गुप्तकाशी मंदिर रुद्रप्रयाग. Guptkashi Temple Rudraprayag

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Guptkashi Temple Rudraprayag
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हेलो दोस्तों स्वागत है आपका देव भूमि उत्तराखंड के आज के नए ब्लॉग में। आज के इस ब्लॉग के माध्यम से हम आप लोगों के साथ गुप्तकाशी मंदिर ( Guptkashi Temple Rudraprayag) के बारे में जानकारी देने वाले हैं। गुप्तकाशी मंदिर उत्तराखंड के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। यदि आप भी गुप्तकाशी मंदिर के बारे में जानकारी हासिल करना चाहते हैं तो इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ाना।

गुप्तकाशी मंदिर रुद्रप्रयाग. Guptkashi Temple Rudraprayag

गुप्तकाशी मंदिर उत्तराखंड के प्रसिद्ध जिला रुद्रप्रयाग में स्थित है। समुद्र तल से लगभग 1319 मीटर की ऊंचाई पर स्थित गुप्तकाशी मंदिर ( Guptkashi Temple Rudraprayag ) अपने भव्य उत्सव और धार्मिक स्थल के लिए पहचाना जाता है। गुप्तकाशी मंदिर केदारनाथ पर्वत के मार्ग पर मंदाकिनी नदी के किनारे पर स्थित है। यह प्रसिद्ध मंदिर भगवान भोलेनाथ को समर्पित है। भगवान भोलेनाथ के भक्तों का यह एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल बना हुआ है। वैसे तो इस मंदिर में दर्शनार्थियों का आना जाना लगा रहता है लेकिन खासतौर पर शिवरात्रि के दिन यहां पर अच्छी खासी भीड़ देखने को मिल जाती है

गुप्तकाशी मंदिर को विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी ( Guptkashi Temple Rudraprayag ) के नाम से भी पहचाना जाता है। गुप्तकाशी मंदिर केदारनाथ से 47 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसके आस पास बहुत सारे मंदिर है जो धार्मिक आस्था और भक्ति के प्रतीक है। पूरे वर्ष भर में इन मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ लगी हुई रहती है।

मंदिर के आसपास के खूबसूरत से पर्वत यहां आए सिरदा लोगों को काफी आकर्षित करते हैं। यहां से खूबसूरत बर्फीले पहाड़ हरियाली और मंदिर में आए श्रद्धालुओं की भीड़ और उत्तराखंड की एक सांस्कृतिक विरासत देखने को मिलती है।

गुप्तकाशी मंदिर की पौराणिक कथा. Guptkashi Temple Rudraprayag

पौराणिक कथाओं में गुप्तकाशी मंदिर का बड़ा ही महत्व माना जाता है। किवदंती है कुरुक्षेत्र हरियाणा में कौरव और पांडवों के बीच में युद्ध हुआ तो वहां पर पांडवों ने कई व्यक्तियों को और अपने भाइयों था वध कर दिया। इन सभी योद्धाओं की मृत्यु का दोष पांडवों पर लग गया। पांडव इस दोष से बचने के लिए या इस दोष के निवारण के लिए भगवान शिव जी से माफी मांगना और उनका आशीर्वाद लेना चाहते थे। लेकिन भगवान भोलेनाथ पांडवों से रुष्ट हो गए थे क्योंकि पांडवों ने उस कुरुक्षेत्र में भगवान भोलेनाथ के भक्तों का भी वध किया था।

अपने दोषों से मुक्ति पाने के लिए पांडवों ने भगवान शिव जी की पूजा अर्चना की और उनके दर्शन के लिए निकल पड़े। भगवान भोलेनाथ जी हिमालय के इसी स्थान पर ध्यान मग्न थे। जब भगवान भोलेनाथ को इस विषय की सूचना मिली तो वह नंदी बैल का रूप धारण करके अंतर्ध्यान हो गए या हम यह भी कह सकते हैं कि वह पांडवों से गुप्त हो गए थे इसी वजह से इस स्थान का नाम गुप्तकाशी रखा गया ।

