हेलो दोस्तों कैसे हैं आप सभी लोग। स्वागत है आपका देवभूमि उत्तराखंड के आज के नए लेख में। के इस लेख में हम आपको हेमकुंड साहिब के बारे में ( Hemkund Sahib )संपूर्ण जानकारी देने वाले हैं। हेमकुंड साहिब स्थल है जो हमें ईश्वर और आस्था से जोड़ता है। इसलिए के माध्यम से हम आपको हेमकुंड साहिब से संबंधित सभी प्रकार की जानकारियां प्रदान करने वाले हैं हेमकुंड साहिब यात्रा से लेकर हेमकुंड साहिब का इतिहास भी इस लेख में स्पष्ट होने वाला है। आशा करते हैं कि आपको यह लेख पसंद आएगा। इसलिए को अंत तक जरूर पढ़ना।
हेमकुंड साहिब. Hemkund Sahib
सिखों के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक हेमकुंड साहिब ( Hemkund Sahib ) उत्तराखंड के चमोली जनपद में स्थित हैं। यह हिमालय से करीब 15200 फीट की ऊंचाई पर बर्फीली झील के किनारे एवं साथ विशाल चट्टानों वाली पहाड़ के बीच में स्थित है। किवदंतियों के अनुसार सात पहाड़ियों पर निशांत साहब झूलते हैं। हेमकुंड साहिब का अर्थ के बारे में बात करें तो इसका तात्पर्य हेम यानी की बर्फ और कुंड यानी कि कटोरा से हैं।
हेमकुंड साहिब ऋषिकेश बद्रीनाथ यात्रा मार्ग पर जोशीमठ से 24 किलोमीटर की दूरी पर पांडुकेश्वर के समीप से गोविंद घाट से हेमकुंड की पैदल चढ़ाई प्रारंभ होती है। घांघरिया पर ही यात्रियों के विश्राम की सुविधा उपलब्ध होती है और यही से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर यूनेस्को धरोहर फूलों की घाटी स्थित है
पुष्पावती पहाड़ियों की तलहटी पर स्थित हेमकुंड साहिब प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण एक ऐसा स्थल है जिसकी सुंदरता मंत्र मुक्त कर देने वाली है। हेमकुंड साहिब के नजदीक भगवान श्री राम एवं लक्ष्मण जी के मंदिर भी बने हुए हैं। हिन्दू और सिख धर्म को एक सूत्र में बंधने पहले यह दिव्या रचनाएं हर वर्ष लाखों पर्यटकों को अपनी ओर खींचते हैं।
हेमकुंड साहिब क्यों प्रसिद्ध है. Why is Hemkund Sahib famous?
दोस्तों हेमकुंड साहिब सिखों के लिए बहुत महत्व रखता है ज्यादातर सिख धर्म जुड़े लोग यहां पर दर्शन करने के लिए आते हैं। हेमकुंड साहिब का वर्णन सिखों के गुरु गोविंद सिंह द्वारा लिखित दशम ग्रंथ में किया गया है। जो व्यक्ति दशम ग्रंथ में मान्यता रखते हैं वह हेमकुंड साहिब के तीर्थ स्थल को भी बहुत महत्व प्रदान करते हैं। कुंड का प्राचीन नाम लोकपाल भी है जहां चमोली जनपद के सीमांत गांव के मार्स जनपद के लोग गर्मियों में परंपरागत तरीके से पूजा अर्चना करते हैं।
हेमकुंड साहिब का इतिहास. History of Hemkund Sahib
दोस्तों हेमकुंड साहिब के इतिहास के बारे में बताया जाता है कि हेमकुंड साहिब स्थल पर प्राचीन समय में एक मंदिर हुआ करता था जिसे भगवान श्री राम और लक्ष्मण ने मिलकर बनाया था। मान्यता है कि उसके बाद सिख धर्म के सबसे बड़े गुरु माने जाने वाले श्री गुरु गोविंद सिंह जी ने यहां पर कई वर्षों तक तपस्या और पूजा अर्चना की थी। हेमकुंड की खोज 1930 से प्रारंभ हुई थी जिसके बाद 1935 से लेकर 36 में यहां पर एक छोटे से गुरुद्वारे का निर्माण किया गया। नेता है कि इसके बाद से यहां पर हर साल सिखों की भीड़ लगती है और हर वर्ष सिख धर्म से जुड़े लोग दर्शन के लिए आते हैं।
हेमकुंड साहिब कैसे पहुंचे. How to reach Hemkund Sahib
हेमकुंड साहिब पहुंचने के लिए सड़क मार्ग और वायु मार्ग के अलावा रेल मार्ग का विकल्प भी उपलब्ध है लेकिन सड़क मार्ग के द्वारा हेमकुंड साहिब पहुंचना काफी आसान एवं सुविधाजनक है। हेमकुंड साहिब सड़क मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है कुछ समय पैदल यात्रा के दौरान सभी पर्यटक यहां पहुंचते हैं। हेमकुंड साहिब का नजदीकी रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है यहां से बस एवं टैक्सी के माध्यम से हेमकुंड साहिब तक पहुंच सकते हैं। हेमकुंड साहिब का नजदीकी एयरपोर्ट देहरादून एयरपोर्ट है। ऋषिकेश बदरीनाथ यात्रा मार्ग से होते हुए सभी दर्शनार्थी हेमकुंड साहिब तक पहुंचते हैं।
दोस्तों यह था हमारा आज का लेख जिसमें हमने आपको हेमकुंड साहिब के बारे में जानकारी दी। है कि आपको हेमकुंड साहिब के बारे में जानकारी मिल गई होगी। आपको यह लेख लगा हमें टिप्पणी के माध्यम से बताएं और देव हमें उत्तराखंड को जरूर फॉलो करें।
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