नमस्ते दोस्तों स्वागत है आपका देव भूमि उत्तराखंड की आज के नए लेख में। आज के इस लेख के माध्यम से हम आपको भैरव बाबा उत्तराखंड के बारे में जानकारी देने वाले हैं। देवभूमि उत्तराखंड प्राचीन काल से ही दिव्य आत्माओं का निवास स्थान रही है। प्राचीन काल से ही इसके कण-कण में भगवान एवं देवी देवताओं का वास रहा है। उन्हीं दिव्य आत्माओं में से एक है भैरव बाबा जोकि उत्तराखंड में काफी प्रसिद्ध है। आज के इस लेख के माध्यम से हम आपको भैरव बाबा के बारे में जानकारी देने वाले हैं आशा करते हैं कि आपको हमारा यह लेख पसंद आएगा। इसलिए इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ना।
भैरव बाबा उत्तराखंड. Bhairabh Baba Uttarakhand
भैरव बाबा उत्तराखंड के कुल देव के रूप में भी पूजे जाते है। काल भैरव कलयुग के जागृत देवता हैं। भैरव बाबा भगवान शिव जी के पूर्ण रूप माने जाते हैं। भगवान शिव जी के रूपों में से एक भैरव बाबा कहानी के आधार पर किवदंती है कि ।
एक ऋषि-मुनियों ने सभी देवी देवताओं से पूछा कि आप सभी में से सर्वश्रेष्ठ कौन है। सभी देवी देवताओं के द्वारा एक ही ऊंचे स्वर में बताया गया कि ब्रह्मांड में सबसे अधिक सर्वश्रेष्ठ और ज्ञानी पूजनीय भगवान शिवजी है। यह बात सृष्टि की रचना सुनने वाले ब्रह्मा जी को पसंद नहीं आई और वे भगवान भोलेनाथ की वेशभूषा के बारे में उल्टा सीधा कहने लगे।
ब्रह्मा जी के पांचवें सिर ने कहा की जिस व्यक्ति के पास अच्छे वस्त्र और धन वैभव नहीं है वह व्यक्ति सृष्टि में सबसे कैसे हो सकते हैं। इन सभी बातों को सुनकर देवी देवताओं को बहुत दुख हुआ । उसी समय भगवान शिव और माता पार्वती के तेज से एक तेजपुंज पर प्रकट हुवा । वह तेज जोर-जोर से रुद्र कर रहे थे उस बालक को देखकर ब्रह्मा जी को लगा कि यह उनके तेज से उत्पन्न हुआ है। इसलिए उन्होंने उसका नाम रूद्र रख दिया जोकि भैरव बाबा के नाम से भी जाने जाते हैं।
भगवान शिव जी के बारे में ऐसे ऐसे प्रचंड शब्द उस बालक के द्वारा नहीं सुनी गए और उसने क्रोध में आकर अपने हाथ की कानी उंगली के नाखून से ब्रह्मा जी के पांचवे में सर को काट दिया। ऐसा कहा जाता है कि ब्रह्मा जी अपने पांचवे सिर से पांचवा वेद की रचना करने वाले थे।
इसी कारण से भैरव को ब्रह्मा जी की हत्या का पाप लग गया और उन्हें काल भैरव के नाम से जाना जाने लगा। इस शराब से बचने के लिए भगवान शिव जी ने भैरव जी से कहा कि तुम वर्मा जी के कटे हुए सिर को हाथ में लेकर भीख मांग कर अपने पापों और कष्टों को भुक्तोगे। और कहा कि जब तक तुम इस बात से मुक्त नहीं हो जाते तब तक आप लोग में घूमते रहो और तुम काशी में चले जाओ वही रहना।
जैसे ही भैरव जी काशी में पहुंचे और काशी में पहुंचने के बाद अचानक से ब्रह्मा जी का शीश स्वताः उनके हाथों से गिरकर काशी में गिर गया। और तभी भैरवनाथ अपने पाप से भी मुक्त हो गए। और माना जाता है कि जिस जगह पर ब्रह्मा जी का कपाल गिरा वह स्थान कपाल मोचन कहलाया।
दोस्तों यह भैरव बाबा उत्तराखंड के बारे में जानकारी। आशा करते हैं कि आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। आपको यह लेख कैसा लगा हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। और यदि आपको यह लेख पसंद आया है तो अपने दोस्तों और परिवार के साथ जरूर साझा करें। भैरवनाथ बाबा के बारे में अधिक जानकारी पाने वा पहुंचाने के लिए आप हमें ईमेल के माध्यम से भी संपर्क कर सकते हैं।
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