आदि बद्री मंदिर, Adi Badri Temple

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हेलो दोस्तों स्वागत है आपका देव भूमि उत्तराखंड के आज के नए ब्लॉग में। आज के इसलिए के माध्यम से हम आप लोगों के साथ उत्तराखंड का प्राचीन मंदिर आदि बद्री मंदिर के बारे में जानकारी देने वाले हैं। जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं कि देवभूमि उत्तराखंड में आने को ऐसे मंदिर है जो अपनी दिव्य शक्तियों के लिए पहचाने जाते हैं उन्हें मंदिरों में से एक है आदि बद्री मंदिर ( Adi Badri Temple) जो कि उत्तराखंड के कर्ण प्रयाग जिले में स्थित है। आज है इसलिए के माध्यम से हम आपको आदि बद्री मंदिर के बारे में संपूर्ण जानकारी देने वाले हैं। आशा करते हैं कि आपको हमारा यह लेख पसंद आएगा।

आदि बद्री मंदिर. Adi Badri Temple

कर्णप्रयाग से महज 17 किलोमीटर की दूरी पर स्थित आदि बद्री मंदिर ( Adi Badri Temple) चांदपुर गढ़ी से 3 किलोमीटर की दूरी में स्थित है। भगवान विष्णु को समर्पित आदि बद्री मंदिर कर्ण प्रयाग का सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है जिसका निर्माण बड़े ही भव्य तरीके से किया गया है। यहां पर जागेश्वर मंदिर समूह के 16 मंदिरों का समूह है जो कि आज के समय में 14 रह गए हैं। स्थानीय मान्यता के अनुसार जो भी भक्त यहां पर सच्चे मन से कामना करते हैं भगवान उनकी मनोकामना जरुर पूर्ण करते हैं।

अपनी विशिष्ट शैली में निर्मित यह मंदिर वक्त के कई दौर देखने के बाद भी ज्यों का त्यों खड़ा है। मंदिर में भगवान विष्णु के 3 फीट ऊंची मूर्ति है। जो की दिखने में काफी खूबसूरत लगती है। भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार किया है जिसमें वह मंदिर की सुरक्षित रखते हुए यह भी बताते हैं कि यह मंदिर वीडियो से चली आ रही परंपराओं को अपने में समेटे बैठी है। स्थानीय लोगों की जानकारी के अनुसार आदि बद्री मंदिर के पुजारी थपलियाल परिवार के हैं जो की प्राचीन काल से मंदिर की देखरेख एवं पूजा अर्चना का कार्य कर रहे हैं।

आदि बद्री मंदिर की संरचना. Structure of Adi Badri Temple

दोस्तों आदि बद्री मंदिर में वैसे तो 16 मंदिरों का समूह है लेकिन आज के समय में मात्र 14 मंदिर शामिल है। भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण के अनुसार इनकी संख्या पहले 16 हुआ करती थी। मंदिर की वस्तु कला सुसर्जित होने के साथ-साथ काफी प्राचीन है। मंदिर का निर्माण पिरामिड शंकु आकार के हैं जो की उत्तराखंड के अधिकांश मंदिरों से मिलते जुलते हैं। मुख्य मंदिर में भगवान विष्णु की 3 फीट ऊंची प्रतिमा है जिसमें वह दर्शन मुद्रा में खड़े हुए हैं।

इसी के पास एक छोटा शकुवाकार मंदिर विराजमान है जो की भगवान विष्णु के वहां गरुड़ का मंदिर है। इसके अतिरिक्त इसके आसपास भगवान सत्यनारायण एवं लक्ष्मी नारायण के अलावा भगवान राम सीता और मां गौरी का मंदिर भी है।

आदि बद्री मंदिर की पौराणिक मान्यताएं. Mythological beliefs of Adi Badri temple

आदि बद्री मंदिर की पौराणिक मान्यताओं के अनुसार की किवदंती है की इस मंदिर की नींव आठवीं सदी में शंकराचार्य ने रखी थी। उनका मुख्य मकसद चारों दिशाओं में हिंदू पर्यटन को बढ़ावा देना था। मंदिर के निर्माण विषय में पुरातात्विक सर्वेक्षण के अनुसार माना जाता है कि मंदिर आठवीं सदी का बना हुआ है और आठवीं सदी में यहां पर कस्तूरी राजाओं का राज हुआ करता था जिससे स्पष्ट होता है कि इस मंदिर का निर्माण कस्तूरी राजाओं ने किया था।

उत्तराखंड में पंच बद्री काफी प्रसिद्ध है वर्तमान में भगवान विष्णु को समर्पित यह पंच बद्री किवदंतियों के अनुसार जब कलयुग का अंत होगा तो भगवान बद्रीनाथ से भविष्य बद्री में अंतर्ध्यान हो जायेंगे। कहते हैं कि मैं ऋषि वेदव्यास द्वारा यह गीता लिखी गई थी। हालांकि इसके बारे में अभी तक किसी भी प्रकार के प्रमाण नहीं प्राप्त हुए हैं।

वैसे तो मंदिर के पास साल भर भक्तों के लिए खुले रहते हैं लेकिन पूस महीने में की 14 तारीख से जनवरी में मकर संक्रांति तक मंदिर पर कपट एक महीने के लिए बंद किए जाते हैं। मान्यता के अनुसार आदि बद्री मंदिर में पूजा अर्चना का विधान बद्रीनाथ मंदिर के जैसा ही है। प्रातः समय में भगवान विष्णु का स्नान और साथ सजा के बाद कपाट खोले जाते हैं। और पूजा अर्चना का कार्य किया जाता है संध्या समय में भी भगवान की आरती के बाद मंदिर के द्वारा बंद किए जाते हैं।

आदि बद्री मंदिर कैसे पहुंचे. How to reach Adi Badri Temple

दोस्तों यदि आप भी आदि बद्री मंदिर पहुंचना चाहते हैं तो बताना चाहेंगे कि कर्णप्रयाग से 17 किलोमीटर की दूरी पर स्थित आदि बद्री मंदिर पहुंचने के लिए सबसे अच्छा मार्ग सड़क मार्ग है आप आसानी से आदि बद्री मंदिर के दर्शन कर सकते हैं। के द्वारा काठगोदाम हल्द्वानी और गैरसेन होते हुए आप आसानी से आदि बद्री मंदिर पहुंच सकते हैं।

तो यह था हमारा आज का लेख जिसमें हमने आपको आदि बद्री मंदिर के बारे में जानकारी दी। आशा है कि आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा यदि आपको यह लेख पसंद आया है तो अपने दोस्तों और परिवार के साथ जरूर साझा करें और उत्तराखंड से संबंधित ऐसे ही जानकारी युक्त लिख पाने के लिए आप देवभूमि उत्तराखंड को जरूर फॉलो करें।

आदि बद्री मन्दिर FAQ

Q – आदि बद्री की कहानी

Ans – आदि बद्री मंदिर की पौराणिक मान्यताओं के अनुसार की किवदंती है की इस मंदिर की नींव आठवीं सदी में शंकराचार्य ने रखी थी। उनका मुख्य मकसद चारों दिशाओं में हिंदू पर्यटन को बढ़ावा देना था।

Q – आदी बद्री की मूर्ती

Ans – मंदिर का निर्माण पिरामिड शंकु आकार के हैं जो की उत्तराखंड के अधिकांश मंदिरों से मिलते जुलते हैं। मुख्य मंदिर में भगवान विष्णु की 3 फीट ऊंची प्रतिमा है जिसमें वह दर्शन मुद्रा में खड़े हुए हैं।


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