नमस्ते दोस्तों स्वागत है आपका देवभूमि उत्तराखंड के आज के नए लेख में। आज के इस लेख के माध्यम से हम आपको उत्तराखंड के चार धाम में से एक गंगोत्री धाम का इतिहास के बारे में ( Gangotri Dham Ka Itihas ) जानकारी देने वाले हैं। जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं कि देवभूमि उत्तराखंड अपने पवित्र और चार छोटे धामों के लिए प्रसिद्ध है। इनकी पौराणिक और ऐतिहासिक कहानी धर्म ग्रंथों, उपनिषदों एवं वेदों में जानने को मिलती है। आज हम आपके साथ गंगोत्री धाम का इतिहास के बारे में संपूर्ण जानकारी साझा करने वाले हैं। आशा करते हैं आपको हमारा यह लेख जरूर पसंद आएगा।
गंगोत्री धाम के बारे में. Gangotri Dham Ke Baren Me
गंगोत्री धाम मंदिर उत्तराखंड की चार छोटे धामों में से एक है। जो कि मां गंगा को समर्पित है। चार छोटे धामों में से इसका पढ़ाओ दूसरे नंबर पर आता है। उत्तराखंड के चार छोटे धामों की यात्रा का बड़ा महत्व माना गया है। पौराणिक कहानियों के आधार पर माना जाता है कि चारों धामों की यात्रा करके मनुष्य को सुख समृद्धि के साथ मोक्ष की प्राप्ति होती है। उन्हीं चार छोटे धामों में से एक गंगोत्री धाम मंदिर का पड़ाव दूसरे नंबर पर आता है। पवित्र गंगोत्री धाम मंदिर उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
पौराणिक मान्यताओं के आधार पर माना जाता है कि यह वही स्थान है जहां से मां गंगा धरती पर अवतरित हुई थी। वर्तमान समय में इसे गंगोत्री तीर्थ के नाम से जाना जाता है। यमुनोत्री धाम के बाद गंगोत्री धाम की यात्रा की जाती है।
समुद्र तल से 3100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित गंगोत्री धाम मंदिर ग्रेटर हिमालय रेंज में स्थित है। गंगा नदी का उद्गम स्रोत यहां से 24 किलोमीटर दूर गंगोत्री ग्लेशियर से होता है। गंगोत्री ग्लेशियर की ऊंचाई लगभग 4225 मीटर है।
गंगोत्री धाम पौराणिक कहानी. Gangotri Dham Ki Kahani
पौराणिक कथा के अनुसार भगवान श्री रामचंद्र के पूर्वज रघुकुल के चक्रवर्ती राजा भागीरथ में इस स्थान पर एक पवित्र शिलाखंड में बैठकर भगवान शंकर की तपस्या की थी। इतिहास के अनुसार माना जाता है कि यह वही स्थान है जहां पर देवी गंगा ने धरती को स्पर्श किया था।
गंगोत्री धाम का इतिहास के अनुसार (Gangotri Dham Ka Itihas )किवदंती यह भी है कि पांडवों ने महाभारत के युद्ध में मरने वाले अपने परिजनों की आत्मिक शांति के निमित्त इसी स्थान पर आकर एक महादेव यज्ञ करवाया था।
मां गंगोत्री धाम का पावन धाम उत्तराखंड के पवित्र धामों में से एक है। गंगोत्री से 19 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गोमुख भागीरथी नदी का उद्गम स्थल है। मान्यता है कि यहां के बर्फीले पानी से स्नान करने से मनुष्य के सभी पाप प्रायश्चित हो जाते हैं।
गंगोत्री धाम का इतिहास के अनुसार यह भी माना जाता है कि भगवान शिव जी इस जगह ने अपनी कथाओं को फैला कर बैठ गए और उन्होंने गंगा माता को अपने घुंघराली जटाओं में लपेट दिया।
गंगोत्री धाम की मान्यताएं. Gangotri Dham Ki Manyta
गंगोत्री धाम के इतिहास के अनुसार (Gangotri Dham Ka Itihas ) मान्यता है कि देवी गंगा ने स्वर्ग से उतर कर सर्वप्रथम गंगोत्री में ही धरती को स्पर्श किया था। इसलिए गंगोत्री धाम की यात्रा बड़ी ही शुभ मानी जाती है।
गंगोत्री ग्लेशियर के पानी से स्नान करने के बारे में मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु गंगोत्री के लिए शेर के बर्फीले पानी से स्नान करते हैं उन्हें सभी पापों से मुक्ति प्राप्त होती है।
गंगोत्री धाम का इतिहास F&Q
Q – गंगोत्री पर्वत की ऊंचाई
Q – गंगोत्री नदी कहां है
Q – गंगोत्री से यमुनोत्री की दूरी
Q – गंगोत्री धाम यात्रा
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