Guptkashi Temple Rudraprayag

पांडव भगवान भोलेनाथ के दर्शन पाने के लिए तरह तरह के प्रयास करने लगे और उन्हें ढूंढने लगे। भगवान शिव जी पंच केदार यानी कि मद्महेश्वर, रुद्रनाथ, तुंगनाथ, कल्पेश्वर और केदारनाथ में अनेक भागों में प्रकट हुए। गुप्तकाशी मंदिर की भी पंच केदार समूह मंदिर के बराबरी मान्यता है। किसी मंदिर के पास यहां पर एक अन्य मंदिर है जिसे अर्धनारीश्वर यानी कि आधा पुरुष और आधा नारी के नाम से भी पहचाना जाता है। भगवान शिव जी और मां पार्वती को समर्पित यह मंदिर भी श्रद्धालुओं का आकर्षक का कारण बना हुआ है।

किवदंती है कि भगवान शिव जी ने माता पार्वती के समक्ष विवाह का प्रस्ताव इसी स्थान पर रखा था जिसके जिसके बाद माता पार्वती और भगवान शिव जी का विवाह त्रियुगीनारायण मंदिर में संपन्न हुआ।

इस मंदिर परिसर में एक जलकुंड है जिसे मणिकार्णिका कुंड कहा जाता है। मान्यता है कि इस कुंडली का जल गंगा और यमुना नदी का प्रतिनिधित्व करती है।

चलिए दोस्तों अब यह भी जान लेते हैं कि गुप्तकाशी मंदिर के दर्शन किस तरीके से कर सकते हैं और किस तरीके से दर्शनार्थी गुप्तकाशी मंदिर तक पहुंच सकते है।

गुप्तकाशी मंदिर कैसे पहुंचे. How to Reach Guptkashi Temple Rudraprayag

गुप्तकाशी मंदिर पहुंचने के लिए सड़क मार्ग और रेल मार्ग के अलावा वायु मार्ग का विकल्प भी उपलब्ध है लेकिन सबसे अच्छा सड़क एवं रेल मार्ग माना जाता है।

सड़क मार्ग द्वारा गुप्तकाशी मंदिर. By Road Guptkashi Temple Rudraprayag

सड़क मार्ग के माध्यम से गुप्तकाशी मंदिर आराम से पहुंचा जा सकता है एनएच 109 के माध्यम से कई वर्ष एवं टैक्सी सर्विस उपलब्ध है।

रेल मार्ग द्वारा गुप्तकाशी मंदिर. By Train Guptkashi Temple Rudraprayag

रेल मार्ग द्वारा गुप्तकाशी मंदिर ( Guptkashi Temple Rudraprayag ) पहुंचने की बात करें तो गुप्तकाशी का नजदीकी रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है और ऋषिकेश से गुप्तकाशी मंदिर की दूरी लगभग 168 किलोमीटर है। यहां से श्रद्धालुओं को बस एवं प्राइवेट टैक्सी या मिल जाती है।

वायु मार्ग द्वारा गुप्तकाशी मंदिर. By Air Guptkashi Temple Rudraprayag

वायु मार्ग द्वारा गुप्तकाशी मंदिर पहुंचने के लिए 190 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है। गुप्तकाशी मंदिर का नजदीकी एयरपोर्ट जौली ग्रांट एयरपोर्ट है यहां से प्राइवेट टैक्सी एवं बसों के माध्यम से भी दर्शनार्थी यात्रा के लिए आते हैं।

दोस्तों यह तो हमारा आज का लेख जिसमें हमने आपको गुप्तकाशी मंदिर के बारे में ( Guptkashi Temple Rudraprayag ) जानकारी दी। आशा करते हैं कि आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा यदि आपको यह ब्लॉग पसंद आया है तो अपने दोस्तों और परिवार के साथ जरूर साझा करें।


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