उत्तराखंड के प्रमुख लोक पर्व. Uttarakhand Ke Lokparv

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नमस्ते दोस्तों देव भूमि उत्तराखंड के आज के नए लेख में आपका स्वागत है। आज के इस लेख के माध्यम से हम आप लोगों के साथ उत्तराखंड के प्रमुख लोक पर्व के बारे में जानकारी देने वाले हैं। देवभूमि उत्तराखंड को मेलों और लोक पर्वों का ( Uttarakhand Ke Lokparv) शहर भी कहा जाता है। यहां पर विभिन्न प्रकार के लोक पर्व मेले एवं त्योहार मनाए जाते हैं। उत्तराखंड के लोक पर्व यहां के सांस्कृतिक छटा को प्रदर्शित करते हैं। आज का ही है देख उत्तराखंड के लोक पर्वों के बारे में होने वाला है। इसलिए इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ना ।

उत्तराखंड के प्रमुख लोक पर्व. Uttarakhand Ke Lokparv

देवभूमि उत्तराखंड में विभिन्न प्रकार के पर्व एवं त्योहार मनाए जाते हैं। यह पर्व स्थानीय लोगों के द्वारा अपनी संस्कृति को संजोने के लिए आयोजित किए जाते हैं जो कहीं ना कहीं उत्तराखंड राज्य की संस्कृति और परंपराओं को प्रदर्शित करते हैं। लोग प्रभाव के माध्यम से उत्तराखंड की सांस्कृतिक छवि प्रस्तुत होती है। और यह लोक पर्व स्थानीय रीति-रिवाजों एवं किसी जगह एवं किसी खास व्यक्ति से जुड़े हुए होते हैं। जो कि उनके स्मरण एवं याद में मनाए जाते हैं।

उत्तराखंड में मेलों का प्रचलन प्राचीन काल से ही रहा है। चाहे प्रकृति का नया रूप हो या किसी व्यक्ति विशेष को स्मरण करना। ऐसे ही ऐतिहासिक कार्यों के लिए यहां के लोगों द्वारा लोक पर्व एवं मेलों का आयोजन किया जाता है। उत्तराखंड के लोक पर्व कुछ इस प्रकार से हैं

  • फूलदेई का त्यौहार
  • उत्तराखंड का लोक पर्व स्याल्दे
  • लोक पर्व सातू आठू
  • प्रसिद्ध नंदा देवी महोत्सव
  • उत्तराखंड का लोक पर्व घी संक्रांति
फूलदेई का त्यौहार. Phooldei Parv

उत्तराखंड के प्रमुख लोक पर्व की सूची में फूलदेई का त्यौहार सर्व प्रथम स्थान पर आता है। प्रकृति के वसंत ऋतु में प्रवेश करने की खुशी में उत्तराखंड के लोगों द्वारा चैत्र माह के प्रथम दिन फूलदेई का त्यौहार मनाया जाता है।

फूलदेई का त्योहार प्रकृति के नए रूप के धारण के लिए मनाया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जब हमारी प्रकृति वसंत ऋतु में प्रवेश करती है तो इसकी खूबसूरती का कोई ठिकाना नहीं होता है। इसके चारों आवरण में फूल पत्ते पेड़ पौधे सभी हरे-भरे दिखते हैं जो कि बेहद खूबसूरत लगते हैं। प्रकृति का शुक्रगुजार करने के लिए उत्तराखंड के लोगों द्वारा चैत्र माह के प्रथम दिन फूलदेई का त्यौहार मनाया जाता है। बच्चों के द्वारा इस लोक पर्व में बड़े ही हर्ष और उल्लास से अपनी भागीदारी दी जाती है।

उत्तराखंड का लोक पर्व स्याल्दे. syalde Lokparv

स्याल्दे उत्तराखंड के प्रमुख लोक पर्वों में से एक है। इस दिन स्थानीय लोगों के द्वारा अपने देवी देवताओं को भोग लगाकर भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। उत्तराखंड का लोक पर स्याल्दे देवी देवताओं से आशीर्वाद प्राप्त करने एवं प्रकृति के नए रूप का शुक्रगुजार करने के लिए स्याल्दे त्यौहार मनाया जाता है।

