नमस्ते दोस्तों देव भूमि उत्तराखंड के आज के नए लेख में आप सभी लोगों का स्वागत है। आज के इस लेख के माध्यम से हम आप सभी लोगों के साथ नंदा देवी मंदिर उत्तराखंड के बारे में बात करने वाले हैं। जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं कि मां नंदा देवी उत्तराखंड की कुलदेवी के रूप में भी जानी जाती है और इसके इतिहास और पौराणिक कहानी अपने आप में एक ऐतिहासिक पहलू बनी हुई है। अपनी धार्मिक छटा को प्रस्तुत कर दी मां नंदा देवी उत्तराखंड के सबसे पवित्र धामों में से एक है। आज के इस लेख के माध्यम से हम आपको मां नंदा देवी का इतिहास और पौराणिक कहानी के बारे में जानकारी देने वाले हैं। आशा करते हैं आपको हमारा यह लेख जरूर पसंद आएगा। इसलिए इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ना।
नंदा देवी मंदिर अल्मोड़ा. Nanda Devi Mandir Almora
कुमाऊं क्षेत्र के सबसे पवित्र धामों में से एक नंदा देवी का मंदिर अपने पौराणिक इतिहास और महत्व के लिए प्रसिद्ध है। समुद्र तल से 7816 मीटर की ऊंचाई पर इस पवित्र मंदिर में मां दुर्गा देवी का अवतार विराजमान है। प्रसिद्ध मां नंदा देवी का मंदिर चंद्रवंशी देवी के रूप में भी जानी जाती है। मंदिर में मां नंदा देवी और भगवान शंकर की पत्नी के रूप में पूजी जाती है।
मां नंदा देवी गढ़वाल की राजा दक्ष प्रजापति की पुत्री है इसलिए सभी कुमाऊनी और गढ़वाली लोग उन्हें पर्वत पर्वतआंचल की पुत्री मानते हैं।
मां नंदा देवी का इतिहास 1000 साल से भी पुराना है मां नंदा देवी का मंदिर शिव मंदिर की बाहरी ढलान पर स्थित है। पत्थर का मुकुट और दीवारों पर प्रतिमा बनाई गई इस मंदिर की कलाकृति की शोभा बढ़ाते हैं। मान्यता है कि नंदा देवी की उपासना प्राचीन काल से ही की जाती थी जिसके प्रमाण धार्मिक ग्रंथों और पुराणों में भी मिलते हैं।
मां नंदा देवी मंदिर का पौराणिक इतिहास. Nanda Devi Mandir Ka Itihas
मां नंदा देवी मंदिर के पौराणिक इतिहास से संबंधित कई कहानियां एवं ऐतिहासिक कथाएं जुड़ी हुई है। इस स्थान में मां नंदा देवी को प्रदेश करने का श्रेय चंद्र शासकों को जाता है। किवदंती है कि 1670 में कुमाऊं के चंद शासक राजा बाज बहादुर चंद बधानकोट से मां नंदा देवी की सोने की मूर्ति लाए और मल्ला महल में स्थापित कर दिया।
बधाणकोट से विजय प्राप्त करने के बाद जब राजा जगत चंद्र को नंदा देवी की मूर्ति नहीं मिली तो उन्होंने खजाने में से अश्फियों को पिघलाकर मां नंदा देवी की भव्य मूर्ति बनाई। मोती बनाने के बाद राजा ने मूर्ती को मल्ला महल में स्थापित कर दिया। सन 1815 को कमिश्नर ट्रेल ने मां नंदा देवी की पूजनीय स्मृति को उधोत चंदेश्वर मंदिर में रखवा दिया।
मां नंदा देवी मंदिर की पौराणिक मान्यता. Nanda Devi Mandir Poranik Manyta
