नमस्ते दोस्तों स्वागत है आपका देव भूमि उत्तराखंड के आज की नई लेख में। आज के इस लेख के माध्यम से हम आप सभी लोगों के साथ उत्तराखंड का स्वादिष्ट फल तिमला ( Timla Fhal Uttarakhand ) के बारे में जानकारी देने वाले हैं। देवभूमि उत्तराखंड में तमाम प्रकार के प्राकृतिक स्रोत से फल एवं जड़ी बूटियां पाई जाती है। उन्हीं प्राकृतिक फल में से एक है कि मिला जोकि उत्तराखंड में काफी प्रसिद्ध है। आज की इस लेख में हम उत्तराखंड का स्वादिष्ट फल तिमला ( Timla Fhal Uttarakhand) और तिमला पोषक तत्वों (Timla Fhal Ke Poshak Tatwa)के बारे में जानकारी देने वाले हैं आशा करते हैं कि आपको हमारा यह लेख जरूर पसंद आएगा इसलिए इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ना।
उत्तराखंड का स्वादिष्ट फल तिमला. Timla Fhal Uttarakhand
देवभूमि उत्तराखंड में कुदरत के खजाने से बहुमूल्य फल एवं जड़ी बूटियां प्राप्त हैं उन्हीं बहुमूल्य जड़ी बूटियों एवं फलों में से एक है तिमला फल जोकि उत्तराखंड में काफी प्रसिद्ध है। इसका स्वाद और मिठास लोगों को इसका दीवाना बना देती है। उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में से तिमला फल ( Timla Fhal Uttarakhand), तिमुल, तिमलु के नाम से भी जाना जाता है। हिंदी में इस फल को अंजीर कहते हैं। प्रकृति के स्रोतों से यह फल एवं यह पौधा स्वयं ही उगता है। यह उत्तराखंड के साथ-साथ दक्षिण अमेरिका और भूटान, नेपाल, हिमाचल जैसे अन्य राज्यों में भी बहुतायत मात्रा में पाया जाता है।
इसे उगाने एवं देखरेख करने की जरूरत नहीं होती है यह कुदरत के खजाने से प्राप्त एक बहुमूल्य फल है जो कि पौष्टिक तत्वों से भरपूर है। तिमला फल को अंग्रेजी में Elephant fig कहते हैं एवं इसका वैज्ञानिक नाम ficus auriculata है। मूल रूप से यह फल 800 से 2000 मीटर की ऊंचाई में आसानी से मिल जाता। लगभग उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में यह अधिक मात्रा में पाया जाता है।
वैसे तो तिमला फल जब लगता है तो इसकी शुरुआत में लाल रंग के फूल होते हैं जो कि बहुत प्यारे दिखाई देते हैं। फूल के बाद यह अपनी आखिरी अवस्था में फल के रूप में परिवर्तित हो जाती है। वैज्ञानिकों के अनुसार पहाड़ों में यह फल कृषि वानिकी अन्तर्गत आता है।
तिमला के पोषक तत्व. Timla Fhal Ke Poshak Tatwa
तिमला प्रकृति के द्वारा उत्पन्न एक औषधीय फल एवं पौधा है जिसमें तमाम प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते। आयुर्वेद में इस फल को औषधि के रूप में उपयोग में लाया जाता है इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्व विभिन्न रोगों के उपचार में दवाई का काम करती है। तिमला के पोषक तत्व में पोटेशियम, फास्फोरस, कैलशियम मैग्निशियम, विटामिन ए और बी आदि पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं।
एक शोध पत्र प्रकाशित “इंटरनेशनल जर्नल ऑफ फार्मास्यूटिकल साइंसेज रिव्यू एंड रिसर्च” के द्वार तिमुल फल की पोषण सामग्री ( Timla Fhal Uttarakhand )के बारे में विस्तार से बताया है कि इसमें सेब और आम के संवर्धित फलों की तुलना में वसा, प्रोटीन, फाइबर और खनिजों का उच्च मूल्य शामिल है।
प्यारे पाठको आप इस बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि पहाड़ में उत्पन्न होने वाला यह प्यारा सा फल तिमला हमारे शरीर के लिए कितना लाभदायक होता है। यह उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों में ग्रीष्म ऋतु में पाया जाता है।
तिमला फल सेवन के लाभ. Timla Fhal Ke Labh
दोस्तों तिमला एक औषधीय फल है यह हम कह सकते हैं कि एक औषधीय पौधा है जिसमें तमाम प्रकार के आयुर्वेदिक गुण पाए जाने के कारण इसके सेवन से विभिन्न प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं।
तिमला फल के सेवन से होने वाले फायदे. Timla Fhal Ke Fayede
- कैंसर में यह फल बहुत लाभकारी माना जाता है । शोधकर्ताओं के अनुसार कैंसर में इस फल का उपयोग लाभकारी होता है।
- तिमला से निकलने वाला तेल बहुत लाभदायक माना जाता है। इससे हृदय रोग और कोलेस्ट्रॉल को कम करने की दवाइयां बनाई जाती है।
- तिमला पल में पाया जाने वाला कैल्शियम हड्डियों को मजबूत करता है
- तिमला फल को सुखाकर पानी में भिगोकर उपयोग करने से छाती के रोगों में लाभ प्राप्त होता है।
- मधुमेह के रोग में तिमला फल का सेवन लाभकारी माना जाता है।
तिमला फल के उपयोग. Timla Fhal Ke Upyog
दोस्तों तिमला फल का उपयोग विभिन्न प्रकार के चीजों को बनाने में किया जाता है। इसमें पाए जाने वाले तमाम प्रकार के पोषक तत्व हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते हैं। इसलिए शोधकर्ताओं के माध्यम से तिमला फल को कई जगह उपयोग किया जाता है
- तिमला एक स्वादिष्ट फल है इसका उपयोग कच्चा भी किया जाता है। पहाड़ी लोगों के द्वारा तिमला फल का उपयोग सब्जी बनाने के लिए भी किया जाता है।
- तिमला का रायता उत्तराखंड में काफी पसंद किया जाता है। दोस्तों बताना चाहेंगे कि तिमला एक गुणकारी फल है जो पेट के अलावा विभिन्न प्रकार के रोगों को खत्म करने में औषधि का कार्य करता है। पहाड़ी क्षेत्र में तिमला फल का उपयोग रायता बनाने के लिए भी किया जाता है। इसका रास्ता स्वादिष्ट होने के साथ-साथ पोषक तत्वों से भरपूर होता है जो कि हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है।
- तिमला पेड़ के पत्तों का उपयोग दुधारू पशुओं को खिलाने में किया। पहाड़ी क्षेत्र के दूरवर्ती गांव में जो चारी की समस्या उत्पन्न होती है तो दुधारू पशु रखने वाले पशुपालकों द्वारा तिमला के पत्तों का उपयोग दुधारू पशुओं को चारे के रूप में खिलाने में उपयोग किया जाता है।
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अस्वीकरण
प्यारे पाठको यह लेख केवल जानकारी एवं शैक्षणिक प्रयोग के लिए साझा किया गया है। तिमला फल का उपयोग किसी भी प्रकार के उपचार में करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें। देवभूमि उत्तराखंड आपको कभी भी किसी भी प्रकार की औषधि को अपनाने की सलाह नहीं देता है।
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