उत्तराखंड के पारंपरिक आभूषण. Traditional Jewelery of Uttarakhand

Traditional Jewellery of Uttarakhand

हेलो दोस्तों स्वागत है आपका देवभूमि उत्तराखंड के आज के नए लेख में। आज के इसलिए के माध्यम से हम आप लोगों के साथ उत्तराखंड के पारंपरिक आभूषणों के बारे में ( Traditional Jewelery of Uttarakhand) जानकारी देने वाले हैं। दोस्तों जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं कि उत्तराखंड में प्रत्येक चीज अपने महत्व के लिए पहचानी जाती है। उन्हें में से एक है उत्तराखंड के पारंपरिक आभूषण जो न केवल एक पहनावे का अंग है बल्कि यह उत्तराखंड की संस्कृति और परंपराओं को उजागर करने वाले साधनों में से एक है। आज के इस लेख में हम चर्चा करेंगे उत्तराखंड के पारंपरिक आभूषण के बारे में तो चलिए आज का लेख शुरू करते हैं।

उत्तराखंड के पारंपरिक आभूषण. Traditional Jewelery of Uttarakhand

उत्तराखंड के पारंपरिक आभूषण का ( Traditional Jewelery of Uttarakhand) सदियों से अपना खास महत्व रहा है। यहां के आभूषण न केवल एक पहनावे का अंग है बल्कि उत्तराखंड की संस्कृति को प्रकट करने वाले साधनों में से एक है। यहां के आभूषण धारण करने से ही यहां के लोग अपने संस्कृति के लिए पहचाने जाते हैं। चलिए जानते हैं उत्तराखंड के आभूषणों के बारे में।

सिर पर पहने जाने वाले आभूषण

शीश फूल – शीश फूल उत्तराखंड का एक पारंपरिक आभूषण है जो जुड़े में पहना जाता है।

मांगटीक – मांगटीक मांग के ऊपर धारण किया जाता है। उत्तराखंड के महिलाओं द्वारा इस किसी त्यौहार एवं शादी या किसी अन्य शुभ कार्य में पहना जाता है।

कान में पहने जाने वाले प्रमुख आभूषण

मुखरली – मुखरली कान में पहने जाने वाला मुख्य आभूषण है जो की चांदी की बनी हुई होती है। इसे कान के ऊपरी हिस्से में पहना जाता है। उत्तराखंड के संस्कृति का यह एक प्रमुख अंग है और इसका वजन लगभग 5 से 10 ग्राम का होता है। स्थानीय भाषा में इसे मूंदडा भी कहा जाता है।

कर्ण फूल एवं झुमकी – झुमकी उत्तराखंड के पारंपरिक आभूषण में ( Traditional Jewelery of Uttarakhand ) से एक है। उत्तराखंड की महिलाओं द्वारा पहने जाने वाला यह आभूषण लगभग 5 से 10 ग्राम का होता है इसके बीच में एक नग लगी होती है जो पूरे कान को ढकती है कुमाऊं के कुछ क्षेत्रों में इसे तुग्यल भी कहा जाता है।

कुंडल – कुंडल मुख्य रूप से उत्तराखंड के महिलाओं द्वारा धारण किया जाता है। यह आभूषण मुख्य रूप से सोना चांदी एवं पीतल से तैयार किया जाता है।

नाक में पहने जाने वाले प्रमुख आभूषण

नथ- जब कभी भी बात उत्तराखंड के आभूषणों के बारे में की जाती है तो नथ का नाम सबसे पहले स्थान पर आता है। महिलाओं द्वारा धारण किए जाने वाला यह आभूषण श्रृंगार का एक अंग है। इसके बिना उत्तराखंड की महिलाएं अधूरी सी लगती है। नथ का उपयोग मुख्य रूप से शादी विवाह एवं अन्य शुभ कार्य पर किया जाता है।

Traditional Jewellery of Uttarakhand

उत्तराखंड में मुख्य रूप से तीन से चार तोले के वजन कि मैं तैयार की जाती है और यह लगभग 35 से 40 सेंटीमीटर की होती है। इसके वजन से कभी-कभी महिलाओं के नाक फटने का डर रहता है इसलिए अब धीरे-धीरे इसके वजन को कम करने का प्रचलन आ रहा है।

बुलाक– बुलाक नाक में पहने जाने वाला एक विशेष प्रकार का गहना है। यह अंग्रेजी के यू आकार का होता है और इसे दोनों नाक के बीच की हिस्से को छेद करके पहना जाता है। इसे अपने अनुसार छोटा या बड़ा बनाया जा सकता है। यह शादी विवाह के शुभ अवसर पर पहनी जाती है लेकिन इसके अलावा उत्तराखंड की महिलाएं नाक में फुल्ली या लोंग पहनी जाती है।

उत्तराखंड में गले में पहने जाने वाले आभूषण

गुलबंद- गुलबंद उत्तराखंड की संस्कृति का एक अंग है इस मुख्य रूप से गले में धारण किया जाता है। उत्तराखंड के महिलाओं द्वारा इस शादी विवाह एवं अन्य शुभ अवसरों पर धारण किया जाता है और यह मुख्य रूप से सोने का बना रहता है। लेकिन आज के समय में लोग सोने का ना धारण करके नकली गुलबंद भी पहनते हैं।

हसुली – हसुली एक चांदी का जेवर है। उत्तराखंड के मुख्य आभूषण में शामिल हसुली महिलाओं के द्वारा गले में धारण की जाती है। और इसका वजन लगभग तीन तोले का होता है। उत्तराखंड के कुछ स्थानों में हसूली को खगवाली भी कहते हैं।

हाथ में पहने जाने वाले आभूषण

पोंची- गुलबंद की तरह दिखने वाला यह आभूषण विवाहित महिलाओं द्वारा धारण किया जाता है जो लगभग 2 से 5 तोले वजन का होता है। इसे उत्तराखंड के कई भागों में मादुडी, मुद्रिका, गुठी भी कहते हैं।

धागुली – धागुली छोटे बच्चों का एक आभूषण है इसे छोटे बच्चों द्वारा हाथों में धारण किया जाता है। यह मुख्य रूप से चांदी के बने हुए होते हैं।

पैरों में पहने जाने वाला आभूषण

उत्तराखंड में पैरों में पहने जाने वाले आभूषणों में मुख्य रूप से झिंगोरी, झांजर, पोटा, पायल और पाजेब पहने जाने है। पायल चांदी के बनी हुई होती है और उत्तराखंड में महिलाओं के द्वारा चूड़ीनुमा पायल धरण की जाती है।

कमर में पहने जाने वाला आभूषण

दोस्तों उत्तराखंड के महिलाओं द्वारा कमर में तगड़ी या तिगड़ी धरण की जाती है। लेकिन आज के समय में धीरे-धीरे यह आभूषण प्रचलन में नहीं है। मुख्य रूप से चांदी का बना हुआ होता है जिसे महिलाएं बेल्ट की तरह पहना करती है।

दोस्तों यह था हमारा आज का लेख जिसमें हमने आपको उत्तराखंड के प्रमुख आभूषणों के बारे में ( Traditional Jewelery of Uttarakhand) जानकारी दी। आशा करते हैं कि आपको उत्तराखंड के आभूषणों के बारे में जानकर अच्छा लगा होगा। यदि आपको यह लेख पसंद आया है तो अपने दोस्तों और परिवार के साथ जरूर साझा करें और उत्तराखंड से संबंधित ऐसे ही जानकारी युक्त लेख पाने के लिए देवभूमि उत्तराखंड को जरूर फॉलो करें।

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