सीता राम को ब्याह कुमाउनी होली गीत. Kumauni Holi Geet

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हेलो दोस्तों स्वागत है आपका देवभूमि उत्तराखंड के आज के नए लेख में। आज के इस लेख के माध्यम से हम आपको कुमाऊनी होली का गीत ” सीताराम को ब्याह “ ( Sita Ram Ko Vyaha ) के बारे में जानकारी देने वाले हैं आशा करते हैं कि आपको इस होली के गीत की बोलियां सुनकर अच्छा लगेगा।

देवभूमि उत्तराखंड अपनी सांस्कृतिक विरासत के लिए पूरे देश विदेश में प्रसिद्ध है। यहां की संस्कृति और लोक कलाओं में परंपरा की झलक दिखाई देती है। होली उत्तराखंड का प्रमुख लोक पर्व माना जाता है। और देवभूमि उत्तराखंड में होली मनाने का बड़ा ही सांस्कृतिक तरीका देखने को मिलता है। बड़े ही सत्य एवं पारंपरिक तरीके से उत्तराखंड के लोगों द्वारा होली पर्व मनाया जाता है।

होली के कुछ दिन पहले गांव के सभी खास तौर पर बच्चे और पुरुष एकत्रित होकर अपने आसपास के सभी गांव के घरों में जाकर होली के खूबसूरत से गीत गायन करते हैं और बड़े ही पारंपरिक तरीके से यहां के लोग होली की शुभकामनाएं देते हैं।

चलिए हम आपको कुछ होली के दिनों में गाए जाने वाले गीतों में से एक “सीता राम की ब्याह” ( Sita Ram Ko Vyaha ) लोकगीत के बोल सुनवाते है। आशा है कि आपको यह लोकगीत सुनकर जरूर अपने पुराने समय की याद आने वाली है और आप फिर से उन्हीं खूबसूरत पलों में खोना चाहोगे जिस पल के साथ आपकी बहुत मीठी यादें जुड़ी है ।

सीता राम को ब्याह जनकपुर जाना है ।।
कै लख आये रे हस्ती घोड़ा, कै लख राम बरात,
जनकपुर जाना है, सीता राम को ब्याह ।
छः लख आये रे हस्ती घोड़ा, अनगिन राम बरात,
सीता राम को ब्याह जनकपुर जाना है ।
हरिहर गोबर मंदिर लिपायों, मोतियन चैक पुराय,
जनकपुर जाना है, सीता राम को ब्याह ।
अबीर गलाल के मंडप बने हैं, रेशम डोर फिराय,
सीता राम को ब्याह, जनकपुर जाना है।
भर मोतियन के कलश भराये, हो रही जै जै कार,
जनकपुर जाना है, सीता राम को ब्याह ।

दोस्तों आज भी कहीं ना कहीं उत्तराखंड में इन लोकगीतों की झलक देखने को मिलती है। आज भले ही कई गांव प्लान की चपेट में आकर खाली है लेकिन वहां पर रहने वाले छोटे-छोटे बच्चे अपने संस्कृति और परंपराओं को बेखुदी से संजोने का काम करते हैं। हालांकि पिछले कुछ दशकों से उत्तराखंड में हो रही लगातार पलायन से इस बात की पुष्टि होती है कि अब धीरे-धीरे उत्तराखंड के गांव अपनी सांस्कृतिक विरासत को को रहे हैं और कहीं ना कहीं वह अपने परंपरा और रीति रिवाज को खुद से अलग कर रहे हैं। एक समय पश्चात फिर यही संस्कृति और परंपराएं हमें किताबों में पढ़ने को मिलेगी। इससे अच्छा है कि आप कहीं भी रहो अपनी संस्कृति और परंपराओं के अनुसार आपको अपने लोग पर्व त्यौहार और भाषा बोली का प्रयोग करना चाहिए।

दोस्तों यह था हमारा आजकल एक जिसमें हमने आपको कुमाऊनी होली का गीत ” सीताराम को ब्याह ” ( Sita Ram Ko Vyaha ) के कुछ बोल सुनने की कोशिश की। आशा करते हैं कि आपको यह जानकारी अच्छी लगी होगी । यदि आपको यह जानकारी अच्छी लगी है तो अपने दोस्तों और परिवार के साथ जरूर साझा करें। उत्तराखंड से संबंधित ऐसे ही जानकारी युक्त लेख पाने के लिए देवभूमि उत्तराखंड को जरूर फॉलो करें।

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