पांडुकेश्वर मंदिर जोशीमठ. PanduKeshwar Temple

PanduKeshwar Temple Joshimath

हेलो दोस्तों स्वागत है आपका देवभूमि उत्तराखंड के आज के नए लेख में। इसलिए के माध्यम से हम आप लोगों के साथ उत्तराखंड का प्रसिद्ध पांडुकेश्वर मंदिर के बारे में ( PanduKeshwar Temple) जानकारी देने वाले हैं। जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं कि देवभूमि प्राचीन काल से ही अपने पवित्र एवं देवतुल्य मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। यहां के कण कण में देवी देवताओं का वास है। इसलिए उत्तराखंड को देवभूमि के नाम से भी पहचाना जाता है। उत्तराखंड के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है पांडुकेश्वर मंदिर, इसके बारे में आज हम आप लोगों के साथ जानकारी साझा करने वाले हैं। दोस्तों आशा है की आपको पंडोकेश्वर मंदिर के बारे में ( PanduKeshwar Temple ) जानकर अच्छा लगेगा इसलिए इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ना।

पांडुकेश्वर मंदिर जोशीमठ.PanduKeshwar Temple

उत्तराखंड के जोशीमठ में स्थित पांडुकेश्वर मंदिर ( PanduKeshwar Temple) अलकनंदा नदी के तट पर बना एक खूबसूरत सा मंदिर है जोकि अपने प्राकृतिक सौंदर्य के साथ साथ पारंपरिक शैली में निर्मित किया गया है। हिंदी में प्रवेश करने पर आप देख पाएंगे कि मंदिर का निर्माण उत्कृष्ट शैली के अंतर्गत किया गया है। मंदिर के अंदर जटिल नक्काशी दार मूर्तियां स्थापित की गई है मंदिर की शोभा को बढ़ाते हैं।

भगवान शिव जी को समर्पित पांडुकेश्वर मंदिर के दर्शन करने पर श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक संतुष्ट के साथ-साथ मन की शांति और खुशी प्राप्त होती है। अपने खूबसूरत आवरण में स्थित होने के कारण पांडुकेश्वर मंदिर श्रद्धालुओं का एक आकर्षित स्थल बना हुआ है। मंदिर में मुख्य रूप से सांस्कृतिक और ऐतिहासिक गतिविधियों के अलावा इसकी प्राकृतिक सौंदर्य मन को तरोताजा कर देती है।

पांडुकेश्वर मंदिर स्थापत्य शैली. PanduKeshwar Temple Sheli

दोस्तों जैसा कि हम आपको पहले भी बता चुके हैं कि पांडे कैसे मंदिर का निर्माण उत्कृष्ट तरीके से बड़ी ही खूबसूरत शैली में निर्माण किया गया है। एक हिंदू मंदिर होने के कारण पांडेश्वर मंदिर का निर्माण नागरा शैली में किया गया है । इस शैली में निर्मित मंदिरों की मुख्य विशेषता है कि मंदिर का ऊपरी हिस्सा आकाश की ओर लंबे और घुमावदार होते हैं। मंदिर के अंदर बने मोतियों को भी विशेष शैली के अंतर्गत निर्मित किया गया है।

पांडुकेश्वर मंदिर की कहानी. PanduKeshwar Temple Kahani

प्यारें पाठकों जिस तरह से हर किसी मंदिर के पीछे कोई ना कोई ऐतिहासिक कहानी छुपी होती है ठीक उसी तरह से पांडे क्वेश्चन मंदिर के पीछे भी एक कहानी छुपी हुई है जो कि इस मंदिर को बहुत खास बनाती है चलिए उसे कहानी के बारे में जानते हैं।

पौराणिक कहानियों के आधार पर किवदंति है कि हिंदू के महाकाव्य महाभारत में पांडवों के पिता पांडु ने इस क्षेत्र में गहन तपस्या की थी जहां पर आज के समय में यह प्रसिद्ध पांडुकेश्वर मंदिर स्थापित है। उनकी गहन तपस्या और भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान भोलेनाथ जी प्रसन्न हुई और उन्हें आशीर्वाद और दिव्य शक्तियां प्रदान की।

ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव जी के प्रति पांडू की गहन भक्ति के सम्मान में पांडुकेश्वर मंदिर का निर्माण किया गया। और यह वही जगह है जहां पर पांडु ने भगवान शिव जी की घोर तपस्या की थी। इसलिए यह पार्टकेश्वर मंदिर भगवान शिव जी को समर्पित है। इसके अलावा यह भी माना जाता है कि जो लोग जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति प्राप्त करना चाहते हैं उनके लिए इस मंदिर का विशेष महत्व है।

ऐसा भी माना जाता है कि भगवान आदि शंकराचार्य और हिंदू महाकाव्य महाभारत लिखने वाले ऋषि व्यास भी इस मंदिर में आए थे।

पांडुकेश्वर मंदिर कैसे पहुंचे, PanduKeshwar Temple Kese Pahuchen

दोस्तों यदि आप भी जोशीमठ में स्थित पांडुकेश्वर मंदिर के दर्शन करना चाहते हैं तो बताना चाहेंगे कि पांडुकेश्वर मंदिर उत्तराखंड के जोशीमठ में स्थित है जहां सड़क मार्ग और वायु मार्ग के अलावा रेल मार्ग के माध्यम से भी पहुंचा जा सकता है।

सड़क मार्ग द्वारा पांडुकेश्वर मंदिर( PanduKeshwar Temple) पहुंचने के लिए आप अपने नजदीकी शहर या गांव से आराम से जोशीमठ तक पहुंच सकते हैं। के अलावा पंडोकेश्वर मंदिर का नजदीकी एयरपोर्ट जॉली ग्रांट हवाई अड्डा है जहां से आप फाउंडेशन मंदिर के दर्शन कर सकते हैं।

रेल मार्ग के द्वारा पांडेश्वर मंदिर पहुंचना काफी आसान है मंदिर का निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है जो जोशीमठ से लगभग 265 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

दोस्तों वैसे सड़क मार्ग के माध्यम से ही पांडुकेश्वर मंदिर के दर्शन करना उचित रहेगा।

पांडुकेश्वर मंदिर Q&A

Q – पांडुकेश्वर मंदिर कहां स्थित है ?

Ans – पांडवकेश्वर मंदिर भारत के उत्तराखंड राज्य के जोशीमठ में स्थित एक हिंदू धार्मिक स्थल है जो भगवान भोलेनाथ को समर्पित है।

Q – पांडुकेश्वर मंदिर का इतिहास ?

Ans – पांडुकेश्वर मंदिर के इतिहास के बारे में किवदंती है कि पांडवों के पिता पांडु ने इस क्षेत्र में कहां गहन तपस्या की थी। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव जी ने उन्हें दिव्य शक्तियां प्रदान की।

Q – पांडुकेश्वर मंदिर की वास्तुकला कैसी है ?

Ans – पांडुकेश्वर मंदिर की वास्तुकला नागरा शैली है। मंदिर को जटिल नक्काशी और मूर्तियों के द्वारा सुसज्जित तरह से सजाया गया है।

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