हेलो दोस्तों स्वागत है आपका देवभूमि उत्तराखंड के आज के नए लेख में। आज हम बात करने वाले हैं कल्पेश्वर महादेव मंदिर ( Kalpeshwar Temple) के बारे में। जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं कि देवभूमि उत्तराखंड प्राचीन काल से ही दिव्य आत्माओं का निवास रही है और यहां के कर्ण कर्ण मे देवी देवता बसते है। देवभूमि में भगवान भोलेनाथ का स्थान काफी उचित माना जाता है भगवान भोलेनाथ को समर्पित यहां पर अनेकों मंदिर हैं जो कि आज के समय में आस्था और भक्ति के प्रतीक माने जाते हैं आज हम बात करने वाले हैं कल्पेश्वर महादेव मंदिर ( Kalpeshwar Mahadev) के बारे में जो कि उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है। यह लेख हमारे पाठकों के प्रश्न के आधार पर तैयार किया गया है जिसमें हम आपको कल्पेश्वर महादेव मंदिर के बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान करेंगे। आशा करते हैं कि आपको हमारा यह लेख पसंद आएगा इसलिए इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ना।
कल्पेश्वर महादेव मंदिर.Kalpeshwar Temple
भगवान शिव जी को समर्पित कल्पेश्वर महादेव मंदिर ( Kalpeshwar Temple) उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले में स्थित एक प्राचीन मंदिर है जो की पंच केदार मंदिर समूह में से एक है समुंदरतल से 2134 मीटर की ऊंचाई पर स्थित कल्पेश्वर महादेव मंदिर ( kalpeshwar trek ) कल्प गंगा घाटी में स्थित है। ऐतिहासिक दृष्टि से देखा जाए तो किवदंति है की यहां पर भगवान शिव जी की जाटव प्रकट हुई थी। मंदिर में भगवान शिव जी की जटा की पूजा की जाती है। प्राकृति सौंदर्य से परिपूर्ण यह मंदिर खूबसूरत से पहाड़ों के बीच में स्थित है। जहां की आवोहवा मन को तरोवताज कर देने वाली होती हैं।
कल्प गंगा को प्राचीन काल में हिरण्यवती हमसे पुकारा जाता था। इसी के दाहिनी ओर स्थित भूमि को दुर्बासा भूमि कहा जाता है। आज के समय में ध्यान बद्री का मंदिर स्थित है। कल्पेश्वर में एक प्राचीन गुफा है जहां पर स्वयंभू शिवलिंग विराजमान है। यह मंदिर अनादिनाथ कल्पेश्वर महादेव के नाम से प्रसिद्ध है।
मंदिर के समीप एक प्राकृतिक कुंड स्थित है जिसे कलेवर कुंड कहा जाता है। पानी सदैव ठंड एवं स्वच्छ बना रहता है। इस पवित्र जल के बारे में किवदंति की यहां के जल ग्रहण करने से श्रद्धालुओं को अनेक बीमारियों से मुक्ति मिलती है। यहां के साधुओं द्वारा भगवान शिव जी को जल देने के लिए इस पवित्र जल का उपयोग करते हैं। कल्पेश्वर का रास्ता लगभग 1 किलोमीटर का होता है और सभी भक्तों द्वारा गुफा के अंदर जाकर भगवान शिव जी की जटाओं की पूजा करते हैं।
कल्पेश्वर महादेव का इतिहास एवं पौराणिक मान्यता. Kalpeshwar Temple History
