भिटौली पर्व उत्तराखंड. Bhitoli Parv Uttarakhand

Bhitoli Parv Uttarakhand

हेलो दोस्तों स्वागत है आपका देवभूमि उत्तराखंड के आज के नए लेख में । आज के इस लेख के माध्यम से हम आप लोगों के साथ भिटौली पर्व के बारे में ( Bhitoli Parv Uttarakhand) जानकारी देने वाले हैं। जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं कि उत्तराखंड को पर्वों का शहर भी कहा जाता है। प्रकृति के नए ऋतु के आगमन पर या किसी भी व्यक्ति विशेष से जुड़े यादों को संजोने के लिए उत्तराखंड वासियों द्वारा विभिन्न प्रकार के लोग पर्व एवं मेल बनाए जाते हैं। उन्हीं लोक पर्वों में से एक है भिटौली पर्व (Bhitoli Parv Uttarakhand) जो कि उत्तराखंड में बड़ी ही श्रद्धा और भक्ति भावना के साथ मनाई जाती हैं। आज के इस लेख के माध्यम से हम आपको भिटौली पर्व के बारे में जानकारी देने वाले हैं आशा करते हैं कि आपको हमारा यह लेख पसंद आएगा। इसलिए इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ना।

भिटौली पर्व उत्तराखंड. Bhitoli Parv Uttarakhand

देवभूमि उत्तराखंड को मेलो एवं पर्वों का शहर भी कहा जाता है। प्रकृति के हर ऋतु परिवर्तन पर यहां पर किसी न किसी प्रकार का त्यौहार जरूर मनाया जाता है। प्रकृति जब चैत्र महा मैं प्रवेश करती है तो उत्तराखंड के लोगों द्वारा भिटौली पर्व मनाया जाता है।

चैत्र का महीना शुरू होते ही प्रकृति की मनमोहक रंगत अपने साथ कई प्रकार के त्यौहार भी लाता है। चैत्र माह की शुरुआत फुल संक्रांति या फूलदेई से होती है इसके बाद उत्तराखंड में विभिन्न प्रकार के पर्वों आयोजन होना शुरू हो जाता है। उन्हीं लोक पर्वों में से एक है भिटौली पर्व जो की चैत्र माह में मनाया जाता है।

चैत्र मा शुरू होते हैं विवाहित स्त्रियों को अपने मायके की याद आने लगती है। उन्हें इंतजार रहता है कि कब उनका भाई उनके लिए भिटौली लेकर आए। इस माह उत्तराखंड की विवाहित स्त्रियों को आपने मायके की याद सताती है। वह अपने भाई बहन एवं मायके वालों से मिलने का इंतजार करती है। इसी संदर्भ में एक खूबसूरत सी पंक्ति का उच्चारण किया जाता है – ” एगो भिटौली को म्होणा, आस लागी रो हनुली मेरी बौन्ना ” इस पंक्ति का अर्थ हुआ कि भिटौली का महिना आ गया है , और मेरी बहन मेरी राह देख रही होगी।

इस दिन सभी भाई अपनी बहनों के लिए उनके ससुराल में भेट लेकर जाते हैं। जिसमें वहां के भोजन के व्यंजन और मिठाई के साथ कुछ वस्त्र भी होते हैं। भिटौली मिलने के बाद उसे आस पड़ोस घरों में बांट दिया जाता है। इस तरह से उत्तराखंड का लोक पर्व भिटौली पर्व विवाहित स्त्रियों को अपने मायके की यादों के साथ जोड़ा रहता है।

वैशाख माह में पहुंचाया जाता है भिटौली. Bhitoli Parv Uttarakhand

दोस्तों क्या आप जानते हैं कि चैत्र का महीना उत्तराखंड के लोगों के लिए अच्छा नहीं माना जाता है। यहां के लोग चैत्र माह को काला कह कर पुकारते हैं। इस माह में कोई भी शुभ काम नहीं किया जाता। सभी भाई भिटौली को बैसाख माह में दिया जाता है।

इस तरह से दोस्तों उत्तराखंड के लोगों द्वारा संस्कृति और परंपराओं को संजोया गया है वह हर वर्ष वैशाख माह में भिटौली देने अपनी बहन के ससुराल जाते है। उत्तराखंड के लोगों के लिए यह पर्व बड़ा है महत्वपूर्ण माना जाता है।

दोस्तों यह था हमारा आज का लेख जिसमें हमने आपको भिटौली पर्व उत्तराखंड ( Bhitoli Parv Uttarakhand) के बारे में जानकारी दी । आशा करते हैं कि आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। यदि आपको यह लेख पसंद आया है तो अपने दोस्तों और परिवार के साथ जरूर साझा करें। और टिप्पणी के माध्यम से आप हमें अपनी बातों से जोड़ सकते हैं।

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