नमस्ते दोस्तों स्वागत है आपका देव भूमि उत्तराखंड के आज के नए लेख में। आज के इस लेख के माध्यम से हम आप सभी लोगों के साथ उत्तराखंड का प्रसिद्ध फल हिसालु के बारे में ( Pahadi fal Hisaar ) बात करने वाले हैं। देवभूमि उत्तराखंड में विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक जड़ी बूटियां एवं फल सब्जियां विद्यमान हैं जोकि अपने महत्व और पारंपरिक संस्कृति के लिए पहचाने जाते हैं। उन्हीं प्राकृतिक फलों में से एक हैं हिसालु फल जिसे उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों में हिंसोल और हिसार के नाम से भी जाना जाता है। उत्तराखंड में इस फल का बड़ा ही महत्व माना जाता है आज हम आपको हिसालु फल के बारे में ( Pahadi fal Hisaar ) संपूर्ण जानकारी देने वाले हैं आशा करते हैं कि आपको हमारा यह लेख जरूर पसंद आएगा इसलिए इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ना।
हिसालु फल उत्तराखंड. Hisaalu Fhal Uttarakhand
उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में पाया जाने वाला यह हिसालु फल स्वादिष्ट होने के साथ-साथ उत्तराखंड में काफी प्रसिद्ध है। यह फल लगभग उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों हर जगह पाया जाता है। यह एक प्राकृतिक पौधा है जिसे प्रकृति के द्वारा स्वयं उगाया जाता है। मुख्य रूप से यह फल मई – जून के महीने में पहाड़ी क्षेत्र की रूखी सूखी धरती पर स्वयं ही रुक जाता है।
नन्ना और प्यारा सा दिखने वाला इसका छोटा सा फल हल्का नारंगी रंग का होता है। इसका स्वाद खाने में मीठा होता है और साथ ही यह है हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभदायक माना जाता है। उत्तराखंड के लोगों द्वारा ग्रीष्म ऋतु में इस हिसालु फल को बड़े ही स्वाद के साथ खाया जाता है।
उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्र में इस फल को हिसोल और हिसार के नाम से भी जाना जाता है । हिसालू फल ( Pahadi fal Hisaar ) में विभिन्न प्रकार के पोस्टिक तत्व पाए जाते हैं। जो गर्मियों के समय में शरीर को ठंडक पहुंचाने का कार्य करते हैं। इसे हिमालय की रसबेरी के नाम से भी पहचाना जाता है। इसका लेटिन नाम Rubus elipticus है , जो कि Rosaceae कुल की झाडीनुमा वनस्पति है |
हिसालु फल के उत्तराखंड में दो प्रकार की प्रजातियां पाई जाती है एक नारंगी रंग की और दूसरा काला रंग का। दोनों ही रंग के फल खाने में बड़े ही स्वादिष्ट होते हैं लेकिन काले रंग का फल अधिक मिठास वाला होने के कारण लोगों के द्वारा अधिक पसंद किया जाता है। लेकिन काले रंग का हिसालु कम मात्रा में पाया जाता है।
पहाड़ी फल हिसालु के फायदे. Pahadi Fhal Hisalu
प्यारे दोस्तों जैसा कि हम आपको पहले भी बता चुके हैं की हिसालु फल उत्तराखंड में बेहद लोकप्रिय माना जाता है। यह फल ग्रीष्म ऋतु के समय में स्वतः उत्पन्न होने वाला एक प्राकृतिक फल है। जिसमें तमाम प्रकार के पोस्टिक तत्व पाए जाते हैं जो कि मनुष्य के शरीर को ठंडक पहुंचाने का कार्य करते हैं। पहाड़ी फल हिसालु के फायदे कुछ इस प्रकार से है।
- किसानों के दानों से निकलने वाले रस का उपयोग पेट दर्द और खांसी के अलावा बुखार में भी किया जाता है।
- एंटीऑक्सीडेंट तत्व की भरपूर मात्रा पाए जाने के कारण हिसालु फल शरीर के लिए काफी उपयोगी माना जाता है। यह मानवीय शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का कार्य करता है।
- हिसार फल का उपयोग मूत्र संबंधित बीमारियों के इलाज में किया जाता है
- एक शोध के अनुसार हिसार फल के नियमित उपयोग से किडनी में होने वाली बीमारियों से बचा जा सकता है।
- हिसार फल के तने की छाल का तिब्बती चिकित्सा पद्धति में कामोत्तेजक दवाई के रूप में किया जाता है।
- हिसार फल की जड़ों को बिच्छू घास के जड़ और जरुल की छाल के साथ काढ़ा बनाकर बुखार की स्थिति में रामबाण का कार्य करती है।
पहाड़ी फल हिसालु के नुकसान. Pahadi Furit Hisaalu Ke Nuksaan
दोस्तों जिस तरह से किसी भी चीज की नुकसानदायक परिणाम देखने को मिलते हैं ठीक उसी तरह से पहाड़ी फल हिसालु के सेवन के नुकसान भी देखने को मिलते हैं।
वो कहते हैं ना कि किसी भी चीज का उपयोग सही मात्रा में किया जाना चाहिए। ठीक उसी तरह से पहाड़ी फल हिसालु अधिक मात्रा में सेवन करने के नुकसान होते हैं। हिसालु फल का अधिक मात्रा में उपयोग करने से पेट खराब जैसी समस्या उत्पन्न हो सकती है। इसलिए इस दिव्य रूपी प्राकृतिक फल का उपयोग उचित मात्रा में किया जाना चाहिए।
पहाड़ी फल हिसार और उत्तराखंड. Pahadi Fhal Hisaar Uttarakhand
प्यारे दोस्तों पहाड़ी पर हिसाब न केवल एक स्वादिष्ट और दिव्य रूपी प्राकृतिक फल है। बल्कि उत्तराखंड की परंपरा और संस्कृति में इसका बहुत बड़ा महत्व दिया गया है। जब यह फल ग्रीष्म ऋतु में उत्पन्न होता है तो उत्तराखंड के छोटे बच्चों और सभी लोगों द्वारा बेसब्री से इस फल के पार्क जाने का इंतजार किया जाता है। खेत खलिहान में उत्पन्न होने वाला यह प्राकृतिक फल उत्तराखंड की बहन बेटियों द्वारा घास काटते समय एवं छोटे बच्चों के द्वारा गाय बैलों को चराने के समय बड़ी ही खुशी और स्वाद की भावना के साथ है जाता है। उत्तराखंड वासियों के लिए यह फल एक कुदरत का वरदान है जो उन्हें विभिन्न प्रकार के रोगों से मुक्त करने में सहायता करता है।
दोस्तों यह था हमारा आजकल एक जिसमें हमने आपको पहाड़ी फल हिसालु के बारे में जानकारी साझा की। आशा करते हैं कि आपको हिसार फल के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त हो गई होंगी। इस लेख के संदर्भ में किसी भी तरह की उलझन के लिए हमें कमेंट के माध्यम से सूचित कर सकते हैं।
अस्वीकरण
प्यारे पाठको यह लेख केवल जानकारी एवं शैक्षणिक प्रयोग के लिए साझा किया गया है। हिसालु फल ( Pahadi fal Hisaar ) का उपयोग किसी भी प्रकार के उपचार में करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें। देवभूमि उत्तराखंड आपको कभी भी किसी भी प्रकार की औषधि को अपनाने की सलाह नहीं देता है।
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