हेलो दोस्तों स्वागत है आपका देवभूमि उत्तराखंड के आज के नए लेख में। को के साथ उत्तराखंड का प्रसिद्ध गुरुद्वारा नानकमत्ता साहिब के बारे में ( Nanakmatta Sahib) जानकारी लेकर आए हैं। देवभूमि उत्तराखंड में न सिर्फ सनातन धर्म योगियों को ज्ञान मिलता है बल्कि अन्य धर्म के गुरुओं ने इस पवित्र स्थल पर ज्ञान का प्रचार प्रसार भी किया है। नहीं गुरुओं में से शामिल है सिखों के पहले गुरु नानक साहिब। और जिस स्थान पर उन्होंने तपस्या की थी उसे नानकमत्ता साहिब कहा जाता है। के इसलिए के माध्यम से दोस्तों हम आप लोगों के साथ नानकमत्ता साहिब के बारे में संपूर्ण जानकारी लेकर आए हैं। आशा करते हैं कि आपको हमारा यह लेख पसंद आएगा।
नानकमत्ता साहिब. Nanakmatta Sahib
उत्तराखंड में इतिहास में एक तथ्य सामान्य है कि उत्तराखंड प्राचीन काल से ही तपस्या स्थली रही है। प्राचीन काल में यहां पर विभिन्न धर्मो के लोगों ने तपस्या की थी। उन्हें धर्म में से एक है सिख धर्म जिसके दो महान गुरुओं ने इस प्राचीन दिव्या भूमि में अपनी तपस्या की थी और ज्ञान को अर्जित किया था। सिखों के पहले गुरु रह चुकी है गुरु नानक देव तथा सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह जी ने तपस्या की थी। अपने सिख धर्म की अनुयायियों को विभिन्न तीर्थ स्थलों पर प्रचार प्रसार किया जिनमें से एक है हेमकुंड साहिब। सिख धर्म को स्थापित करने वाले नानकमत्ता साहिब गुरुद्वारा भी उन्हें स्थलों में से एक है जहां पर अनुयायियों की भीड़ लगी रहती है।
खटीमा मार्ग से 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित नानकमत्ता साहिब ( Nanakmatta Sahib) की तपस्या स्थली मानी जाती है। के रूप से उत्तराखंड के उधम सिंह नगर जिले में पड़ता है। इस स्थान पर नानकमत्ता साहिब ने तपस्या की थी आज के समय में उसे नानकमत्ता के नाम से पहचाना जाता है। एक बड़ा सा गुरुद्वारा है जो कि सिर्फ धर्म के लोगों के लिए बड़ा ही महत्वपूर्ण एवं प्रसिद्ध माना जाता है।
नानकमत्ता साहिब गुरुद्वारा का निर्माण काफी आकर्षक तरीके से किया गया है और इसके पास एक झील है जिसे नानक सागर के नाम से पुकारा जाता है। यहां आने वाले अनुयायियों के लिए इस नानक सागर झील में वोटिंग की सुविधा भी उपलब्ध है। प्राकृति की खूबसूरत वादियों के बीच में स्थित नानकमत्ता साहिब गुरुद्व मनमोहक दृश्य के साथ सुकून की पल बिताने के लिए भी पहचाना जाता है। यहां पर आध्यात्मिक ज्ञान के सुकून की अनुभूति होती हैं।
नानकमत्ता का इतिहास. Nanakmatta Sahib History
नानकमत्ता साहिब के इतिहास की बात की जाए तो लगभग 1508 ईसवी पूर्व से पहले उत्तर भारत के इस क्षेत्र को गोरख माता नाम से जाना जाता था और इस स्थान पर मान्यता है कि गोरखनाथ के भक्त रहा करते थे। समय के आसपास यहां के कुछ क्षेत्रों में सिद्धों का भी निवास माना जाता है जैसे इतिहासकार सिद्धमत्ता भी कहते हैं। पीटर ग्रंथ गुरवाणी में भी इस यात्रा का वर्णन गुरु नानक देव जी की तीसरी यात्रा के रूप में किया गया है।
1515 में करतारपुर से कैलाश पर्वत की ओर जब गुरु नानक देव यात्रा के लिए निकले तब वह अपने शिष्य और भाई मर्दानी जी और बालाजी के साथ यहां पर आए थे। इतिहास के अनुसार यही वह जगह है जहां पर गुरु नानक देव जी ने अहंकारी साधुओं का अहंकार नष्ट किया था। गुरु नानक देव जी ने उन्हें परिवार की सेवा करना सबसे अच्छी सेवा माना है । गुरुवाणी के संदेश देते हुए उन्होंने साधुओं का अहंकार नष्ट किया।
सरोवर में डुबकी लगाने से पूरी होती है अरदास
दोस्तों जैसा कि हमने आपको पहले भी बताया कि नानकमत्ता साहिब गुरुद्वारे ( Nanakmatta Sahib Gurudwara ) के आसपास एक सरोवर है जिसमें माना जाता है कि इस सरोवर में स्नान करने के बाद सभी अनुयाई हरमंदिर साहिब दरबार में मत्था टेकने जाते हैं। ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार माना जाता है कि गुरुद्वारा साहिब के दर्शन करने से ही अवध के राजकुमार नवाब मेहंदी अली खान ने गुरुद्वारा को अपनी 4500 एकड़ जमीन दान में दे दी थी। है वही जगह है जहां पर आज के समय में नानक सागर बैराज बना हुआ है।
नानकमत्ता कैसे पहुंचे।. How To Reach Nanakmatta Sahib
दोस्तों यदि आप भी नानकमत्ता कैसे पहुंचे के बारे में जानना चाहते हैं तो हम आपको बताना चाहेंगे कि नानकमत्ता पहुंचने के लिए सड़क मार्ग एवं रेल मार्ग के अलावा वायु मार्ग का विकल्प भी उपलब्ध है।
अगर आप सड़क मार्ग से नानकमत्ता पहुंचाना चाहते हैं तो देश की राजधानी दिल्ली आनंद विहार से खटीमा के लिए दिनभर बसें चलती रहती है। बस एवं टैक्सी के माध्यम से भी वहां तक पहुंच सकते हैं।
दोस्तों यदि आप रेल मार्ग के माध्यम से नानकमत्ता के दर्शन करना चाहते हैं तो आपको बताना चाहेंगे कि नानकमत्ता का नजदीकी रेलवे स्टेशन खटीमा है और खटीमा से नानकमत्ता बस एवं टेंपो के माध्यम से भी पहुंच सकते हैं।
दोस्तों यदि बात की जाए वायु मार्ग से यानी कि हवाई जहाज से नानकमत्ता पहुंचने के बारे में आपको बता दे की नानकमत्ता का नजदीकी एयरपोर्ट पंतनगर है और पंतनगर से करीब नानकमत्ता 55 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। आप अपने नजदीकी एयरपोर्ट से भी नानकमत्ता के दर्शन कर सकते हैं।
दोस्तों यह था हमारा आज का लेख जिसमें हमने आपको नानकमत्ता साहिब के बारे में ( Nanakmatta Sahib ) जानकारी दी। आशा करते हैं कि आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। आपकों यह लेख कैसा लगा हमें टिप्पणी के माध्यम से जरूर बताएं। और उत्तराखंड से संबंधित ऐसे ही जानकारी युक्त लेख पाने के लिए आप देवभूमि उत्तराखंड को जरूर फॉलो करें।
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