उत्तराखंड में पंच केदार. Panch Kedar Uttarakhand

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नमस्ते दोस्तों स्वागत है आपका देव भूमि उत्तराखंड के आज के नए लेख में। आज के इस लेख के माध्यम से हम आप लोगों के साथ उत्तराखंड के पंच केदार मंदिर के बारे में बात करने वाले हैं। देवभूमि उत्तराखंड प्राचीन काल से ही दिव्य आत्माओं का निवास स्थान रहा है। भगवान शिव जी को समर्पित यहां पर विभिन्न धार्मिक स्थल है जो कि इतिहास और पौराणिक महत्व के लिए पहचाने जाते हैं। आज हम आप लोगों के साथ उत्तराखंड के पंच केदार के बारे में जानकारी साझा करने वाले हैं आशा करते हैं दोस्तों की आपको हमारा यह लेख पसंद आएगा।

उत्तराखंड में पंच केदार. Panch Kedar Uttarakhand

वैसे तो देवभूमि उत्तराखंड में भगवान शिव जी को समर्पित कई ऐसे तीर्थ स्थल है जो आस्था और भक्ति की भावना से ओतप्रोत होते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि उत्तराखंड में पंच केदार है क्यों प्रसिद्ध है और क्यों इन पंच केदारों की यात्रा का बड़ा महत्व माना जाता है। जिस तरह से एक हर किसी मंदिर एवं धार्मिक स्थल के साथ किसी ना किसी प्रकार का पौराणिक महत्व छुपा होता है उसी तरीके से पंच केदार के पीछे भी पौराणिक महत्व छुपा हुआ है। इसीलिए इन 5 मंदिरों के समूह को पंच केदार कहा जाता है।

उत्तराखंड के गढ़वाल और कुमाऊं में स्थिति है पंच केदार असीम प्राकृतिक सौंदर्य को अपने में छुपाए बैठे हैं। हिमालय की पर्वत श्रृंखलाओं के मध्य शाश्वत संदेश देने वाले इन पंच के घरों को हिंदू धर्म में बड़ा ही पवित्र माना जाता है।

उत्तराखंड में पंच केदार कौन-कौन से हैं. Panch Kedar Kon Kon se Hai

  • केदारनाथ
  • तुंगनाथ
  • रुद्रनाथ
  • मध्यमेश्वर
  • कल्पेश्वर

उत्तराखंड में पंच केदार – केदारनाथ

भगवान शिव जी को समर्पित केदारनाथ मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। यह भगवान शिव जी के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक एवं पंच केदार में से एक मंदिर है। आस्था और भक्ति की भावना से ओतप्रोत यह मंदिर पूरे वर्ष भर में लाखों दर्शनार्थियों को आकर्षित करता है। समुद्र तल से 11746 फीट की ऊंचाई पर स्थित केदारनाथ मंदिर का निर्माण कत्यूरी शैली के अंतर्गत किया गया है।

हिमालय के सुंदर से विहंगम दृश्यों को प्रदर्शित करता है केदारनाथ मंदिर हिंदू धर्म का एक पवित्र स्थल है जो कि भारत के छोटे चार धामों में से एक हैं और चार धाम यात्रा का यह आखिरी पड़ाव रहता है।

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उत्तराखंड में पंच केदार – तुंगनाथ मंदिर

भगवान शिव जी को समर्पित तुंगनाथ मंदिर भारत के उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है । हिमालय की खूबसूरत प्राकृतिक वादियों के बीच में स्थिति भगवान भोलेनाथ का यह पावन धाम मंदिर 5000 वर्ष पुराना माना जाता है। तुंगनाथ मंदिर समुद्र तल से लगभग 3680 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।

यहां भगवान शिव जी के पंच केदार रूप में से एक की पूजा की जाती है। ऐतिहासिक मान्यता है कि तुंगनाथ मंदिर भगवान शिव जी के सबसे ऊंचाई पर स्थित मंदिरों में से एक है। जिसका निर्माण ग्रेनाइट पत्थरों से भव्य एवं आकर्षक तरीके से किया गया है। इसके आसपास का सुंदर सा वातावरण और हिमालय के शानदार दृश्य प्रस्तुत करते यहां के खूबसूरत से पर्वत शरद ऋतु में बर्फ की चादर ओढ़े दिखाई देते हैं।

