हेलो दोस्तों स्वागत है आपका देव भूमि उत्तराखंड के आज के नए लेख में। आज के इस लेख के माध्यम से हम आप लोगों के साथ नैना देवी मंदिर नैनीताल के बारे में जानकारी देने वाले हैं। देवभूमि उत्तराखंड प्राचीन काल से ही दिव्य आत्माओं का निवास स्थान है। उन्हीं दिव्या एवं पवित्र स्थलों में से एक हैं नैना देवी मंदिर नैनीताल जोकि अपने इतिहास और पौराणिक कहानी के लिए पहचानी जाती है। देवभूमि उत्तराखंड के आज के इस लेख के माध्यम से हम आपको नैना देवी मंदिर नैनीताल के बारे में संपूर्ण जानकारी देने वाले हैं आशा करते हैं दोस्तों की आपको हमारा यह लेख जरूर पसंद आएगा।
नैना देवी मंदिर नैनीताल. Naina Devi Temple Nainital
नैना देवी मंदिर उत्तराखंड के पवित्र धामों में से एक हैं जोकि राज्य के पर्यटन स्थल नैनीताल स्थित है। नैना देवी मंदिर नैनीताल धर्मों की पीठ पवित्र स्थल है। नैनीताल के नैनी झील के किनारे पर स्थित मल्लीताल में मां नैना देवी का पवित्र धाम है।
मां नैना देवी मंदिर नैनीताल की स्थापना 1842 में मोतीराम शाह द्वारा की गई। जबकि ऐतिहासिक मान्यताओं के आधार पर किंवदंती है कि मां नैना देवी का मंदिर सन 1880 में भूस्खलन से नष्ट हो गया था। जिसे बाद में दोबारा बनाया गया।
मां नैना देवी मंदिर नैनीताल में मां नैना देवी की पूजा की जाती है। मां नैना देवी मंदिर की मुख्य खासियत यह है कि यहां पर मां के संपूर्ण प्रतिमा नहीं है बल्कि केवल मां नैना देवी के दो नयन विराजमान है। इन्हीं दो नयनों कि यहां पर पूजा की जाती है।
नैना देवी मंदिर का रहस्य. Naina Devi Mandir Rahasay
मां नैना देवी मंदिर का रहस्य अपने आप में खास महत्व रखता है। यहां आए श्रद्धालुओं को मां नैना देवी मंदिर के रहस्य के बारे में जरूर जाना चाहिए। मंदिर में जब हम प्रवेश करते हैं तो देखने को मिलता है कि मंदिर में केवल मा नैना देवी के दो नयन विराजमान हैं जिनके प्रति स्थानीय लोगों का अटूट विश्वास है। शायद यही कारण है कि पूरे वर्ष भर में मां नैना देवी मंदिर नैनीताल में हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आया करते हैं।
मां नैना देवी मंदिर का रहस्य अद्भुत है किंवदंतियों के आधार पर यह भी माना जाता है कि दक्ष प्रजापति की पुत्री उमा का विवाह भगवान शिवजी से हुआ था। जिसका उल्लेख हिंदू ग्रंथों में भी देखने को मिलता है।
मां नैना देवी मंदिर नैनीताल जब आप प्रवेश करोगे तो आप देख पाओगे कि यहां पर मां नैना देवी का मंदिर मंदिर स्थित है इसी के साथ में मंदिर के प्रांगण में एक विशाल पीपल का पेड़ है जो कि यहां आए भक्तों को आराम प्रदान करता है। मां नैना देवी मंदिर का मुख्य मंदिर दो शेरों की मूर्तियों से गिरा हुआ है। वाकई में मां नैना देवी मंदिर का रहस्य अपने आप में खास स्थान रखता है।
नैना देवी का इतिहास. Naina Devi Mandir Itihas
मां नैना देवी का इतिहास पौराणिक काल से जुड़ा हुआ है। ऐतिहासिक ग्रंथों के अनुसार किवदंती है कि दक्ष की पुत्री उमा का विवाह भगवान शिव जी से हुआ था। दक्ष प्रजापति को भगवान शिव जी बिल्कुल भी पसंद नहीं थे किंतु दक्ष प्रजापति देवताओं के अनुरोध को मना नहीं कर सकते थे इसलिए मां नैना देवी का इतिहास हमें यह बताता है कि दक्ष प्रजापति ने अपनी पुत्री उमा का विवाह भगवान शिव जी से किया था।
