिन के समय में लगभग हर 2 घंटे में यहां से अल्मोड़ा के लिए बसें चलती है।
जबकि मां कसार देवी मंदिर का नजदीकी हवाई अड्डा देहरादून जोली ग्राउंड एयरपोर्ट है। यहां से अल्मोड़ा की दूरी मात्र 200 किलोमीटर हैं जिसके लिए आप बस एवं प्राइवेट टैक्सी की सहायता भी ले सकते हैं।
प्यारे दोस्तों मां कसार देवी मंदिर कैसे पहुंचे के बारे में तो हम जान चुके हैं लेकिन हम आपको राह प्रदान करते हैं कि आप बस के माध्यम से ही मां कसार देवी मंदिर के दर्शन करें। क्योंकि रेल मार्ग एवं वायु मार्ग के विकल्प पवित्र धाम से काफी दूरी पर स्थित है। इसलिए बस के माध्यम से ही मां कसार देवी मंदिर के दर्शन करना उचित हो सकता है।
दोस्तों यह तो हमारा आज का लेख जिसमें हमने मां कसार देवी मंदिर के बारे में एवं मां कसार देवी मंदिर का इतिहास और कसार देवी मंदिर की मान्यताओं के बारे में भी जाना। आशा करते हैं कि आपको देवभूमि उत्तराखंड का यह लेख पसंद आया होगा। यदि आपको यह जानकारी पसंद आई है तो अपने दोस्तों और अपने परिवार के साथ भी जरूर साझा करें।
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