उत्तराखंड की प्रमुख जनजातियां. Major tribes of Uttarakhand

Major tribes of Uttarakhand
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दोस्तों स्वागत है आपका देवभूमि उत्तराखंड के आज के नए लेख में। आज के इस लेख के माध्यम से हम आप लोगों के साथ उत्तराखंड की प्रमुख जनजातियों के बारे में ( Major tribes of Uttarakhand) जानकारी साझा करने वाले हैं। जैसा की हमसे भी लोग जानते हैं कि देवभूमि में उत्तराखंड में विभिन्न प्रकार के लोग निवास करते हैं। और सब की जनजातियां अलग-अलग होती है। आज के इस लेख में हम आपको उत्तराखंड में पाए जाने वाली प्रमुख जनजातियों के बारे में जानकारी देंगे। आशा करते हैं कि आपको हमारा यह लेख पसंद आएगा इसलिए इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ना।

उत्तराखंड की प्रमुख जनजातियां. Major tribes of Uttarakhand

उत्तराखंड अपनी सांस्कृतिक विरासत के लिए पहचाना जाता है यहां को संस्कृति और परंपराएं लोगों के निवास के हिसाब से परिवर्तित है। जिस तरीके से हम उत्तराखंड में अलग-अलग जनजातीय के सामान्य जीवन के बारे में जानते हैं उनकी संस्कृति और परंपराएं भी उसी तरीके से विभिन्न होती जाती है। उत्तराखंड अपनी संस्कृति एवं परंपराओं का अनूठा मिजाज है। यहां के पहनावे और बोली भाषा के अलावा लोगों की रहन-सहन से भी यहां की संस्कृति और परंपराओं के बारे में जानकारी मिलती है। उत्तराखंड की प्रमुख जनजातियां ( Major tribes of Uttarakhand) कुछ इस प्रकार से है।

थारू जनजाति. tharu tribe of Uttarakhand

थारू उत्तराखंड की प्रमुख जनजातियों में से एक है जिनका निवास स्थान मुख्य रूप से कुमाऊं में माना जाता है। की उधम सिंह नगर के खटीमा , नानकमत्ता, सितारगंज, आदि क्षेत्रों में निवास करते हैं। इनकी उत्पत्ति के बारे में माना जाता है कि यह जनजातियां राजस्थान के थार मरुस्थल से आकर यहां बसे हैं। की मिश्रित पहाड़ी के अलावा यह लोग अवधि और नेपाली बोलते हैं। ये मंगोल प्रजाति से मिलते जुलते हैं जिनका कद छोटा होता है। सामाजिक व्यवस्था में देखे तो मातृस्तात्मक पारिवारिक प्रथर पाई जाती हैं।

जौनसारी जाती उत्तराखंड. Jaunsari Caste Uttarakhand

जौनसारी जाति उत्तराखंड की दूसरी सबसे बड़ी जाति मानी जाती है जो मुख्य रूप से उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में निवास करती है। हिंदी में तो इनकी उत्पत्ति आर्यन परिवार से मानी जाती है। यह मंगोल प्रजाति के मिश्रित जनजाति है। इनका निवास स्थान दोनों व बाबर क्षेत्र जिसमें चकराता, कालसी, लाखामंडल, जौनपुर आदि क्षेत्र आते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार देहरादून में अभी प्रतिशत जनसंख्या जौनसारी लोगों की है। इनकी भाषा शैली जौनसारी है लेकिन कुछ लोग बाबरी भाषा भी बोलते हैं। इनमें पितृसत्तात्मक संयुक्त परिवार प्रथम पाई जाती हैं परिवार का मुखिया घर का सबसे बड़ा पुरुष माना जाता है। आज मैं कन्या पथ को उच्च माना जाता है। जौनसार जाती के लोगों के होते हैं और यह लोग महासू देवता के पूजा करते हैं। के हनोल इनका प्रमुख तीर्थ स्थल है।

भोटिया जनजाति. Bhotiya tribe

भोटिया जनजाति मुख्य रूप से अर्धघुमंतु जनजाति मानी जाती है। इनकी उत्पत्ति मंगल प्रजाति से हुई थी और यह लोग अपने को कीरात वंशीय खास राजपूत मानते हैं। जनजाति के लोगों का निवास स्थान मुख्य रूप से चमोली ,उत्तरकाशी और कुछ हिस्से तक अल्मोड़ा में भी माना जाता है। यह लोग घुमंतू होते हैं इसलिए यह मुख्य रूप से ग्रीष्म ऋतु में 2000 से 3000 मीटर ऊंचाई वाले स्थान में चारागाह की सुविधा देखकर आवास बनाकर रहते हैं।

बोक्सा जनजाति. Boxa Tribe of Uttarakhand

उत्तराखंड की प्रमुख जनजातियों में बोक्सा जाति एक है । इतिहासकारों के अनुसार माने तो यह वह जाति के लोग है जो मराठों द्वारा भगाएं गए थे और वह यहां आकर बस गए थे। जबकि बोक्सा जनजाति अपने को पवार राजपूत मानते हैं। इतिहासकारों के अनुसार बोक्सा जनजाति लगभग 16वीं शताब्दी में उत्तराखंड के बनबसा यानी कि चंपावत जिले में आकर बसे थे। कि आज के समय में यह लोग उत्तराखंड के काशीपुर बाजपुर रामनगर एवं देहरादून जैसे शहरों में बस गए हैं। बोक्सा जाति के लोगों का परिवार पितृ सत्तात्मक होता है। जबकि समाज में स्त्रियों की स्थिति उच्च है। यह लोग हिंदू धर्म को मानते हैं । इनके स्थानीय देवी देवता ज्वलपा देवी, साकरिया देवता , हुल्की देवी,

राजी जनजाति. Raji tribe

राजी जनजाति राज्य की निम्नतम आबादी वाली जनजाति मानी जाती है। राजी जनजाति की उत्पत्ति के बारे में इतिहासकारों का मानना है कि यह लोग अग्रयवंशीय कोल किरात जातियों की वंशज माने जाते हैं। राजी जनजाति के लोगों का मुख्य निवास चंपावत एवं नैनीताल के कुछ गांव में माना जाता है। एक रिपोर्ट के अनुसार 66% से भी अधिक राजी जनजाति पिथौरागढ़ जनपद में पाई जाती हैं। यह लोग मुख्य रूप से हिंदू धर्म को मानते हैं और इनमें अभी भी बाल विवाह प्रथा प्रचलित है। राजीव जनजाति के बारे में ऐसा भी कहा जाता है कि यह एक ऐसी जनजाति है जो आज के समय में भी जंगलों में वास करती है। हालंकि धीरे-धीरे राजी जनजाति के लोग जंगलों से बाहर आने लगे हैं और झोपड़ी में रहने लगे हैं अपने निवास को वह रातूड़ा कहते हैं।

दोस्तों यह था हमारा आज का लेख जिसमें हमने आपको उत्तराखंड की प्रमुख जनजातियों के बारे में जानकारी साझा की। आशा करते हैं की आपको उत्तराखंड की प्रमुख जनजातियों के बारे में जानकारी मिल गई होगी। यदि आपको यह लेख पसंद आया है तो अपने दोस्तों और परिवार के साथ जरूर साझा करें।

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