पौराणिक कहानी के आधार पर माना जाता है कि एक बार दक्ष प्रजापति एक यज्ञ करवाते हैं। जिसमें वह सभी देवी देवताओं को आमंत्रित करते हैं लेकिन अपनी बेटी उमा और दामाद शिवजी को नहीं बुलाते हैं। लेकिन की बेटी उमा जैसे तैसे करके यज्ञ में पहुंच जाती है। दक्ष प्रजापति द्वारा उनका अपमान किया जाता है जोकि उमा से बिल्कुल भी सहन नहीं किया जा सका।
वह दुखी हो उठती है और हवन कुंड में यह कहते हुए कूद पढ़ती है कि मैं अगले जन्म में सिर्फ सिर्फ को ही अपना पति बनाऊंगी। आपने मेरे पति और मेरा जो अपमान किया है उसके फल स्वरुप यज्ञ की हवन कुंड में स्वयं जाकर आपके यज्ञ को असफल करती हूं।
दोस्तों इस तरह से मां नैना देवी मंदिर का इतिहास पौराणिक कहानियों के आधार पर जानने को मिलता है। इसके बाद जब यह दृश्य देख भगवान शिव जी अत्यंत क्रोधित होते हैं तो वह तांडव करना शुरू कर देते हैं। सभी देवी देवताओं का एहसास होता है कि कहीं भगवान शिवजी सृष्टि पर पलने ना कर दे इसलिए वह दक्ष प्रजापति के साथ सभी लोग माफी मांगते हैं।
जब भगवान शिव जी उमा के जले हुए शरीर को कंधे में लेकर ब्रह्मांड में भ्रमण कर रहे थे तो जिस स्थान पर उमा के अंग गिरे उस स्थान पर शक्तिपीठ हो गाएं। और जिस स्थान पर उमा के नयन गिरे वह स्थान नैना देवी के रूप में प्रसिद्ध हुआ।
प्यारे पाठको वाकई में मां नैना देवी का इतिहास अपने आप में एक खास महत्व रखता है। और देवभूमि उत्तराखंड को एक खास स्थान प्राप्त करता है कि यहां पर आज के समय में भी दिव्य आत्माओं का निवास स्थान है।
मां नैना देवी मंदिर कैसे जाएं. Naina Devi Mandir Kese Pahuchen
प्यारे दोस्तों यदि आप भी मां नैना देवी मंदिर कैसे जाएं प्रसन्न से परेशान हैं तो हम आपको एक ऐसा माध्यम बताने वाले हैं किसके द्वारा आप मां नैना देवी मंदिर नैनीताल के दर्शन आराम से कर सकते हैं।
मां नैना देवी मंदिर नैनीताल पहुंचने का सबसे बढ़िया साधन सड़क मार्ग है सड़क मार्ग के द्वारा मां नैना देवी मंदिर के दर्शन आराम से किए जा सकते हैं। मां नैना देवी का मंदिर नैनीताल में स्थित है जो कि देश के प्रसिद्ध शहरों से सड़क मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
इसके अलावा मां नैना देवी मंदिर का नजदीकी रेलवे स्टेशन देहरादून है और मां नैना देवी मंदिर नैनीताल का नजदीकी हवाई अड्डा जौलीग्रांट है यहां से नैनीताल की दूरी मात्र 40- 50 किलोमीटर है । यहां से आप बस एवं टैक्सी के माध्यम से भी अपनी यात्रा को शुरू कर सकते हैं।
दोस्तों यह तो हमारा आज का लेख मां नैना देवी मंदिर नैनीताल के बारे में जिसमें हमने आपको मां नैना देवी का इतिहास और मां नैना देवी का रहस्य के बारे में जानकारी दें। आशा करते हैं कि आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। यदि आपको यह लेख पसंद आया है तो अपने दोस्तों और परिवार के साथ जरूर साझा करें। और हमें टिप्पणी के माध्यम से बताएं कि आपको मां नैना देवी मंदिर नैनीताल के बारे में जानकर कैसा लगा।
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