नमस्ते दोस्तों देव भूमि उत्तराखंड के आज के नए लेख में आपका स्वागत है। आज के इस लेख में हम आपको उत्तराखंड की प्रसिद्ध नदी कोसी नदी के बारे में जानकारी ( Kosi Nadi Uttarakhand )देने वाले हैं। देवभूमि उत्तराखंड पवित्र धामों का घर है यहां पर मंदिर एवं धार्मिक स्थल के अलावा नदियों का भी अपने आप में पौराणिक एवं ऐतिहासिक मान्यता है। जिसके आधार पर इन्हें पवित्र और कितनी शक्तियों का निवास माना जाता है। आज के इस लेख में हम आपको उत्तराखंड की कोसी नदी के बारे में ( Kosi Nadi Uttarakhand ) एवं कोशी नदी की पौराणिक कहानी के बारे में जानकारी देंगे। आशा करते हैं कि आपको हमारा यह लेख जरूर पसंद आएगा।
उत्तराखंड की कोसी नदी. Kosi Nadi Uttarakhand
प्यारे पाठको यह लेख उत्तराखंड की कोसी नदी के बारे में जानकारी प्रदान करता है। कोसी नदी देश के अन्य राज्यों बिहार और नेपाल देश में भी निकलती है लेकिन पहले केवल उत्तराखंड की कोसी नदी को ध्यान में रखकर बनाया गया है।
कोसी नदी भारत की प्रमुख नदियों में से एक है। कोसी नदी को पवित्र नदियों में से एक माना जाता है यह उत्तराखंड राज्य के कुमाऊं मंडल में बहती है रामगंगा इसकी सहायक नदी के रूप में जाने जाते हैं। बात करें यदि कोसी नदी के उद्गम स्थल की तो कौसानी के पास धारापानी नामक स्थान से कोसी नदी उत्पन्न होती है। यहां से उद्गम होने के बाद यह पवित्र नदी सोमेश्वर से अल्मोड़ा की कोसी घाटी, हवालबाग, गरम पानी कैची, मोहान तक बहती है। इसके बाद यह नदी शहर की ओर प्रवेश करती है।
इस तरह से कोसी नदी उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल से शुरू होकर उत्तर प्रदेश में बहती है और यह कुल मिलाकर 225 किलोमीटर की दूरी तय करती है।
कोसी नदी की लोककथा. Kosi Nadi Lokkatha
उत्तराखंड के हर पवित्र धाम एवं स्थान का किसी ना किसी लोककथा से नाता जरूर जुड़ा होता है। ठीक उसी तरह से पवित्र नदी कोसी का भी अपने आप में एक प्रचलित लोक कथा है जो कि इसके इतिहास को और ज्यादा महत्व प्रदान करती है। उत्तराखंड की लोक कथाओं के अनुसार कोसी नदी को (Kosi Nadi Uttarakhand ) शापित नदी बताया गया है।
किवदंती है कि कोशी रामगंगा भागीरथी काली गंगा आदि कुल सात बहने थी। लोककथा के आधार पर प्रचलित है कि एक बार यह सातों पहने हैं साथ चलने की बात करते हैं। मगर उनमें से 6 बहनें समय पर नहीं आती। जिससे कोसी नदी को गुस्सा आ जाता है और वह अकेले चलने लगती है। जब बाकी छह बहने आई तो उन्हें किस बारे में पता चला कि कोसी जा चुकी है तो उन्हें बहुत बुरा लगा। उन छह बहनों ने गुस्से में आकर कोसी को श्राप दिया कि वह हमेशा अलग बहती रहे और उसे कभी भी पवित्र नदी नहीं माना जाएगा। इस तरह से दोस्तों उत्तराखंड के लोक कथाओं में कोसी नदी की कहानी सुनने को मिलती है।
कोसी नदी की पौराणिक कहानी. Kosi Nadi Uttarakhand Poranaki kahani
कोसी नदी की पौराणिक कहानी का ऐतिहासिक स्रोत उत्तराखंड के प्रसिद्ध इतिहासकार बद्री दत्त पांडे जी की पुस्तक कुमाऊं का इतिहास से लिया गया है।
बद्री दत्त पांडे के अनुसार ऋषि कौशिकी के द्वारा कौशिकी का अवतरण “धरती पर कराया गया था। बताया गया है कि ऋषि कौशिकी भटकोट शिखर पर बैठ कर तपस्या करते थे। एक समय की बात है उन्होंने स्वर्ग की ओर हाथ उठाकर मां गंगा की स्तुति की। जिससे मां गंगा की एक जलधार उनके हाथ में प्रकट हुई। उन्होंने इस धारा का उपयोग जनकल्याण ही तो भटकोट बूढ़ा पिननाथ शिखर महादेव, बाधादित्य, में चली जाती है।
इस तरह से कुमाऊं के इतिहास नामक पुस्तक से कोशी नदी की पौराणिक कहानी जानने को मिलती है। उत्तराखंड में कोसी नदी पवित्र मानी जाती है।
कोसी नदी की प्रमुख सहायक नदियां. Kosi Nadi Ki Sahayak Nadi
उत्तराखंड से उत्पन्न होने वाली कोसी नदी की 118 सहायक नदियां है। सहायक नदियों से तात्पर्य छोटी-छोटी नदियों एवं स्थानीय भाषा में गधेरे से है
- देवगाड़
- मिनोलगाड़
- सुमालीगाड़
कोशी नदी F&Q
Q -कोसी नदी का मुहाना
Q – कोसी नदी की लंबाई
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