हेलो दोस्तों स्वागत है आपका देवभूमि उत्तराखंड के आज के नए लेख में। आज के नए लेख में हम आपको उत्तराखंड के अगस्तमुनि रुद्रप्रयाग के बारे में ( Augustmuni Rudraprayag ) जानकारी देने वाले हैं। जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं कि उत्तराखंड में आज भी कुछ ऐसे स्थान हैं जो अपनी ऐतिहासिक महत्व को संजोएं हुए हैं। प्रमुख स्थानों में से एक है रुद्रप्रयाग का अगस्त मुनि जो कि अपने इतिहास और महत्व के लिए पहचाना जाता है। चलिए अगस्तमुनि रुद्रप्रयाग के बारे में जानते हैं।
अगस्तमुनि रुद्रप्रयाग.Augustmuni Rudraprayag
प्रकृति के खूबसूरत वादियों के बीच में स्थित अगस्तमुनि उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। यह मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित एक छोटा सा शहर है जो की स्थानीय संस्कृति और परंपराओं के लिए पहचाना जाता है। इस शहर का नाम महान ऋषि अगस्त्य के नाम पर रखा गया था। ऐतिहासिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि ऋषि अगस्त्य ने तपस्या की थी और उन्होंने अपने जीवन का अधिकांश समय उत्तराखंड के इस पवित्र शहर में बिताया था।
अगस्तमुनि शहर ( Augustmuni Rudraprayag ) अपने आप में एक महत्वपूर्ण इतिहास रखता है। यह उत्तराखंड के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल होने के साथ-साथ एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल के रूप में भी पहचाना जाता है। अगस्तमुनि त्रिजुगीनारायण मंदिर स्थित है। जोकि भगवान भोलेनाथ को समर्पित है। माना जाता है कि इस पवित्र मंदिर का निर्माण पांडवों ने अपने निर्वासन के दौरान किया था। आज के समय में अगस्त मुनि एक तीर्थ स्थल होने के साथ-साथ एक पर्यटन स्थल भी है जो पूरे वर्ष भर में लाखों से दर्शनार्थियों को आकर्षित करता है।
अगस्तमुनि की पौराणिक कथा.Augustmuni Katha
दोस्तों जैसा कि हम आपको पहले भी बता चुके हैं कि अगस्त मुनि शहर अपने ऐतिहासिक महत्व के लिए पहचाना जाता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार अगस्तमुनि का नाम एक महान ऋषि अगस्त्य के नाम पर रखा गया है । जो कि हिंदू धर्म के महान संतों में से एक माने जाते हैं ।
स्थानीय लोगों के माध्यम से स्पष्ट है कि अगस्त्य ने कई वर्षों तक अगस्तमुनि में तपस्या की थी। यही वह स्थान है जहां पर उन्हें भगवान शिव जी से दिव्य ज्ञान की प्राप्ति हुई। कुछ कहानियों में यह भी वर्णित है कि अगस्तमुनि भारतीय चिकित्सा प्रणाली आयुर्वेद का एक केंद्र भी है।
अगस्त मुनि इस शहर में ही भगवान भोलेनाथ और मां पार्वती जी का विवाह भी हुआ था। अगस्तमुनि के त्रिजुगीनारायण मंदिर को भगवान भोलेनाथ और मां पार्वती जी का विवाह स्थल माना जाता है।
देखने लायक है अगस्तमुनि बाजार, Augustmuni Bajaar
अगस्तमुनि बाजार अभी अपने आप में एक अलग ही महत्व है । स्थानीय परंपरा को व्यक्त करता अगस्तमुनि बाजार रुद्रप्रयाग के सबसे व्यस्त स्थलों में से एक है। दरअसल अगस्तमुनि बाजार अपने चहल-पहल के लिए पहचाना जाता है। बाजार कई प्रकार की वस्तुओं और सेवाओं की पेशकश करता है। एक छोटे से बाजार में दैनिक जीवन में काम आने वाली सभी मूलभूत वस्तुएं की विद्यमान है।
अगस्तमुनि बाजार में हफ्ते में दो दिन बाजार लगता है। जिसका नजारा देखने लायक होता है। बाजार में स्थानीय संस्कृति का अनुभव आराम से किया जा सकता है उसे सारी ऐसी चीज होती है जो स्थानीय संस्कृति को व्यक्त करती है। बाजार न केवल व्यापार का एक जरिया है बल्कि अन्य लोगों के आपसी मेल मिलाप का एक स्थान भी है।
अगस्तमुनि के आस पास घूमने की जगह. Augustmuni Ghumne Ki Jagah
अगस्तमुनि बाजार अपने ऐतिहासिक स्वरूप के साथ एक दार्शनिक स्थल के रूप में भी पहचाना जाता है अगस्तमुनि के आसपास घूमने की जगह कुछ इस प्रकार से हैं।
केदारनाथ मंदिर – चार धामों में से एक केदारनाथ मंदिर अगस्तमुनि बाजार से लगभग 62 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां से आराम से टैक्सी के माध्यम से केदारनाथ मंदिर के दर्शन किए जा सकते हैं।
बद्रीनाथ मंदिर – अगस्तमुनि बाजार से लगभग 110 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बद्रीनाथ मंदिर है जो कि भगवान विष्णु को समर्पित है।
तुंगनाथ मंदिर – पंच केदार में से एक तुंगनाथ मंदिर भी अगस्त मुनि से लगभग 48 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। भगवान शिव जी को समर्पित रघुनाथ मंदिर दुनिया के सबसे बने शिव मंदिर के लिए भी पहचाना जाता है।
चोपता – प्रकृति के खूबसूरत वादियों के बीच में स्थित चोपता अगस्तमुनि से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। चोपता एक हिल स्टेशन के लिए भी प्रसिद्ध है जहां पर पूरे वर्ष भर में लाखों लोग यात्रा के लिए आया करते हैं।
देवरिया ताल – खूबसूरत पहाड़ियों के मध्य में स्थित देवरिया ताल एक खूबसूरत झील है जो की हरे भरे जंगलों के बीच में स्थित है। यह जगह अगस्तमुनी से लगभग 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
दोस्तों यह था हमारा आज का लेख जिसमें हमने आपको अगस्तमुनि के बारे में जानकारी दी। आशा करते हैं कि आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। आपको यह लेख कैसा लगा हमें कमेंट के माध्यम से जरूर बताएं और उत्तराखंड से संबंधित ऐसे ही जानकारी युक्त लेख पाने के लिए देवभूमि उत्तराखंड को जरूर फॉलो करें।
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