इस त्यौहार को स्याल्दे बिखोती मेला, और स्याल्दे मेला के नाम से भी जाना जाता है। उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में मनाया जाने वाला यह भव्य मेला स्थानीय लोगों के सहयोग से हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है।

लोक पर्व सातू आठू. Lokparv Satu Atthu

उत्तराखंड में लोक पर्व सातू आठू का बड़ा महत्व माना जाता है। इस त्यौहार में देवी गोरा के साथ भगवान महेश जी की पूजा की जाती है । सप्तमी को मां गोरा महेश जी से रूट कर अपने मायके चली जाती हैं और अष्टमी को भगवान महेश जी मां गोरा को लाने उनके मायके चले जाते है। इसलिए इस लोक पर्व को लोक पर्व सातू आठू कहां जाता है। उत्तराखंड के इस प्रसिद्ध लोक पर्व में पहले दिन मक्का तिल और बाजरें की सहायता से मां गौरा की आकर्षित प्रतिमा बनाई जाती है। इसके अगले दिन भगवान महेश जी की प्रतिमा बनाई जाती है।

प्रसिद्ध नंदा देवी महोत्सव. Nanda Devi Mahotsav

प्रसिद्ध नंदा देवी महोत्सव उत्तराखंड वासियों द्वारा बड़े ही आस्था और भक्ति भावना के साथ हर वर्ष बड़े ही धूमधाम के साथ आयोजित किया जाता है। हिमालय क्षेत्र में मां नंदा देवी का स्थान सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।

किंवदंतियों के अनुसार महानंदा और सुनंदा दो बहने थी जिंदगी सदियों से उत्तराखंड में पूजा की जाती है जिनका उसे 1 पुराणों में भी देखने को मिलता है। मान्यता के अनुसार मां नंदा देवी मां निकली है और मां दुर्गा के नौ रूपों में से एक है। उत्तराखंड की कुल देवी के रूप में पूजे जानी वाली मां नंदा देवी की आराधना के लिए उत्तराखंड के लोगों द्वारा हर वर्ष नंदा देवी महोत्सव आयोजित किया जाता है।

उत्तराखंड का लोक पर्व घी संक्रांति. Ghi Sankranti Uttarakhand

उत्तराखंड के लोकपर्वों में घी सक्रांति का त्यौहार बड़ा ही महत्वपूर्ण माना जाता है। जब किसानों की लहराती हुई फसल सुंदर सी दिखने लगती है उन पर बालियां आने लगती है तो किसानों की खुशी का कोई ठिकाना नहीं होता है इसलिए उत्तराखंड के लोगों द्वारा उत्तराखंड का लोक पर्व घी सक्रांति मनाई जाती है। घी सक्रांति लोक पर्व में घी का सेवन करना महत्वपूर्ण माना जाता है।

उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में घी सक्रांति को विभिन्न नामों से जाना जाता है जैसा कि घी त्यार, त्यार ओलगिया आदि नामों से जाना जाता है। घी संक्रांति का त्योहार भाद्र मास की सक्रांति को मनाया जाता है।

दोस्तों यह थे उत्तराखंड के प्रमुख लोक पर्व जोकि उत्तराखंड की संस्कृति और परंपराओं को प्रदर्शित करते हैं। उत्तराखंड के लोगों द्वारा प्राचीन काल से मनाते आ रहे लोगों को बड़ी ही बेखुदी से संजोया जाता है। आज भी इन त्योहारों का उत्तराखंड के इतिहास में बड़ा महत्व माना जाता है। आशा करते हैं कि आपको हमारा यह लेख जरूर पसंद आया होगा इसलिए अपने दोस्तों और परिवार के साथ जरूर साझा करें।

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