हेलो दोस्तों स्वागत है आपका देवभूमि उत्तराखंड के आज के नए लेख में। इसलिए के माध्यम से हम आप लोगों के साथ उत्तराखंड के भविष्य बद्री मंदिर के बारे में ( Bhavishya Badri Temple ) जानकारी देने वाले हैं। जैसा की हम सभी लोग जानते हैं कि उत्तराखंड में कई ऐसे मंदिर है जो अपने प्राचीन इतिहास एवं पौराणिक शक्तियों के लिए पहचाने जाते हैं। मंदिरों में से एक है भविष्य बद्री मंदिर जो कि उत्तराखंड में काफी प्रसिद्ध है। आज के इस लेख में हम भविष्य बद्री मंदिर के बारे में एवं भविष्य बद्री मंदिर के इतिहास ( Bhavishya Badri Temple history ) के बारे में जानकारी साझा करेंगे। आशा करते हैं कि आपको हमारा यह लेख पसंद आएगा इसलिए इसलिए को अंत तक जरूर पढ़ना।
भविष्य बद्री मंदिर उत्तराखंड.Bhavishya Badri Temple Uttarakhand
उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित भविष्य बद्री मंदिर भगवान विष्णु के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है। अलकनंदा नदी के किनारे पर स्थित भविष्य बद्री मंदिर भगवान विष्णु के स्वरूप बद्रीनाथ को समर्पित है। जिस तरह से उत्तराखंड में पंच प्रयाग और पंच केदार है कि किसी तरह से भविष्य बद्री मंदिर भगवान विष्णु का प्रमुख तीर्थ स्थल माना जाता है।
किवदंति है कि जब गंगा नदी धरती पर अवतरित हुई तो यह 12 धाराओं में बंट गई थी। इन 12 धाराओं में से एक धारा इस प्रसिद्ध स्थान पर गिरी अलकनंदा के नाम से विख्यात हुई। और यह स्थान भगवान विष्णु का वास बना ठीक उसी तरह से चमोली जिले के जोशीमठ से 21 किलोमीटर की दूरी पर भविष्य बद्री मंदिर स्थित है जो की पंच बद्री में से एक है। उत्तराखंड में पंच बद्री का समूह बद्रीनाथ, योग ध्यान बद्री आदि बद्री , वृद्ध बद्री शामिल है।
यह मंदिर जोशीमठ से 15 किलोमीटर तपोवन तक सड़क मार्ग है जिसके बाद तपोवन में स्थित रिंकी गांव से 5 किलोमीटर और सरदार नामक स्थान से 6 किलोमीटर का पैदल रास्ता तय करना पड़ता है।
भविष्य बद्रीनाथ मंदिर की मान्यताएं.Bhavishya Badri Temple Manyatayen
भविष्य बद्रीनाथ मंदिर के बारे में किस जानती है कि भविष्य में एक बड़ा आध्यात्मिक और प्राकृतिक बदलाव होगा। जब आज के समय में बद्रीनाथ मार्ग पर जय विजय नाम के पर्वत के मिल जाने पर बद्रीनाथ धाम का रास्ता दुर्गम हो जाएगा और जोशीमठ नरसिंह मंदिर में विराजमान भगवान नरसिंह की मूर्ति खंडित हो जाएगी। इसलिए कहते हैं कि तब भगवान बद्रीनाथ के दर्शन भविष्य मंत्री मंदिर में हुआ करेंगे। स्थानीय लोगों के अनुसार यह भी माना जा रहा है कि यह मंदिर धीरे-धीरे दिव्या और आकर्षक रूप से बद्रीनाथ की मूर्ति दृष्टिगत होने लगी है। यानी की मान्यताओं में इस बात का जिक्र किया गया है वह धीरे-धीरे समय के साथ स्पष्ट होने लगी है। इस बात को वहां के लोगों और मंदिर के पुजारी ने भी कहा है ।
भविष्य बद्री मंदिर कैसे पहुंचे.Bhavishya Badri Temple Kese Pachuchen
भविष्य बद्री मंदिर पहुंचने के लिए सबसे अच्छा और आसान माध्यम सड़क मार्ग है। सड़क मार के माध्यम से बद्रीनाथ तपोवन पहुंच सकते हैं जहां से रिंकी गांव या सलधार से 5 किलोमीटर का पैदल यात्रा है। यह मंदिर एक धार्मिक तीर्थ दर्शन होने के साथ-साथ प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण जगह है। इसलिए यहां पर अधिकांश लोग मंदिर के दर्शन करने के अलावा प्रकृति के मनमोहक दृश्य का आनंद लेने के लिए आते हैं।
दोस्तों यह था हमारा आजकल एक जिसमें हमने आपको भविष्य बद्री मंदिर के बारे में ( Bhavishya Badri Temple ) जानकारी दी। आशा करते हैं कि आपको हमारा यह लाइक पसंद आया होगा। आपको यह देख कैसा लगा हमें टिप्पणी के माध्यम से बताएं और यदि आपको उत्तराखंड से संबंधित ऐसे ही जानकारी युक्त लेख और पढ़ने हैं तो देवभूम में उत्तराखंड को जरूर फॉलो करें।
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