चांदपुर गढ़ी किला उत्तराखंड. Chandpur Garhi fort

Chandpur Garhi fort

हेलो दोस्तों स्वागत है आपका देवभूमि उत्तराखंड की आज की नई लेख में. आज के इस लेख में हम आप लोगों के साथ उत्तराखंड का ऐतिहासिक किला चांदपुर गढ़ी किला के बारे में ( Chandpur Garhi fort) जानकारी देने वाले हैं। उत्तराखंड के इतिहास में चांदपुर गढ़ी किला कहां अपने आप में खास इतिहास है आज हम आप लोगों को चांदपुर गढ़ी किला के बारे में संपूर्ण जानकारी देने वाले हैं। इसलिए इसलिए को अंत तक जरूर पढ़ना। चलिए लेख को शुरू करते हैं।

चांदपुर गढ़ी किला उत्तराखंड. Chandpur Garhi fort

उत्तराखंड के सुनहरे पहाड़ों के बीच में स्थित 52 गढ़ों पर राज करने वाला चांदपुर गढ़ी किला उत्तराखंड की प्राचीन राजधानी हुआ करती थी। यह चांदपुर गढ़ी किला ( Chandpur Garhi fort) उत्तराखंड के कैलाश यात्रा पर पड़ने वाला मुख्य मार्ग पर स्थित है। जिसने उत्तराखंड की संस्कृति और परंपराओं को नएं आयाम दिए हैं। चांदपुर गढ़ी का इतिहासिक किला आदि बद्री से 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित चमोली के चांदपुरगढ़ में स्थित है।

पुरातात्विक साक्ष के अनुसार भिलंग राज्य के राजा सोनपाल ने चांदपुर गढ़ में शासन किया था। मालवा के राजा कनक पाल से सोनपाल की इकलौती पुत्री का विवाह हो जाता है। इतिहासकारों के अनुसार माना जाता है कि कनक पाल गुजरात से गढ़वाल के क्षेत्र में आया था और एक कुशल राजनीति की भी था। जिसका फायदा उठाकर उसने गढ़वाल के कई क्षेत्रों को जीता था और उन पर अपना संपूर्ण आधिपत्य बनाया था। कनक पाल ही वहां राजा है जिसने चांदपुर गढ़ी को गढ़वाल की राजधानी बनाया था। और इसके बाद उसने पावर वंश की स्थापना की थी।

ऐतिहासिक महल चांदपुर गढ़ी किला.Chandpur Garhi fort

चांदपुर गढ़ी किला अपने समय में वह एक सुसज्जित महल हुआ करता था। राजा कनक पाल के बाद पवार वंश के कई राजाओं ने शासन किया इसके साक्ष्य किले के अवशेष से प्राप्त होते हैं।

चांदपुर गढ़ी किला ( Chandpur Garhi fort) के निर्माण की बात की जाए तो केले की बनावट के बारे में बताया जाता है कि केले की दीवारें एक से दो फीट मोटी है। दीवार के पत्थरों पर की गई कलात्मक नक्काशी से जानकारी मिलती है कि उसे समय राज्य के कलाकारों को संपूर्ण जानकारी हुआ करती थी। किले में सीढ़ियां बनाई गई है जिससे इस बात का अंदाजा लगाया जाता है कि चांदपुर गढ़ी किला दो मंजिला हो सकता है।

Chandpur Garhi fort (1)

जल निकासी के लिए किले के चारों ओर पत्थरों से नालियां बनाई गई है जो की किले के चारों ओर से पानी के बहाव को बाहर छोड़ती है। वही केले के बाहर की ओर देखे तो दीवारों पर घर नुमा संरचनाओं बनाई गई है जिससे इतिहासकारों के अनुसार माना जाता है कि यहां पर सिपाहिया अपने अस्त्र-शस्त्र रखते थे उसे समय प्रदीप शाह द्वारा तोपखानों हुआ स्टार्स का निर्माण किया जाता था।

चांदपुर गढ़ी से स्थानांतरित हुई राजधानी श्रीनगर, Chandpur Garhi fort Old Captital of Uttarakhand

यस करो एवं पुरातात्विक शासको के अनुसार ऐसा माना जाता है कि अजय पाल पावर वंश का 37वा राजा था जो शक्तिशाली होने के साथ-साथ एक कुशल राजनीतिज्ञ भी था। यह उस समय की बात है जब गढ़वाल में राजनीतिक उथल-पुथल मची हुई थी और इसी बात का फायदा उठाकर उसने 52 गढ़ों को जीतकर अपने अधीन कर दिया । द्वारा जीते गए समस्त क्षेत्र को गढ़वाल का नाम दिया गया। 1173 ईस्वी में अपनी राजधानी चांदपुर से श्रीनगर के देवलगढ़ में स्थानांतरित की थी।

इस विषय में चांदपुर गढ़ के स्थानीय लोगों का मत है कि अजय पाल की राजधानी परितत्य करने के कारण गोरखाओं का आक्रमण भी था जिसने उसे दुर्गा की अधिकांश हिस्से को क्षति पहुंचाई थी जिसके कारण राजा को वह स्थल छोड़ना पड़ा। हालांकि यह भी एक मिथ्या का विषय बना हुआ है।

कैसे पहुंचे चांदपुर गढ़ी किला, How to Reach Chandpur Garhi fort

प्यार पाठकों यदि आप भी उत्तराखंड में स्थित ऐतिहासिक महल की वर्तमान झलक देखना चाहते हैं तो हम आपको बताना चाहते हैं कि आप चांदपुर गढ़ी किला ( Chandpur Garhi fort) कैसे पहुंच सकते हैं। चांदपुर गढ़ी किला कर्ण प्रयाग से 18 किलोमीटर की दूरी एवं आदि बद्री से महेश 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। रुद्रप्रयाग एवं कर्ण प्रयाग होते हुए भी आप इस ऐतिहासिक महल के वर्तमान दर्शन कर सकते हैं।

दोस्तों यह था हमारा आज का लेख एक जिसमें हमने आपको चांदपुर गढ़ी किला के बारे में जानकारी दी। ( Chandpur Garhi fort) आशा करते हैं कि आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। आपको यह लेख कैसा लगा हमें टिप्पणी के माध्यम से जरूर बताएं और उत्तराखंड से संबंधित ऐसे ही जानकारी युक्त लेख पाने के लिए आप देवभूमि उत्तराखंड को जरूर फॉलो करें।

यह भी पढ़ें –

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *