हेलो दोस्तों स्वागत है आपका देवभूम में उत्तराखंड के आज के नए लेख में। आज के इस लेख के माध्यम से हम आप लोगों के साथ उत्तराखंड के वाद्य यंत्र के बारे में बात करने वाले हैं। जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं कि उत्तराखंड की संस्कृति और लोककला विश्व प्रसिद्ध है । संस्कृति और परंपराओं को अपने उच्चतम स्थान पर ले जाते हैं उत्तराखंड के वाद्य यंत्र जो कि यहां के लोगों द्वारा विश्व धरोहर के रूप में संजोए हुए हैं।
आज हम आपको उत्तराखंड के प्रमुख वाद्य यंत्रों के बारे में ( Musical Instruments of Uttarakhand )जानकारी देने वाले हैं सामान्यतः उत्तराखंड के वाद्य यंत्रों का उपयोग शादी विवाह और शुभ अवसरों के अलावा विभिन्न प्रकार के मनोरंजन गतियां के लिए भी किया जाता है। चलिए आज का यह लेख शुरू करते हैं।
उत्तराखंड के प्रमुख वाद्य यंत्र. Musical Instruments of Uttarakhand
ढोल दमाऊ,
ढोल दमाऊ उत्तराखंड के प्रमुख वाद्य यंत्रों में से एक है। बाएं हाथ की उंगलियां द्वारा गाने की धुन के साथ बजाया जाने वाला ढोल के साथ दमाऊ जरूर बजाया जाता है। दमाऊ नगाड़ें का छोटा स्वरूप है। दामऊ को गले में लड़का कर दोनों हाथों से लाकुड़ देकर नगाड़े की तरह बजाया जाता है। ढोल दमाऊ का उपयोग मुख्य रूप से शादी विवाह एवं शुभ अवसरों के अलावा धार्मिक नृत्य में किया जाता है।
हुड़की
हुडकी उत्तराखंड के वाद्य यंत्रों में से एक है जो की डमरू के आकार का होता है लेकिन गोलाई में यह काफी छोटा होता है । प्राचीन काल में जब ठकुरी राजाओं के समय युद्ध या वीरों का उत्सव बढ़ाने के लिए हुड़की को बजाया जाता था। लेकिन उसके बाद हुड़की का उपयोग सामान्यतया समय के साथ-साथ बदलता गया और शादी विवाह एवं अन्य शुभ अवसरों पर इसका उपयोग किया जाता है।
मसक बाजा
मसक बाजा चमड़े के थैले पर मुख्य रूप से दो पाइप लगे हुए होते हैं। और एक थैली के अंदर हवा भर दी जाती है। दूसरे पाइप को बांसुरी के रूप में उपयोग किया जाता है इसी के साथ ही मसक बाजा मैं पांच अन्य पाइप भी होते हैं। मसक बाजा का उपयोग शादी विवाह एवं अन्य शुभ अवसरों पर मुख्य रूप से किया जाता है।
डौंर-थाली
डौंर-थाली गढ़वाल के प्रमुख वाद्य यंत्रों में से एक है । डौंर लाकड़ हाथ की सहायता से बजाया जाता है जबकि डमरू को घुटनों के बीच में रखकर बजाया जाता है। डमरू भगवान शिव का वाद्य है। डौंर के साथ थाली का उपयोग भी किया है। डौंर-थाली का उपयोग मुख्य रूप से देवताओं के आहान के लिए बजाया जाता है। गढ़वाल में जब देवताओं के आहान के लिए जागर लगाए जाते हैं तो उसे समय डौंर-थाली की अहम भूमिका होती है।
बांसुरी
बांसुरी मोटे रिंगाल या बांस से बनाई जाती है। उत्तराखंड के वाद्य यंत्रों में ( Musical Instruments of Uttarakhand) बांसुरी का स्थान भी अपने आप में खास महत्व रखता है। खास तौर जब पशुचारक अपने मवेशियों के साथ अकेला होते हैं तो वह समय बिताने के लिए बांसुरी का उपयोग करते हैं। वैसे पशु चारकों द्वारा नृत्य के दौरान भी बांसुरी बजाई जाती है।
भंकोरा
उत्तराखंड का प्रसिद्ध वाद्य यंत्र भंकोरा पीतल और तांबे से बने हुए वाद्य यंत्र होते हैं जो खास तौर पर देवी देवताओं के नर्तन पूजन के अवसरों पर बजाए जाते हैं। हालांकि आज के समय में भंकोरा उत्तराखंड में कम ही देखने को मिलता है।
ढोलक
ढोलक गढ़वाल के प्रमुख वाद्य यंत्रों में से एक है। ढोलक का उपयोग वैसे महिलाओं के संगीत में अधिक तौर पर किया जाता है लेकिन पुरुषों के द्वारा जब होली के त्योहार पर गांव भ्रमण किया जाता है तो होली के गीतों के साथ नृत्य करते हुए ढोलक बजाया जाता है।
दोस्तों यह था हमारा आज का लेख जिसमें हमने आपको उत्तराखंड के प्रमुख वाद्य यंत्रों के बारे में ( Musical Instruments of Uttarakhand) जानकारी दी। आशा करते हैं कि आपको उत्तराखंड के संस्कृति और परंपराओं के बारे में जानकर अच्छा लगता होगा। आपको यह लेख पसंद आया है तो अपने दोस्तों और परिवार के साथ जरूर साझा करें। और उत्तराखंड से संबंधित ऐसे ही जानकारी युक्त लेख पाने के लिए देवभूमि उत्तराखंड को जरूर फॉलो करें।
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