नमस्ते दोस्तों स्वागत है आपका देव भूमि उत्तराखंड के लिए आज के नए लेख में। आज के इस लेख के माध्यम से हम आपको उत्तराखंड का झंडा मेला के बारे में ( Jhanda Mela) जानकारी देने वाले हैं। देवभूमि उत्तराखंड लोकप्रभा और त्योहारों का घर है। पूरे वर्ष भर में यहां पर विभिन्न प्रकार के लोक पर्व , त्योहार और मेले मनाए जाते है। उन्हीं प्रमुख मेला में से एक है झंडा मेला ( Jhanda Mela)जोकि अपने भव्य समारोह के लिए उत्तराखंड में काफी प्रसिद्ध है आज हम आपको झंडा मेला के बारे में संपूर्ण जानकारी देने वाले हैं। आशा करते हैं कि आपको हमारा यह लेख जरूर पसंद आएगा।
झंडा मेला समारोह. Jhanda Mela Uttarakhand
झंडा मेला उत्तराखंड का एक प्रसिद्ध मेला है जोकि उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में हर वर्ष बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ आयोजित किया जाता है। हमारे पाठकों के पास यह भी सवाल होगा कि झंडा मेला समारोह कब मनाया जाता है। बताना चाहेंगे कि झंडा मेला ( Jhanda Mela) हर वर्ष होली त्यौहार के पांचवें दिन बाद पंचमी को शुरू किया जाता है। और झंडा मेला समारोह की सबसे अच्छी खासियत यह है कि यह मेला 15 दिनों तक चलता है। मेले में हर 3 वर्ष में नए ध्वज का रोहड़ किया जाता है। झंडा मेला समारोह में ना केवल देहरादून की लोग शामिल होते हैं बल्कि पंजाब हरियाणा और उत्तर प्रदेश के अलावा हिमाचल प्रदेश जैसे विभिन्न राज्य के लोग झंडा मेला में पधार कर झंडा मेला समारोह का आनंद उठाते हैं।
झंडा मेला किस दिन मनाया जाता है. Jhanda Mela Kab Manaya Jata Hai
उत्तराखंड का ऐतिहासिक झंडा मेला उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में हर वर्ष बड़ी ही आस्था और भक्ति के साथ आयोजित किया जाता है। प्रसिद्ध झंडा मेला हर वर्ष होली के पांचवें दिन बाद पंचमी के दिन से शुरू किया जाता है और यह मेरा लगभग 15 दिनों तक चलता है। झंडा मेला ( Jhanda Mela) में पंजाबियों के द्वारा बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया जाता है। मेले में लगभग एक लाख से अधिक लोग पधार कर झंडा मेला का आनंद लेते हैं। झंडा मेला में झंडारोहण का बड़ा महत्व माना गया है।
झंडा मेला क्यों मनाया जाता है. Jhanda Mela Kyu Manaya Jata Hai
प्यारे पाठको झंडा मेला क्या होता है यह तो हम जान चुके हैं लेकिन जिस तरीके से हर किसी लोक पर्व, मेला और त्यौहार के पीछे कोई ऐतिहासिक कहानी छुपी होती है जिसके आधार पर लोगों के द्वारा मेले, त्योहार और लोक पर्व बनाए जाते हैं। मान्यता है कि यह मेला 350 वर्ष पूर्व सन 1676 में दून घाटी के सातवें सीख गुरु हर राय के सबसे बड़े पुत्र गुरु राम राय द्वारा देहरादून में डेरा लगाया गया था। और यह दिन होली के पांचवें दिन बाद लगने वाली पंचमी थी। गुरु राम राय जी का जन्म 1664 में पंजाब के होशियारपुर में हुआ था। दरबार साहिब में ध्वजारोहण किया जाता है। देश के पंजाबी वर्ग द्वारा झंडा मेला समारोह ( Jhanda Mela) मनाया जाता है।
दोस्तों यह था हमारा आज लेख झंडा मेला समारोह। जिसमें हमने जाना कि झंडा मेला क्या होता है और झंडा मेला समारोह क्यों मनाया जाता है। आशा करते हैं कि आपको हमारा यह लेख जरूर पसंद आया होगा। यदि आपको यह लेख पसंद आया है तो अपने दोस्तों और परिवार के साथ जरूर साझा करें।
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