बद्री दत्त पांडे जीवन परिचय। Badri Dutt Pandey Biography

Badri Dutt Pandey Biography
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हेलो दोस्तों स्वागत है आपका देवभूमि उत्तराखंड के आज के नए लेख में। आज के इस लेकर माध्यम से हम आप लोगों के साथ उत्तराखंड के प्रसिद्ध समाज सुधारक एवं क्रांतिवीर व्यक्ति बद्री दत्त पांडे का जीवन परिचय के बारे में (Badri Dutt Pandey Biography) जानकारी देने वाले हैं। देवभूमि उत्तराखंड में ऐसे महान वीर सबूत एवं समाज सुधारक महान व्यक्तित्व वाले दिव्य आत्माओं ने जन्म लिया जिन्होंने अपना संपूर्ण जीवन समाज सुधार एवं इस देव तुल्य भूमि को प्रसिद्ध करने में लगा दिया। उन्ही महान एवं दिव्य आत्माओं में से एक है बद्री दत्त पांडे जो कि उत्तराखंड के इतिहास में पूर्वांचल केसरी के नाम से पहचाने जाते हैं। इसलिए के माध्यम से हम आपको बद्री दत्त पांडे का जीवन परिचय एवं (Badri Dutt Pandey Biography) बद्री दत्त पांडे के जीवन से जुड़े मुख्य पहलुओं के बारे में जानकारी देने वाले हैं आशा करते हैं कि आपको हमारा यह लेख जरूर पसंद आएगा। इसलिए इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें।

बद्री दत्त पांडे (पूर्वांचल केसरी ) जीवन परिचय।Badri Dutt Pandey Biography

बद्री दत्त पांडे का जन्म कनखल हरिद्वार में हुआ लेकिन वह मूल रूप से अल्मोड़ा से संबंध रखते हैं। यानी की उनके माता-पिता अल्मोड़ा के रहने वाले थे। बद्री दत्त पांडे एक महान क्रांतिवीर एवं योद्धा के रूप में तो पहचाने जाते ही है साथ में वह समाज सुधारक एवं एक उच्च कोटि की पत्रकार के रूप में भी पहचानी जाती है। इन्हीं सभी आदर्श गुना के कारण उन्हें पूर्वांचल केसरी के नाम से पुकारा गया और आज के समय में पूर्वांचल केसरी के नाम से उनके एक अलग छवि बनी हुई है।

बद्रीनाथ पांडे जी शिक्षा एवं करियर. Badri Dutt Pandey Biography & Carrier

बद्रीनाथ पांडे जी की शिक्षा अल्मोड़ा जिले से संपन्न हुई। 7 वर्ष की आयु में उनकी माता-पिता का निधन हो गया था। जिसके कारण वह अल्मोड़ा में आकर रहने लगे और उन्होंने अल्मोड़ा से ही स्कूली शिक्षा ग्रहण करी थी । भाई की मृत्यु हो जाने के कारण उन्हें बीच में ही अपनी पढ़ाई अधूरी छोड़नी पड़ी। लेकिन एक कुशल व्यक्तित्व एवं एक पढ़े-लिखे इंसान होने के नाते 1902 में सरगुजा राज्य के महाराज के अस्थाई व्यक्तिगत सचिव नियुक्त हुए। लेकिन स्वास्थ्य खराब हो जाने के कारण वह बीच में ही 1903 में अल्मोड़ा लौट आए। इसके बाद उन्हें नैनीताल के एक स्कूल में अध्यापक बनने का शुभ अवसर भी प्राप्त हुआ।

1905 में देहरादून के मिलिट्री वर्कशॉप में नौकरी लगने पर वह चकराता में नियुक्त हुए और यह नौकरी उन्होंने 1908 में छोड़कर पत्रकारिता के क्षेत्र में उतरना शुरू किया। लगभग 1908 से लेकर 1918 तक उन्होंने पत्रकारिता के क्षेत्र में अपनी सेवाएं प्रदान की इस बीच वह अल्मोड़ा अखबार के संपादक भी बने। 1918 में यह अखबार बंद हो गया और इसी वर्ष विजयदशमी के दिन अल्मोड़ा से ही ‘ शक्ति ‘ साप्ताहिक पत्र का प्रकाशन प्रारंभ हुआ।

बद्रीनाथ पांडे जी का स्वतंत्रता संग्राम में योगदान. Badri Dutt Pandey Biography & Contribution

1916 में कुमाऊं परिषद की स्थापना हुई। कुमाऊं में व्याप्त सामाजिक अभिशाप कुंडली बेगार एवं कुली उतार को समाप्त करना था। पूर्वांचल केसरी के रूप में पहचाना जाने वाले बद्रीनाथ पांडे जी ने समाज में व्याप्त इन तमाम प्रकार की बुराइयों को समाप्त करने में अपना सर्वाधिक योगदान दिया। 1962 में हुए भारत चीन युद्ध के समय उक्त स्वर्ण पदक राष्ट्रीय सुरक्षा को उसमें दान कर दिए थे।

बद्रीनाथ पांडे जी का राजनीतिक क्षेत्र में भी काफी अच्छा योगदान रहा है। आजादी के अपरांत उन्होंने सामाजिक कार्यों में सक्रियता बनाई रखी। 1957 में लोकसभा उपचुनाव में उन्हें कांग्रेस पार्टी ने टिकट दिया और वह भारी मतों से विजई रहे।

दोस्तों इस तरीके से बद्री दत्त पांडे जी का जीवन उत्तराखंड के विकास और देव तुल्य बनाने में अहम भूमिका रही। फरवरी 1965 में लंबी बीमारी के बाद बद्री दत्त पांडे का स्वर्गवास हो गया।

दोस्तों यह था हमारा आज का लेख जिसमें हमने आपको बद्री दत्त पांडे का जीवन परिचय के बारे में जानकारी दी। आशा करते हैं कि आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। आपको यह लेख पसंद आया है तो अपने दोस्तों और परिवार के साथ जरूर साझा करें।

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