नमस्ते दोस्तों स्वागत है आपका देव भूमि उत्तराखंड के आज के नए लेख में। आज के इस लेख के माध्यम से हम आप लोगों के साथ उत्तराखंड का लोक पर्व फूलदेई के बारे में ( Uttarakhand Lokparv Fooldei ) जानकारी देने वाले हैं। देवभूमि उत्तराखंड अपने विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक लोक पर्व एवं पर्वों के लिए पहचानी जाती है। यहां विभिन्न प्रकार के लोग पर्व अपने ऐतिहासिक संस्कृति और परंपराओं को संजोयें हुए हैं। उन्हीं लोकपर्वों में से एक हैं फूलदेई का त्योहार। आज हम आपको फूलदेई का त्यौहार कब मनाया जाता है और फूलदेई का त्यौहार क्यों मनाया जाता है के बारे में जानकारी साझा करने वाले हैं। आशा करते हैं कि आपको हमारे यह लेख जरूर पसंद आएगा।
फूलदेई का त्यौहार क्या होता है. Fooldei Parv Kya Hota Hai
देवभूमि उत्तराखंड में अनेक प्रकार के सांस्कृतिक लोक पर्व मनाए जाते हैं उन्हीं लोक पर्व एवं त्योहारों में से एक है फूलदेई का त्यौहार। उत्तराखंड को धरती का स्वर्ग कहा जाता है यहां प्राकृतिक सौंदर्य के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के फूल पत्ते और प्रकृति की खूबसूरती छुपी हुई होती है। हमारी प्रकृति हर वर्ष 4 ऋतुएं धारण करती है। हमारे प्रकृति जब वसंत ऋतु में प्रवेश करती है तो उत्तराखंड के लोगों द्वारा प्रकृति के इस नए रूप के स्वागत के लिए फूलदेई का त्यौहार मनाया जाता है।
वसंत ऋतु में हमारी प्रकृति चारों ओर से खूबसूरत पेड़ पौधे फूल और पत्तियों से अलंकृत होती है। प्रकृति का खूबसूरती का अंदाजा लगाना काफी मुश्किल होता है। छोटे छोटे प्यारे प्यारे फूल जंगलों में खिले होने के कारण बसंत ऋतु सभी ऋतु में से खास मानी जाती है। जिसकी आने की खुशी या प्रकृति का शुक्रगुजार करने के लिए उत्तराखंड के लोगों द्वारा फूलदेई का त्योहार मनाया जाता है।
फूलदेई पर्व कब मनाया जाता है. Phooldei Parv Kab Manay Jata Hai
फूलदेई का पावन पर्व प्रकृति के बसंत ऋतु आगमन पर मनाया जाता है। यानी कि हमारी प्रगति जब वसंत ऋतु में प्रवेश करती है तो इसकी चारों ओर की खूबसूरती और फूलों की सुगंधित खुशबू के आकर्षण के लिए फूलदेई का पर्व मनाया जाता है।
हिंदू कैलेंडर के अनुसार चैत्र मास के प्रथम दिन उत्तराखंड के लोगों द्वारा अपनी सभ्यता और परंपराओं को संजोने के लिए फूलदेई त्यौहार मनाया जाता है। हर साल मनाया जाने वाला यह पर्व केवल देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है।
फूलदेई कब है 2023. Phooldei Kab Hai 2023
लोकपर्व फूलदेई उत्तराखंड में बड़ी ही आस्था और भक्ति भावना के साथ मनाई जाती है। सभी लोंगो द्वारा फूलदेई कब है 2023 के बारें जानने के लिए बेताब है। जैसा की हम आपको पहले भी बता चुके है की फूलदेई का त्यौहार चैत्र माह के प्रथम दिन मनाई जाती है। उत्तराखंड के लोगों द्वारा यह फूलदेई का पर्व बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। 2023 में फूलदेई का पर्व 14 मार्च को मनाया जायेगा। यह दिन सभी छोटे बच्चों के लिए बेहद खास होता है।
फूलदेई पर्व का इतिहास. Phooldei Parv Ka Itihas
प्यारे दोस्तों जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं कि किसी भी लोक पर्व एवं त्योहार के पीछे ऐतिहासिक महत्व जरूर छिपा होता है। ठीक उसी तरह से फूलदेई पर्व के पीछे भी ऐतिहासिक कहानी देखने को मिलती है। पौराणिक कथाओं में फूलदेई पर्व का इतिहास के बारे में बताया गया है कि एक राजकुमारी का विवाह दूर किसी पहाड़ी गांव में हो जाती है जहा उसे अपने मायके की याद सताती है।
वह अपने सासु माँ से मायके जाने का आग्रह करती है लेकिन उसकी सास मायके जाने से माना कर देती है। मायके की याद में एक दिन राजकुमारी की मृत्यु हो जाती है और उसके ससुराल वाले उसे मायके के नजदीक ही दफना देते है। जिस स्थान पर राजकुमारी को दफनाया गया था इस जगह कुछ समय बाद एक पिले रंग का आकर्षक फूल खिल उठता है जिसे फ्योंली के नाम से जाना जाता है। इसलिए ऐतिहासिक कथाओं के अनुसार फूलदेई का पर्व मनाया जाता है।
उत्तराखंड में फूलदेई केसे मनाई जाती है. Uttarakhand Lokparv Fooldei Kesi Manai Jati Hai
फूलदेई का त्यौहार उत्तराखंड में हर वर्ष चैत्र माह के प्रथम दिन बड़ी ही आस्था और भक्ति भावना के साथ मनाया जाता है। उत्तराखंड की परंपरा और संस्कृति को अपने में समेटे यह पर्व छोटे बच्चों के द्वारा मनाया जाता है। छोटे बच्चों के माध्यम से ही यह पर्व अपने चरम अवस्था में पहुंचता है। दिन की शुरुआत सभी लोग स्नान करने से करते हैं। बसंत ऋतु में उत्तराखंड में विभिन्न प्रकार के फूल जैसे बुरांश, फ्यूली, पैया, सरसों आदि प्रकार के विभिन्न फूल खिले हुए होते हैं।
छोटे बच्चों के माध्यम से इन फूलों को खेत खलियान उसे तोड़कर लाया जाता है और एक पारंपरिक टोकरी में सजाकर सभी बच्चे एकत्रित होकर गांव की सभी घरों की दहलीज पर फूल चढ़ाते हैं। आज के दिन दहलीज पर फूल चढ़ाना महत्वपूर्ण माना जाता है। बताया जाता है कि दहलीज पर फूल चढ़ाने से घर में मां लक्ष्मी प्रवेश करती है। और देवी देवताओं का आशीर्वाद बना रहता है।
घर की दहलीज पर फूल चढ़ाने के बाद घर की महिलाओं द्वारा बच्चों को आशीर्वाद के रूप में अनाज और मिठाई आदि चीजें दी जाती है। उत्तराखंड में फूलदेई का त्यौहार आस्था और भक्ति भावना के साथ मनाया जाता है।
प्यारे पाठको यह था हमारा आज का लेख जिसमें हमने आपको फूलदेई पर्व के बारे में जानकारी दी। आशा करते हैं कि आपको हमारा यह लेख जरूर पसंद आया होगा इसलिए अपने दोस्तों और परिवार के साथ जरूर साझा करें।
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