हेलो दोस्तों स्वागत है आपका देवभूमि उत्तराखंड के आज के नए लेख में। आज हम लाए हैं आप लोगों के लिए नचिकेता ताल के बारे में ( Nachiketa Taal ) जानकारी। दोस्तों जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं कि देवभूमि उत्तराखंड में आने को ऐसे पर्यटन स्थल है जो पूरे वर्ष भर में हजारों लोगों को आकर्षित करते हैं। उन्हें पर्यटन स्थलों में से एक नचिकेता ताल भी है जो कि अपने आप में खास एवं ऐतिहासिक महत्व रखता है। और आज हम आपको नचिकेता ताल के बारे में यात्रा जानकारी के अलावा कुछ ऐसे रहस्यमई बातें साझा करना चाहते हैं जिनके बारे में आपको जरूर जानना चाहिए। तो चलिए आज का लेख शुरू करते हैं।
नचिकेता ताल. Nachiketa Taal
उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी जिले में स्थित नचिकेता ताल ( Nachiketa Taal )उत्तराखंड के उन खूबसूरत झीलों में से एक है जो पूरे वर्ष भर में हजारों पर्यटकों को आकर्षित करता है। उत्तरकाशी मुख्यालय से मात्र 32 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पहाड़ के विहंगम हास्य प्रस्तुत करता नचिकेता ताल प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण एक ऐसी जगह है जहां पर हर कोई आना चाहता है और सुकून के दो पल बिताना चाहता है। उत्तराखंड में आज भी ऐसे कहीं पर्यटन स्थल, झील , झरने, पहाड़ एवं बुग्याल ऐसे हैं जो लोगों की पहुंच से दूर है। उन्हें में से एक नचिकेता ताल ( Nachiketa Taal ) भी है जिसके बारे में कम ही लोग जानते हैं लेकिन जो भी पर्यटक यहां एक बार आता है उसका बार-बार आने का मन करता है। कि इसके आसपास की प्राकृतिक सुंदरता और सदाबहार पेड़ पौधे यहां आने वाले हर एक पर्यटक को काफी आकर्षित करते हैं।
नचिकेता ताल का रहस्य. Nachiketa Taal Ka Rahasya
दोस्तों जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं कि किसी भी जगह एवं स्थल को लेकर बहुत सारी रहस्यमय कहानी होती है ठीक उसी तरीके से नचिकेता ताल से जुड़ रहे सभी आप लोगों को जरूर जानना चाहिए। नचिकेता लाल के रहस्य के पीछे कहा जाता है कि झील के पास एक गुफा है वही मृत्युलोक का द्वार है। स्थानीय किवदंतियों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि आज भी झील के जाल में देवता स्नान करने आते हैं। और कुछ लोगों का मानना तो ऐसा भी है कि रात के समय में इस झील के आसपास घटिया की आवाज़ सुनाई देती है। हालांकि यह बात कितनी सच्ची है और कितना रहस्य में इस बात का प्रमाण किसी के पास मौजूद नहीं है।
नचिकेता ताल की कहानी. Nachiketa Taal Ki Kahani
दोस्तों नचिकेता ताल का जिक्र पौराणिक कथाओं में भी किया गया है। पौराणिक कथाओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि एक बार ऋषि वाजश्रवा ने एक यज्ञ का आयोजन किया था जिसके शुरू होने से पहले उन्होंने एक ऐलान किया था कि वह अपनी सारी संपत्ति दान कर देंगे। जब ब्राह्मण को दक्षिण में ऋषि वाजश्रवा द्वारा बूढ़ी निर्बल गाय और उपयोग मैं आने वाले सामान को दान किया जाता है तो उनके पुत्र नचिकेता उन्हें दान की नीति के बारे में बताना चाह। नचिकेता के द्वारा कहा जाता है कि यदि आप इन वस्तुओं का दान करते हैं तो आप पाप के भोगी कहलाओगे।
नचिकेता अपने पिता का प्रिय पुत्र था इसलिए उसने खुद को दान करने के बारे में सवाल पूछा। ऋषि वाजश्रवा आज से बहुत क्रोधित हुई और उन्होंने कहा कि मैं तुझे मृत्यु को दान करता हूं। नचिकेता पिता की आज्ञा का पालन किया और मृत्यु के पास चला गया। जब नदी कहता यह द्वारा के पास पहुंचते हैं तो यमदूतों ने बालक से आने का कारण पूछा जिस पर नचिकेता ने कहा इस पिता की आज्ञा अनुसार यमराज का दान हुआ है। यह सुनकर सभी यमदूत हैरान हो जाते हैं कि यह कैसा बालक है जिसे अपनी मृत्यु का बिल्कुल भी डर नहीं है।
कहा जाता है कि उसे समय संयुक्त वर्ष यमराज यमपुरी में नहीं थे तो बालक नचिकेता 3 दिन तक उनकी द्वार पर इंतजार करता रहा। जब तीन दिन बाद यमराज यमपुरी में लौटे तो उन्होंने देखा कि एक ब्राह्मण का पुत्र तीन दिन से मेरी प्रतीक्षा कर रहा है और वह भी वह अपने पिता के आज्ञा अनुसार यहां तक आया है। वह प्रसन्न हुए और खुश होकर तीन बार मांगने को कहा। उसके बाद नचिकेता ने यमराज से पहले बार में पिता की नाराजगी खत्म हो जाए कहां पर मांगा और दूसरा पर उन्होंने स्वर्ग प्राप्त करने के रहस्य के बारे में जानने को कहा। तीसरा वरदान में उन्होंने यमराज से मृत्यु के बाद आत्मा के रहस्य को जानना चाहा। इस प्रश्न से यमराज बड़े आचार्य चकित हुए और उन्होंने वरदान के बदले कुछ दूसरा वरदान मांगने को कहा लेकिन नचिकेता अपनी मांग पर अड़े रहे और अंत में नचिकेता को तीसरा वरदान भी देना पड़ा। दोस्तों इस तरीके से नचिकेता ताल के बारे में कहानी मिलती है।
यह था हमारा आज का लेख जिसमें हमने आपको नचिकेता ताल के बारे में ( Nachiketa Taal ) जानकारी दी। की आपको नचिकेता ताल के बारे में जानकारी मिल गई होगी । आपको यह लेख कैसा लगा हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। आप नचिकेता ताल के बारे में कुछ और अधिक जानते हैं या इसलिए मैं सुधर जाते हैं तो आप हमें संपर्क कर सकते हैं। से संबंधित ऐसे ही जानकारी युक्त लेख पाने के लिए आप कृपया देवभूमि उत्तराखंड को जरूर फॉलो करें।