हेलो दोस्तों स्वागत है आपका देवभूमि उत्तराखंड के आज की नई लेख में। आज के इस लेख के माध्यम से हम आप लोगों के साथ जागेश्वर मंदिर उत्तराखंड ( Jageswar Mandir Uttarakhand) के बारे में जानकारी देने वाले हैं। देवभूमि उत्तराखंड में अनेकों ऐसे पवित्र स्थल है जो अपने इतिहास और प्राचीन शिल्प कलाओं के लिए पहचानी जाती है उन्हें मंदिरों में से एक है उत्तराखंड का जागेश्वरी मंदिर जो कि उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में स्थित है। आज के इस ले के माध्यम से हम आप लोगों के साथ जागेश्वर मंदिर का इतिहास ( Jageswar Mandir History ) एवं जागेश्वर मंदिर की वस्तु कला के बारे में भी बात करने वाले हैं तो इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ना।
पहाड़ के सुरम्य घाटियों के बीच में स्थित जागेश्वर मंदिर उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में बसा हुआ है। ( jageswar Mandir Distance) अल्मोड़ा से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पिथौरागढ़ रोड पर बना हुआ यह मंदिर उत्तराखंड के प्राचीन मंदिरों में से एक माना जाता है। जागेश्वर मंदिर का निर्माण लगभग सातवीं से चौदवी शताब्दी के बीच किया गया था। यहां पर हिंदू मंदिरों के 124 प्राचीन मंदिरों का समूह है।
भगवान भोलेनाथ को समर्पित जागेश्वर मंदिर अपनी उत्कृष्ट वस्तु और शिल्प कला ( jageswar temple architecture) के लिए पूरे देश विदेश तक पहचानी जाती है।
उत्तराखंड का पांचवा धाम के नाम से पहचाने जाने वाला जागेश्वर मंदिर का निर्माण केदारनाथ शैली से किया गया है। अपनी प्राचीन और आकर्षित वास्तुकला के लिए यह मंदिर काफी विख्यात है।
जागेश्वर मंदिर की वस्तु और शिल्प कला ( jageswar temple architecture) इस मंदिर को अन्य मंदिरों से काफी खास बनाती है। सुंदर सी वस्तु कला से निर्मित जागेश्वर मंदिर देवदार के पेड़ पौधों से ढका हुआ है। आसपास का वातावरण काफी शांत और मनमोहन कहां से प्रस्तुत करने वाला है। यहां से हिमालय पर्वत की खूबसूरत से नजारे देखे जा सकते हैं। जागेश्वर मंदिर के दर्शन करने वाले दर्शन आरती भगवान भोलेनाथ के दर्शन करने के साथ-साथ इसके सामने बहुत से प्रसिद्ध मंदिर है जिनमें भगवान विष्णु और अन्य देवी देवताओं की पूजा भी की जाती है के दर्शन कहते हैं।
जागेश्वर मंदिर का निर्माण, Who Built Jageshwar temple
दोस्तों जागेश्वर मंदिर का निर्माण भी अपने आप में एक ऐतिहासिक पहलू बना हुआ है। इसकी वस्तु और शिल्प कला को देखने के बावजूद यहां पर दर्शन करने आए सभी दर्शनार्थियों का यही प्रश्न होता है कि आखिर इस सुंदर सी दिखने वाली पवित्र मंदिर का निर्माण किसने किया होगा। ( who built jageshwar temple ) ऐतिहासिक मान्यताओं के आधार पर एवं इंटरनेट पर मौजूद जानकारी के आधार पर कहा जाता है कि। ASI के अनुसार जागेश्वर मंदिर 2500 साल पुराना है जागेश्वर मंदिर का निर्माण और जीर्णोद्धार द्वारा कटरी राजवंश के राजाओं द्वारा किया गया था।
जागेश्वर मंदिर का इतिहास। Jageshwar Temple History in Hindi
जिस प्रकार से जागेश्वर मंदिर के वास्तु और शिल्प कला लोगों को आकर्षित करती है ठीक उसी तरह से जागेश्वर मंदिर का इतिहास अपने आप में काफी प्राचीन और ऐतिहासिक है। यदि बात की जाए जो जागेश्वर मंदिर का इतिहास (Bageshwar temple history) के बारे में तो हमें जानकारी मिलती है कि जागेश्वर मंदिर भगवान भोलेनाथ के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। जागेश्वर मंदिर भगवान भोलेनाथ के 12 ज्योतिर्लिंगों में से आठवीं स्थान पर आता है इसे योगेश्वर के नाम से भी पहचाना जाता है।
ऋग्वेद में नागेशं दारूकावने के नाम से भी इसका उल्लेख मिलता है। महाभारत में भी जागेश्वर मंदिर के बारे में उल्लेख मिलता है। इतिहास के अनुसार उत्तर भारत में गुप्त साम्राज्य के दौरान कत्यूरी राजाओं का निवास था इस दौरान जागेश्वर मंदिर का निर्माण भी होगा। इसी कारण से मंदिर की वस्तु और शिल्प कला में ( jageswar temple architecture) गुप्त साम्राज्य की झलक दिखाई देती है।
वास्तव में जागेश्वर मंदिर उत्तराखंड के प्राचीन मंदिरों में से एक है जो की भगवान भोलेनाथ को समर्पित है इसकी वस्तु और शिल्प कला आकर्षित और सुसज्जित होने के कारण दूर-दूर से लोग यहां पर दर्शन के लिए आते हैं।
दोस्तों यह था हमारा आजकल एक जिसमें हमने आपको जागेश्वर मंदिर ( Jageswar Mandir Uttarakhand) एवं जागेश्वर मंदिर का इतिहास के बारे ( Jageswar Mandir History ) में जानकारी दी। करते हैं कि आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा यदि आपको यह जानकारी अच्छी लगी तो अपने दोस्तों और परिवार के साथ जरूर साझा करें। ऐसे ही उत्तराखंड से संबंधित जानकारियां पढ़ने के लिए आप देवभूमि उत्तराखंड को जरूर फॉलो करें।