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उत्तराखंड में पंच केदार – रुद्रनाथ महादेव मंदिर

पंच केदार में से एक रुद्रनाथ महादेव मंदिर में भगवान शिव जी के ₹1 अवतार की पूजा की जाती है। यहां पर भगवान शिव जी के ₹1 अवतार की मुखाकृति प्रकट हुई थी। इसलिए इस स्थान को पंच केदार मंदिरों में महत्वपूर्ण माना जाता है। समुद्र तल से 3600 मीटर की ऊंचाई पर स्थित रुद्रनाथ मंदिर उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है। पहाड़ के दुर्गम रास्तों से भरा यहां का सफर भगवान भोलेनाथ के दर्शन कराता है। यह मंदिर एक पहाड़ी गुफा में स्थित है। मंदिर से आसपास के खूबसूरत से नंदा देवी व त्रिशूल पर्वत के नजारे दिखाई देते हैं।

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उत्तराखंड में पंच केदार – मध्यमहेश्वर

मध्यमहेश्वर मंदिर उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र स्थित है और यहां पर भगवान शिव जी के बैल रूपी अवतार एवं नाभि, लिंग के रूप में पूजा की जाती है। इसी स्थान पर भगवान शिव जी ने माता पार्वती के साथ मधुर चांदनी रात बिताई थी। सर्दियों के समय में मंदिर में स्थित मूर्ति को उखीमठ में स्थानांतरित कर दिया जाता हैं।

लगभग दीपावली के बाद मंदिर के कपाट बंद किए जाते हैं और मंदिर में स्थित मूर्ति को उखीमठ में स्थापित किया जाता है। सर्दियों के समय में उखीमठ में ही दर्शन आरती दर्शन के लिए आते हैं।

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उत्तराखंड में पंच केदार – कल्पेश्वर मंदिर

पंच केदार में से एक कल्पेश्वर महादेव मंदिर में भगवान शिव जी के बैल रूपी अवतार के जटाओं की पूजा की जाती है। उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में स्थित कल्पेश्वर महादेव मंदिर समुद्र तल से लगभग 22 100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह पंच केदार में से एकमात्र पंच किधर ऐसा है जो दर्शनार्थियों के लिए 12 महीने खुला रहता है। यहां तक पहुंचने के लिए दर्शनार्थियों को एक प्राकृतिक गुफा की तरह रास्ते से प्रवेश होकर गुजरना पड़ता है।

कथाओं के अनुसार किवदंती है कि ऋषि दुर्वासा ने यहां कल्प वृक्ष के नीचे भगवान शिव जी की तपस्या की थी। तब से इस मंदिर का नाम कल्पेश्वर महादेव मंदिर रखा गया। सर्दियों के समय में इस मंदिर में बर्फबारी देखने को मिलती है।

पंच केदार यात्रा खर्चा. Panch Kedar Uttarakhand kharcha

जैसा कि हम आपको पहले भी बता चुके हैं कि पंच केदार यात्रा का महत्व कितना अधिक माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार पंच केदार के दर्शन करके मनुष्य के सभी पाप मिट जाते हैं। वैसे पंच केदार यात्रा खर्चा की बात की जाए तो यह आपके जगह एवं किस माध्यम से आप यात्रा कर रहे हैं उस पर निर्भर करता है।

सामान्यत है पंच केदार की यात्रा करते-करते लगभग 10 से 12 दिन लग जाते हैं और 12 दिन का यात्रा खर्चा लगभग 50000 से भी अधिक होता है। एक बात से हम अंदाजा लगा सकते हैं कि पंच केदार यात्रा में कितना खर्चा लगता है।

दोस्तों यह तो हमारा आज का लेख जिसमें हमने आपको पंच केदार यात्रा के बारे में जानकारी दी। आशा करते हैं कि आपको पंच केदार एवं पंच केदार यात्रा के बारे में जानकारी मिल गई होगी। यदि आपको यह लेख पसंद आया है तो अपने दोस्तों और परिवार के साथ जरूर साझा करें।

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