नमस्ते दोस्तों देव भूमि उत्तराखंड के आज के नए लेख में आपका स्वागत है आज हम आपको उत्तराखंड का प्रसिद्ध मंदिर मनिला देवी मंदिर के बारे में जानकारी देने वाले है। उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में स्थित मनिला देवी मंदिर आस्था और भक्ति का प्रतीक है। आज के इस लेख में हम मनिला देवी मंदिर और मनिला देवी मंदिर का इतिहास के साथ मनिला देवी मंदिर का पौराणिक महत्व के बारे में जानकारी साझा करने वाले हैं। आशा करते हैं कि आपको हमारा यह लेख जरूर पसंद आएगा।
मनिला देवी मंदिर के बारे में. Manila Devi mandir Ke Baren Me
प्रसिद्ध मनिला देवी मंदिर उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में स्थित सल्ट क्षेत्र का प्रसिद्ध मंदिर है। देवदार और चील की खूबसूरत वृक्षों से गिरा हुआ मनीला माता मंदिर अल्मोड़ा से लगभग 128 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
मनीला न केवल मंदिर के लिए प्रसिद्ध है अभी तो यह एक उत्तराखंड का पर्यटन स्थल भी है। रामनगर से 80 किलोमीटर दूरी पर स्थित माता का यह भव्य मंदिर प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण है। यहां पर हर साल हजारों की संख्या में भक्तों का आना जाना लगा रहता है।
मनीला में माता के दो भव्य मंदिर है एक मंदिर का नाम मल्ला मनीला है जबकि दूसरे मंदिर का नाम तल्ला मनीला है। मल्ला मनीला मंदिर से तात्पर्य गांव की ऊपरी ओर बसा हुआ मंदिर जबकि तल्ला मनिला मंदिर से तात्पर्य गांव के निचली ओर बना हुआ मंदिर से है।
मंदिर का निर्माण कत्यूरी शैली के अंतर्गत किया गया है और मंदिर में मुख्य रूप से भगवान विष्णु जी की मूर्तियों के साथ काले पत्थर से बनी मां दुर्गा की विशाल प्रतिमा मौजूद है।
मनिला मंदिर देवी का इतिहास. Manila Devi mandir Ka Itihas
दोस्तों जिस तरह से हर किसी मंदिर का अपना अस्तित्व और अपना महत्व होता है ठीक उसी तरह से मनिला देवी मंदिर का इतिहास भी अपने आप में एक खास स्थान रखता है। इतिहास के आधार पर मान्यता है कि मनिला देवी को कत्यूरी राजाओं की कुलदेवी कहा जाता था। इसलिए मंदिर बनाने का श्रेय कत्यूरी राजाओं को जाता है। मनिला देवी मंदिर का निर्माण 1488 में कचोरी राजा ब्रह्मदेव में किया था। इस मंदिर को खास बनाती है इसकी कत्यूरी निर्माण शैली इसे देखने के लिए हर वर्ष हजारों की संख्या में भक्तों का निहाया करते हैं।
मनीला माता मंदिर पौराणिक महत्व. Manila Devi mandir Mahatwa
आस्था और भक्ति का प्रतीक मनीला माता का मंदिर का पौराणिक महत्व अपने आप में एक विशेष स्थान रखता है। लोगों की मान्यता अनुसार जो भी श्रद्धालु यहां पर सच्चे मन से कामना करते हैं उनकी मनोकामना जरूर पूर्ण होती है। इसीलिए मनीला माता पर श्रद्धालुओं का अटूट विश्वास रहता है।
मंदिर के महत्व के बारे में बताया जाता है कि नवविवाहित जोड़ियों द्वारा जब मंदिर में मन्नते मांगी जाती है तो माता देवी मनीला उनके झुर्रियों को खुशियों से भर देती है।
मंदिर मुख्य रूप से एक पर्यटन का हिस्सा भी है। इसके आसपास देवदार और चीड़, बांज सदाबहार खूबसूरत से पेड़ स्थित है जो यहां आए श्रद्धालुओं को छांव प्रदान करते हैं।
