हेलो दोस्तों स्वागत है आपका देवभूमि उत्तराखंड के नए लेख में। आज के इस लेख के माध्यम से हम आप लोगों के साथ फूलों की घाटी के बारे में बात करने वाले हैं। दोस्तों जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं कि देवभूमि उत्तराखंड प्राकृतिक सौंदर्य का एक अनूठा स्थान है जहां पर पवित्र स्थलों और पर्यटन स्थलों के अलावा प्राकृतिक सौंदर्य है। आज आज हम आपको फूलों की घाटी जिसे फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान ( Valley of Flowers National Park ) के नाम से भी पहचाना जाता है के बारे में जानकारी देने वाले हैं। किस तरीके से फूलों की घाटी की खोज की गई और किस तरीके से हम लोग यहां पर अपनी यात्रा का प्लान कर सकते हैं। यह सब बातें आज के इस लेख में होने वाली है। इसलिए लेख को अंत तक जरूर पढ़ना।
फूलों की घाटी, Valley of Flowers
उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित फूलों की घाटी उत्तराखंड का एक प्रमुख पर्यटन स्थल होने के साथ-साथ एक राष्ट्रीय उद्यान भी है। प्रकृति के बीचो-बीच स्थित फूलों की घाटी जिसे वाली ऑफ फ्लावर्स के नाम से भी जान जाती है लगभग 87 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला हुआ है।
हिमालय की गोद में स्थित फूलों की घाटी भारत का एक नेशनल पार्क के रूप में भी जाना जाता है। यह घाटी अल्पाइन फूलों और वनस्पति की विविधताओं के लिए जानी जाती है।
समुद्र तल से 3352 से लेकर 3658 मीटर की ऊंचाई पर स्थित फूलों की घाटी के बारे में ( about to Valley of Flowers ) कहा जाता है कि यह राष्ट्रीय उद्यान 87.50 किलो मीटर स्क्वायर के क्षेत्र में फैला हुआ है। इस भूमि में लगभग फूलों की 5000 से भी अधिक प्रजातियां पाई जाती है। यहां पर खिले हुए विभिन्न प्रकार के रंगीन फूल खूबसूरत दिखाई देते हैं। फूलों की घाटी के दर्शन करना हर एक पर्यटक का सपना होता है क्योंकि यह भारत के सबसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक हैं।
जब भी कोई यात्री फूलों की घाटी की यात्रा के बारे में सोचते हैं तो उनके पास तमाम प्रकार के प्रश्न होते हैं जैसे की फूलों की घाटी कहां स्थित है और फूलों की घाटी के बारे में आदि। वह इन सभी बातों से रूबरू तो हो जाते हैं लेकिन फूलों की घाटी का रहस्य नहीं जान पाते हैं। दरअसल फूलों की घाटी का रहस्य फूलों की घाटी की यात्रा का प्लान करने वाले पर्यटकों को परेशान कर सकता है।
फूलों की घाटी का इतिहास , History of Valley of Flowers
दोस्तों वैसे फूलों की घाटी का इतिहास अपने आप में खास एवं बड़ा महत्व रखता है क्योंकि यह उत्तराखंड की प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक होने के साथ-साथ यूनेस्को द्वारा वर्ल्ड हेरिटेज भी घोषित किया गया है। सन 1931 में माउंट कमेंट अभियान से लौटते समय एक पर्वत रोही फ्रैंक एस स्माइथ, एरिक शिपटन और एल होल्ड स्वथर ने फूलों की घाटी की खोज की। ऐतिहासिक दृष्टिकोण से देखे तो कहा जाता है कि यह तीनों पर्वत रोही रास्ता भटक गए और और गलती से वहां फूलों की घाटी तक पहुंच गई। इसकी खूबसूरती को देखकर वह आश्चर्यचकित हो गए और इन्होंने उसका नाम फूलों की घाटी रख दिया।
फ्रैंक एस स्माइथ ने फूलों की घाटी की सुंदरता को देखते हुए अपनी एक किताब द वैल्यू ऑफ फ्लावर प्रकाशित की। किताब में उन्होंने अपने फूलों की घाटी के सुहाने सफर को व्यक्त किया है किस तरीके से उन्होंने फूलों की घाटी की शेर की और किस तरीके से वह यहां तक पहुंचे।
500 से भी अधिक फूलों की प्रजातियों में शामिल है जानलेवा फूल. Danger flowers of Valley of Flowers
दोस्तों जैसा कि हम आपको बता ही चुके हैं कि फूलों की घाटी उत्तराखंड के चमोली जनपद में स्थित है और यह एक राष्ट्रीय उद्यान के रूप में भी पहचाना जाता है। फूलों की घाटी में मुख्य रूप से 500 से भी अधिक फूलों की प्रजातियां देखने को मिलती है। लेकिन आपको बताना चाहते हैं कि इन 500 में से कुछ फूलों की प्रजातियां ऐसे हैं जो की बेहद विषैली होते हैं। इन फूलों पर विभाग ने अलग निशाना बना दिए हैं। जिससे कि कोई भी व्यक्ति उन्हें छुए ना। सेनेसियो एक दुर्लभ प्रजाति का फूल है जो लंबे समय बाद घाटी में खिला है। किसी व्यक्ति ने यदि यह फूल तोड़ दिया या उसे मुंह में रख लिया तो यह जानलेवा हो सकता है।
दोस्तों यह था हमारा आजकल एक जिसमें हमने आपको फूलों की घाटी के बारे में जानकारी दी। ऐसा करते हैं कि आपको फूलों की घाटी एवं फूलों की घाटी के इतिहास के बारे में जानकारी मिल गई होगी। आपको यह लेख कैसा लगा हमें टिप्पणी के माध्यम से जरूर बताएं। उत्तराखंड से संबंधित ऐसे ही जानकारी युक्त लेख पाने के लिए देवभूमि उत्तराखंड को जरूर फॉलो करें।
Valley of Flowers National Park FAQ
Ans- उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित फूलों की घाटी उत्तराखंड का एक प्रमुख पर्यटन स्थल होने के साथ-साथ एक राष्ट्रीय उद्यान भी है। समुद्र तल से 3352 से लेकर 3658 मीटर की ऊंचाई पर स्थित फूलों की घाटी के बारे में ( about to Valley of Flowers ) कहा जाता है कि यह राष्ट्रीय उद्यान 87.50 किलो मीटर स्क्वायर के क्षेत्र में फैला हुआ है।
Ans – ऐतिहासिक दृष्टिकोण से देखे तो कहा जाता है कि यह तीनों पर्वत रोही रास्ता भटक गए और और गलती से वहां फूलों की घाटी तक पहुंच गई। इसकी खूबसूरती को देखकर वह आश्चर्यचकित हो गए और इन्होंने उसका नाम फूलों की घाटी रख दिया।
Ans – जोशीमठ से टैक्सी की मदद द्वारा यात्रीयों को 20 किलोमीटर दूर गोविंदघाट तक आना होता है। लोकल टेक्सी आसानी से मिल जाती है। इसके बाद लगभग 4 किलोमीटर दूर पुलना गांव है। यहां से पैदल ट्रेक कर फूलों की घाटी में पहुंच जाते है।
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