नमस्ते दोस्तों स्वागत है आपका देवभूमि उत्तराखंड के आज के नए लेख में। आज के इस लेख के माध्यम से हम आप लोगों के साथ नित्यानंद स्वामी जीवन परिचय ( Nityanand Swami jiwan Parichay ) के बारे में जानकारी देना चाहते हैं। वैसे तो देव भूमि उत्तराखंड में बहुत से महान विद्वान पैदा हुए जिनके नाम और आचरण को आज हर कोई अपनाता है। नित्यानंद स्वामी भी उन्हीं प्रमुख व्यक्तियों में से एक थे उत्तराखंड के इतिहास में उनका योगदान और उनका स्थान काफी महत्वपूर्ण है। आज के इस लेख में हम आपको नित्यानंद स्वामी जी के बारे में संपूर्ण जानकारी ( Nityanand Swami jiwan Parichay ) देने वाले हैं आशा करते हैं कि आपको हमारा यह लेख जरूर पसंद आएगा।
नित्यानंद स्वामी जीवन परिचय. Nityanand Swami jiwan Parichay
उत्तराखंड के प्रथम मुख्यमंत्री रह चुके नित्यानंद स्वामी का जन्म 27 दिसंबर 1927 को भारत के पंजाब राज्य में हुआ। इनके पिता का नाम श्री बिहारी लाल स्वामी था। इनके पिता देहरादून में वन अनुसंधान संस्थान में तैनात थे । नित्यानंद स्वामी जी एक कुशल परिवार से नाता रखते हैं।
परिवार देहरादून में ही स्थित होने के कारण इन्होंने अधिकतम जीवन देहरादून में ही बिताया और देहरादून से ही इनकी शिक्षा भी पूरी हुई। 1950 में देहरादून के डीएवी कॉलेज से इन्होंने एम. ए. एल. एल. बी., की उपाधि प्राप्त की।
नित्यानंद स्वामी जी व्यक्तिगत जीवन. Nityanand Swami Biography
नित्यानंद स्वामी जीवन परिचय ( Nityanand Swami jiwan Parichay ) को खास बनाता है उनका व्यक्तिगत जीवन। नित्यानंद स्वामी एक पढ़े-लिखे व्यक्ति होने के साथ-साथ एक दयालु प्रवृत्ति के व्यक्तित्व वाले व्यक्ति थे। हमेशा से ही वह अपने अच्छे व्यवहार के कारण समाज में उचित स्थान रखते थे। यही कारण था कि 1950 में उन्हें डीएवी कॉलेज का अध्यक्ष बनाया गया। 1950 से 60 के दशक में वह समाज के साथ अच्छी तरह जुड़े रहे । उनका विवाह चंद्रकांता से हुआ। स्वभाव के धनी व्यक्ति नित्यानंद स्वामी जी की चार पुत्रियां थी। उनकी दो बेटियों का विवाह एक ही घर में हुआ है।
नित्यानंद स्वामी जी राजनीतिक जीवन. Nityanand Swami jiwan Parichay
अच्छे व्यवहार और दयालु पर्वती स्वभाव के व्यक्ति होने के कारण वह किसी से भी बड़ी जल्दी ही घुल मिल जाते थे। 1950 में उन्हें बीबीए कॉलेज में अध्यक्ष बनाया गया जिसके साथ समाज में उन्होंने अपना राजनीति के क्षेत्र में पहला कदम रखा। इसी बीच उन्होंने जनसंघ के साथ जुड़ कर अपनी राजनीति का सफर शुरू किया। वे जनसंघ के कार्यकर्ता और विभिन्न ट्रेड यूनियनों के अध्यक्ष जी थे।
उन्होंने अपना पहला दल भारतीय जनता पार्टी को चुना वर्ष 1984 को गढ़वाल कुमाऊं स्नातक निर्वाचन क्षेत्र के सदस्य रहे ।
नित्यानंद स्वामी जी 13 अगस्त 1991 को परिषद के उपसभापति चुने गए। और उन्होंने 23 मई 1996 को सभापति की शपथ ग्रहण की। उनका राजनीतिक जीवन काफी अच्छा और कुशल रहा। समाज के साथ अच्छा मेल मिलाप और अच्छा व्यवहार के कारण उनका राजनीतिक जीवन अविवादित था।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के रूप में नित्यानंद स्वामी. Nityanand Swami First CM of Uttarakhand
नित्यानंद स्वामी उत्तराखंड के प्रथम मनोनीत मुख्यमंत्री चुने गए थे। जिसके कारण से उत्तराखंड के इतिहास में एवं भारत के इतिहास में उनका नाम सर्वश्रेष्ठ एवं उचित स्थान पर है। सन 2000 में भगत सिंह कोशियारी ने नित्यानंद स्वामी जी का मुख्यमंत्री बनने का प्रस्ताव रखा।
9 नवंबर 2000 को उत्तराखंड को उत्तर प्रदेश से अलग किया गया और एक अलग राज्य के रूप में दर्जा दिया गया। एक नया राज्य बन गया तो मुख्यमंत्री किसे बनाया जाए सवाल से सभी समाज वासी चिंतित थे। उस वक्त भारतीय जनता पार्टी की सरकार राज्य में मौजूद थे और उनके वरिष्ठ नेता नित्यानंद स्वामी जी थे इसलिए संवैधानिक प्रक्रिया के तहत श्री नित्यानंद स्वामी जी को ही उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बनाया जाना था।
9 नवंबर 2000 से 29 अक्टूबर 2001 तक नित्यानंद स्वामी जी उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे उनका कुल मुख्यमंत्री कार्यकाल 11 माह 20 दिन रहा।
नित्यानंद स्वामी जी के प्रमुख सम्मान. Nityanand Swami Awards
उत्तराखंड राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री रह चुके नित्यानंद स्वामी जी को उचित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। ( Nityanand Swami Awards ) वर्ष 1994 में उन्हें हिंदी प्रचार समिति द्वारा सम्मानित किया गया। नित्यानंद स्वामी जी को 2000 में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा हिंदी में समर्पित सार्वजनिक कार्य के लिए प्रदेश रत्न से सम्मानित किया गया।
दून सिटीजन काउंसिल देहरादून से प्राइड ऑफ द दून पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया। इस तरह से ही नित्यानंद स्वामी जी का जीवन उत्तराखंड के इतिहास में अनमोल माना गया है।
नित्यानंद स्वामी जी की मृत्यु. Nityanand Swami Biography
12 दिसंबर 2012 को सुबह सीएमआई अस्पताल देहरादून में 9:30 नित्यानंद स्वामी जी ने अपनी आखिरी सांस ली। वह 84 वर्ष के व्यक्ति थे जिन्होंने उत्तराखंड के इतिहास में एवं राजनीति के क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान स्थापित की थी। आज के समय में भी नित्यानंद स्वामी जी का उत्तराखंड के इतिहास में उचित स्थान है राज्य का छोटे से छोटा बच्चा उनके नाम को भलीभांति पहचानता है।
दोस्तों यह तो हमारा आज का लेख श्री नित्यानंद स्वामी का जीवन परिचय के बारे में. ( Nityanand Swami Biography) आशा करते हैं कि आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा यदि आपको नित्यानंद स्वामी का जीवन परिचय लेख अच्छा लगा तो इस जानकारी को अपने परिवार एवं दोस्तों के साथ जरूर साझा करें।