कल्पेश्वर महादेव मंदिर की पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यह माना जाता है कि यह वह स्थान है जहां महाभारत के युद्ध के पश्चात विजई पांडवों ने युद्ध में अपने संबंधियों की हत्या करने की आत्मग्लानि से पीड़ित होकर आपसे मुक्ति पाने के लिए भगवान शिव जी से कामना की। लेकिन भगवान शिव जी उन्हें दर्शन नहीं देना चाहते थे क्योंकि पांडवों ने भगवान शिव जी के भक्तों को भी नुकसान पहुंचा था। पांडव भगवान भोलेनाथ के दर्शन करने के लिए उन्हें ढूंढने लगे। लेकिन भगवान शिव जी उन्हें दर्शन नहीं देना चाहते थे इसलिये वह जगह-जगह जाकर छुप जाते थे। पांडवों से बचने के लिए भगवान भोलेनाथ कभी मनुष्यों का रूप धारण करते तो कभी जानवरों का। उनका पीछा करते-करते सभी पांडव केदारनाथ तक पहुंच गए। अंत में जब उन्हें भगवान भोलेनाथ जी नहीं मिले तो कुंती पुत्र भीम ने अपना विशाल रूप धारण किया और सभी जानवरों को अपने पैरों के नीचे से जाने के लिए तैयार किया। भगवान भोलेनाथ वहीं रुक गए और पांडव पहचान गए की यही भगवान शिव जी है । भीम ने उस बैल को अपने हाथों से छूना चाहा लेकिन बैल का पिछला भाग पकड़ लिया जबकि उनका अधिकांश भाग धरती में अंतर्धार्य हो गए। और उनका वह रूप नेपाल के काठमांडू में प्रकट हुआ जहां पर आज के समय में प्रसिद्ध पशुपतिनाथ मंदिर बना हुआ है। भोलेनाथ जी पांडवों के दृढ़ संकल्प को देखकर अत्यंत खुश हुए और उन्हें भ्राता हत्या के पाप से मुक्ति प्रदान की। इतने से भगवान भोलेनाथ जी बैल की पीठ की आकृति पिंड के रूप में केदारनाथ मंदिर में पूजे जाते हैं।
कल्पेश्वर महादेव मंदिर कैसे पहुंचे. How To Reach Kalpeshwar Temple
दोस्तों यदि आप भी कल्पेश्वर महादेव मंदिर के दर्शन करना चाहते हैं हम आपको बताना चाहेंगे कि आप सड़क मार्ग और रेल मार्ग के अलावा वायु मार्ग के माध्यम से भी कल्पेश्वर महादेव मंदिर के दर्शन कर सकते हैं।
सड़क मार्ग के द्वार कल्पेश्वर महादेव मंदिर पहुंचना काफी आसान है । कल्पेश्वर महादेव मंदिर चमोली जिले में स्थित है जहां आप अपने नजदीकी शहर से बस एवं टैक्सी के माध्यम से देहरादून ऋषिकेश सड़क मार्ग के द्वारा आसानी से पहुंच सकते हैं।
रेल मार्ग के द्वारा कल्पेश्वर महादेव मंदिर ( kalpeshwar mahadev) पहुंचने के लिए आप अपने नजदीकी रेलवे स्टेशन से ऋषिकेश रेलवे स्टेशन तक यात्रा कर सकते हैं। कैसे से 247 किलोमीटर की दूरी पर चमोली स्थित है जहां के लिए आप बस और टैक्सी भी ले सकते हैं। उत्तराखंड परिवहन निगम की बहुत सी बसे इस यात्रा मार्ग पर चलती रहती है।
यदि वायु मार्ग से कल्पेश्वर महादेव मंदिर पहुंचने की बात की जाए तो। कल्पेश्वर महादेव मंदिर का नजदीकी एयरपोर्ट देहरादून जोली ग्राउंड एयरपोर्ट है देहरादून से लगभग 266 किलोमीटर की दूरी पर कल्पेश्वर महादेव मंदिर स्थित है। यहां से आप उत्तराखंड परिवहन निगम की बस और टैक्सियां या प्राइवेट वाहन के माध्यम से भी जा सकते हैं।
दोस्तों यह था हमारा आज का लेख जिसमें हमने आपको कल्पेश्वर महादेव मंदिर ( kalpeshwar mahade )के बारे में जानकारी दी। आशा करते हैं कि आपको कल्पेश्वर महादेव मंदिर के बारे में जानकारी मिल गई होगी । आपको यह ले कैसा लगा हमें टिप्पणी के माध्यम से जरूर बताएं और उत्तराखंड से संबंधित ऐसे ही जानकारी युक्त लेख पाने के लिए आप देवों में उत्तराखंड को जरूर फॉलो करें।
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