84 कुटिया. 84 Kutiya

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हेल्लो दोस्तों स्वागत है आपका देवभूमि उत्तराखंड के आज के नए लेख में । आज के इस लेख में हम बात करने वाले हैं 84 कुटिया (84 Kutiya) के बारे में। दोस्तों जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं भूमि उत्तराखंड में अनेकों ऐसे प्राचीन स्थल है जो अपने पौराणिक महत्व के लिए पहचाने जाते हैं। उत्तराखंड वासियों द्वारा आज भी उनके महत्व को संजोया गया है और वह पूरे देश और दुनिया के सामने जीवंत हैं। उन्हीं ऐतिहासिक जगह में से एक है 84 कुटिया (84 Kutiya ) जिसके बारे में आज हम आपको सम्पूर्ण जानकारी देने वाले हैं। आशा करते हैं की आपको हमारा यह लेख जरूर पसंद आएगा इसलिए इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ना।

84 कुटिया. 84 Kutiya

दोस्तों हिंदू मान्यताओं के अनुसार धरती पर 84 लाख प्रजातियां हैं और इन्हीं 84 लाख योनियों में भटकने के पश्चात ही मनुष्य योनि में जन्म होता है। हिंदू धर्म के इन्हीं मूलभूत सिद्धांतों पर आधारित है 84 कुटिया। 84 कुटिया( 84 Kutiya ) की स्थापना महर्षि महेश योगी जी ने सन 1960 में किया था। महेश योगी जी इस क्षेत्र में भ्रमण के लिए निकले थे और उन्हें यह जगह काफी सुंदर और मंत्रमुग्ध करने वाली लगी । तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार से 40 वर्ष के लिए यह स्थान पट्टे पर लिया तथा एक भव्य आश्रम की स्थापना की जिसे 84 कुटिया कहा जाता है।

84 कुटिया की वास्तुकला. 84 Kutiya architecture

84 कुटिया का निर्माण खूबसूरत वस्तु कला के द्वारा किया गया है। इस कुटिया का निर्माण में आपको भेजो और वास्तु कला के नमूने देखने को मिलते हैं। इस आश्रम के सबसे अद्भुत आकर्षण में से शिव मंदिर एवं छापाखाना और ध्यान शिवरों के अवशेष देखने को मिलते हैं।
84 कुटिया ( 84 Kutiya) को सबसे ज्यादा प्रसिद्ध थी अमेरिकी म्यूजिकल बैंड बीटिल्स से मिली।

किवदंतियों के अनुसार 60 के दशक में अमेरिकन म्यूजिक बैंड 1967 से 68 में शांति की खोज के लिए भारत आया था। उसे समय भटकते हुए महर्षि योगी जी के संपर्क में आए और योगी जी से इतने प्रभावित हुए कि एक महीने तक यहां रुक गए। इस एक महीने के समय में उन्होंने काफी गाने लिख डाले।

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बिटिल्स आश्रम के नाम से जाने जाती है यह जगह.This place is known as Bitils Ashram

उसे समय बिटिल्स म्यूजिक बैंड को यह काफी पसंद आई और वहां वह कम से कम एक महीने तक रुके। बिटिल्स म्यूजिक बैंड वाले जहां भी जाते 84 कुटिया की तारीफ जरूर करते हैं जिस कारण से 84 कुटिया को आगे चलकर बिटिल्स आश्रम ( Bitils Ashram) के नाम से जाना जाने लगा। महर्षि योगी जी पूरे यूरोप में घूमते गए जिसके कारण यह आश्रम धीरे-धीरे अपने महत्व को खोता गया और 1990 के धीरे-धीरे यहां पर्यटकों का आना कम हो गया था। 2000 में उत्तराखंड स्थापना के बाद इसे वन विभाग को समर्पित कर दिया गया। आज के समय में यहां पर्यटकों के लिए खुला रहता है।

दोस्तों यह था हमारा आज के लेख हमने आपको 84 कुटिया ( 84 Kutiya) के बारे में जानकारी दी। करते हैं कि आपको बिटिल्स आश्रम के बारे में ( Bitils Ashram) जानकारी मिल गई होगी। आपकों यह लेख कैसा लगा हमें टिप्पणी के माध्यम से जरूर बताएं और यदि आपको यह लेख पसंद आया है तो अपने दोस्तों और परिवार के साथ जरूर साझा करें। उत्तराखंड से संबंधित ऐसे ही रोचक जानकारी प्राप्त करने के लिए देवभूमि उत्तराखंड को जरूर फॉलो करें।

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