मनीला माता मंदिर की कहानी. Manila Devi mandir Ki Kahani
मनिला देवी क्षेत्र के कुलदेवी के रूप में भी जानी जाती है। जो कि उन्हें हर समय सचेत रखती है। किसी भी प्रकार की अनहोनी का संकेत माता अपने भक्तों को पहले ही दे देती है। मनीला माता मंदिर की कहानी के बारे में बताया जाता है कि प्राचीन काल में दूर प्रदेश से बैलों की खरीदारी करने बाहरी लोग गांव में आए थे। मनीला क्षेत्र में उन्हें एक किसान के बैल बड़े पसंद आ जाते हैं लेकिन मोलभाव का तालमेल ना बैठ पाने के कारण बैलों का मालिक उन्हें देने से मना कर देता है।
इस तरह से बैलों को खरीदने आए व्यापारी उन्हें नहीं ले जा सके। लेकिन उन्हें बेल काफी पसंद थी इसलिए उन्होंने उन्हें चोरी करने की योजना बनाई। एक रात उन्होंने बालों को चोरी करने का फैसला किया और जैसे ही बाहर गांव में घुसे तो माता मनिला देवी द्वारा बैल की मालकिन को आवाज देकर उठाया गया जिससे वह चोरी करने में असफल हो गए।
व्यापारी बहनों को चुराने में असफल हो गए लेकिन उन्होंने मंदिर में स्थित देवी की प्रतिमा को चुराने की योजना बनाई। जैसे ही वह लोग चोरी के भाव से मंदिर में घुसे और देवी की प्रतिमा को हिलाना चाहा लेकिन वह अपनी जगह से नहीं हिली। इस कार्य को करने के दौरान माता की मूर्ती से हाथ अलग हो जाता है। व्यापारी उस हाथ को लेकर ही आगे बढ़ते हैं लेकिन रास्ते में पहुंचकर उस हाथ का वजन इतना भारी हो गया कि उसे उठाना उन व्यापारियों के वश में नहीं था। उन्होंने उस हाथ को वहीं पर छोड़ दिया। सुबह जब गांव वालों को इस घटना का पता चला तो उन्होंने जहां पर माता का हाथ रखा हुआ था वहां पर मंदिर बनाने का फैसला किया। इस तरह से मनीला में माता के दो भव्य मंदिर मल्ला और तल्ला नाम से प्रसिद्ध है।
मनीला माता मंदिर कैसे पहुंचे. Manila Devi mandir Kese Pahuchen
प्यारे पाठको अभी तक हम मनीला माता मंदिर के बारे में जान चुके हैं यदि आप भी मनीला माता मंदिर के दर्शन करना चाहते हैं तो हम आपको मनीला माता मंदिर कैसे पहुंचे के बारे में भी जानकारी देने वाले हैं।
मनीला माता मंदिर पहुंचने के लिए सड़क मार्ग के साथ-साथ वायु मार्ग और रेल मार्ग का विकल्प भी उपलब्ध है। लेकिन सड़क मार्ग की अच्छी संपर्क ना होने के कारण सभी श्रद्धालु सड़क मार्ग के माध्यम से ही माता के दर्शन किया करते हैं। मनीला माता मंदिर का नजदीकी रेलवे स्टेशन रामनगर है जबकि इसका नजदीकी एयरपोर्ट पंतनगर है। यहां से आप बस और टैक्सी के माध्यम से भी मंदिर तक पहुंच सकते हैं।
प्रमुख जगहों से मनीला माता मंदिर की दूरी निम्न प्रकार से है
अल्मोड़ा से मनिला देवी मंदिर की दूरी 128 किलोमीटर है
रानीखेत से मनिला देवी मंदिर की दूरी 85 किलोमीटर है।
रामनगर से मनीला माता मंदिर की दूरी 80 किलोमीटर है
पंतनगर से मनीला माता मंदिर की दूरी लगभग 130 किलोमीटर है
दोस्तों यह था हमारा आज का लेख जिसमें हमने मनिला मंदिर के बारें में बात की है। आशा करते है की आपको हमारा यह लेख पसंद आएगा , आपको यह लेख कैसा लगा हमें टिप्पणी के माध्यम से बातें।
ऐसे ही जानकारी के लिए आप हमारे देवभूमि उत्तराखंड को जरुरु फॉलो करें , आज हमसे से व्हाट्सअप और फेसबुक के माद्यम से भी संपर्क कर सकते है
यह भी पढ़ें –