मां नंदा देवी मंदिर पौराणिक मान्यताओं के आधार पर प्रचलित है कि जब कमिश्नर ट्रेल नंदा देवी पर्वत की चोटी की ओर जा रहे थे तो अचानक कमिश्नर ट्रेल की रहस्यमय ढंग से उनकी आंखों की रोशनी चली जाती है। जिसके बाद वह स्थानीय लोगों से इस संबंध में अपनी राय व्यक्त करने को कहते हैं। लोगों के द्वारा उन्हें अल्मोड़ा में नंदा देवी मंदिर बनवा कर उसमें माता की पूजनीय स्मृति को स्थापित कराने के लिए कहा। इस ऐतिहासिक एवं रहस्यमई कार्य करने से उनकी कुदरती आंखों की रोशनी अपने आप ही वापस आ गए।
किवदंती यह भी है कि जब राजा बहादुर प्रताप को गढ़वाल पर आक्रमण करने के दौरान उन्हें विजय प्राप्त नहीं हुई तो उन्होंने प्रण किया कि उन्हें युद्ध में यदि विजय मिल जाती है तो वह नंदा देवी को अपनी इष्ट देवी के रूप में पूजा करेंगे। और तब से मां नंदा देवी को इष्ट देवी और कुलदेवी के रूप में भी पूजा जाता है।
मां नंदा देवी मंदिर कैसे जाएं. Nanda Devi Mandir Kese Jaye
प्यारे पाठको यदि आप भी मां नंदा देवी के दर्शन करना चाहते हैं। मां नंदा देवी के पावन धाम यात्रा करना चाहते हैं तो हम आपको बताना चाहेंगे कि मां नंदा देवी मंदिर कैसे पहुंचे।
दोस्तों मां नंदा देवी मंदिर पहुंचने के लिए सड़क मार्ग के साथ-साथ रेल मार्ग एवं वायु मार्ग का विकल्प भी उपलब्ध है लेकिन सड़क मार्ग से सरलतम माध्यम हम सभी लोग मां नंदा देवी के पावन धाम में पहुंच सकते हैं।
सड़क मार्ग से मां नंदा देवी
सड़क मार्ग से मां नंदा देवी का मंदिर की यात्रा आसानी से की जा सकती है। सड़क मार्ग के माध्यम से भीमताल भवाली होते हुए अल्मोड़ा के रास्ते माता के पावन धाम में पहुंचा जा सकता है।
रेल मार्ग के माध्यम से मां नंदा देवी मंदिर
प्यारे पाठक को रेल मारे के माध्यम से मां नंदा देवी की यात्रा करना थोड़ा कठिन हो सकता है लेकिन बताना चाहेंगे कि नंदा देवी मंदिर का नजदीकी रेलवे स्टेशन काठगोदाम है यहां से आप अल्मोड़ा पहुंचने के लिए प्राइवेट टैक्सी और बस के माध्यम से भी यात्रा कर सकते हैं।
हवाई मार्ग से नंदा देवी मंदिर
वायु मार्ग के माध्यम से नंदा देवी मंदिर पहुंचने के लिए हम सभी को अपने नजदीकी एयरपोर्ट से पंतनगर हवाई अड्डा पहुंचने की जरूरत है। मां नंदा देवी मंदिर का नजदीकी एयरपोर्ट पंतनगर एयरपोर्ट है जहां से हल्द्वानी की दूरी 27 किलोमीटर है जबकि हल्द्वानी से अल्मोड़ा लगभग 94 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस बचे हुए सफर को आप टैक्सी और बस के माध्यम से भी कर सकते हैं।
दोस्तों यह तो हमारा आज का लेख जिसने हमने मां नंदा देवी के मंदिर और मां नंदा देवी मंदिर से जुड़े ऐतिहासिक पहलुओं को जाना। आशा करते हैं कि आपको हमारा यह लेख जरूर पसंद आया होगा यदि आपको यह लेख पसंद आया है तो अपने दोस्तों और परिवार के साथ जरूर साझा करें। यदि आप भी अपना लेख हम तक पहुंचाना चाहते हैं तो आप अपने बहुमूल्य शब्दों को ईमेल के माध्यम से भी हम तक पहुंचा सकते हैं।
मां नंदा देवी मंदिर F&Q
Q – नंदा देवी मंदिर कहां है
Q – नंदा देवी की ऊंचाई
Q – मां नंदा देवी मंत्र
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