हेलो दोस्तों स्वागत है आपका देवभूमि उत्तराखंड के आज के नए लेख में। इस लेख के माध्यम से हम आपको चंद्र बदनी मंदिर के बारे में ( Chandrbadni Mandir Uttarakhand ) जानकारी देने वाले हैं। जैसा की हम सभी लोग जानते हैं कि देवभूमि उत्तराखंड प्राचीन काल से ही दिव्य आत्माओं का निवास स्थान रही है उन्हें जगह में से एक है उत्तराखंड का चंद्र बताने मंदिर जो कि अपने इतिहास और पौराणिक मान्यताओं के लिए पहचाना जाता है। आज के इस लेख में हम आपको चंद्र बदनी मंदिर के बारे में जानकारी देने वाले हैं आशा करते हैं कि आपको हमारा यह लिंक जरूर पसंद आएगा।
चंद्रबदनी मंदिर उत्तराखंड. Chandrbadni Mandir Uttarakhand
52 शक्तिपीठों में से एक चंद्र बदनी मंदिर उत्तराखंड ( Chandrbadni Mandir Uttarakhand) के टिहरी गढ़वाल जिले के हिंडोला खाल विकासखंड में स्थित है। समुद्र तल से 8000 फीट की ऊंचाई पर स्थित यह पवित्र मंदिर देवप्रयाग और टिहरी मोटर मार्ग के मध्य में स्थित है। आदि जगतगुरु शंकराचार्य द्वारा बनाया गया यह मंदिर मां चंद्रबदनी को समर्पित है। स्कंद पुराण देवी भागवत व महाभारत में इस सिद्ध पीठ का विस्तार से वर्णन देखने को मिलता है प्राचीन ग्रंथो में भुवनेश्वरी सिद्ध पीठ के नाम से चंद्रबदनी मंदिर का उल्लेख मिलता है।
पवित्र चंद्र बदनी मंदिर से हिमालय पर्वत के मनमोहक हास्य दिखाई देते हैं यहां आने वाले सभी श्रद्धालु मंदिर में दर्शन करने के बाद प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेते हैं यहां से आसपास का दृश्य बड़ा ही मनमोहक और सुंदर दिखाई देता है।
मंदिर परिसर में पुजार गांव के निवासी ब्राह्मण ही मंदिर में पूजा अर्चना का कार्य करते हैं। प्रसिद्ध मंदिर में मां चंद्र बदनी की मूर्ति ना होकर श्री यंत्र ही अवस्थित है। किवदंति ऐतिहासिक स्रोत के आधार पर मान्यता है कि इस स्थान पर देवी का बदन भाग इस स्थान पर गिरने से देवी की मूर्ति का कोई दर्शन नहीं कर सकता।
यहां तक की यह भी माना जाता है कि पुजारी भी आंखों पर पट्टी बांधकर मां चंद्र बदनी का स्नान करते हैं जान श्रुति है कि कभी किसी पुजारी ने अज्ञानता वश अकेले में मूर्ति देखने की चेष्टा की थी तो वह पुजारी अंधा हो गया था। 52 शक्तिपीठों में से एक मां चंद्र बदनी का मंदिर हर साल लाखों श्रद्धालुओं को आशीर्वाद प्रदान करती है। इस पवित्र मंदिर में हर साल हजारों की संख्या में पर्यटक दर्शन के लिए आते हैं। स्थानीय मान्यता के आधार पर किवदंति है कि जो भी भक्त इस मंदिर में सच्चे मन से कामना करते हैं उनकी मनोकामना मां चंद्रबदनी जरूर पूर्ण करती है।
मंदिर का नाम चंद्रबदनी जरूर जाने रहस्य की बात. Chandrbadni Mandir Uttarakhand
ऐतिहासिक मान्यताओं के आधार पर की कहां जाता है कि चंद्रबदनी मंदिर के स्थापना पौराणिक कथा देवी सती से जुड़ी हुई है । रानी कथाओं के अनुसार एक बार देवी सती के पिता राजा दक्ष ने भव्य यज्ञ का आयोजन किया। जिसमें उन्होंने अपने सभी रिश्तेदारों को बुलाया उन्होंने भगवान भोलेनाथ को छोड़कर सभी रिश्तेदारों को आमंत्रित किया। देवी सती की मां के अलावा किसी ने भी वहां पर देवी सती का स्वागत किया। यज्ञ में भगवान शंकर के अलावा सभी लोगों का स्थान था जब इस बारे में देवी सती ने अपने पिता से पूछा कि यहां पर भगवान शंकर जी का स्थान क्यों नहीं है तो राजा दक्ष ने उनके बारे में अपमानजनक शब्द सुना डालें।
अपने पति के लिए अपमानजनक शब्द सुनकर देवी सती इस यज्ञ कुंड में कूद गई। यह खबर भगवान भोलेनाथ को मिली तो वह वहां आए और राजा दक्ष का सिर काट दिया। भगवान भोलेनाथ क्रोधित होने लगे और वह है देवी सती के शरीर को कंधे पर लेकर तांडव करने लगे। इतनी भयंकर थी कि वहां पर प्रलय स्थिति पैदा हो गई। सभी देवी देवता भगवान भोलेनाथ को शांत करने के लिए भगवान विष्णु से आग्रह करने लगे। मान्यताओं के आधार पर कहा जाता है कि हे भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से देवी सती के शरीर के 52 टुकड़े करके अलग-अलग भागों में फेंक दिए। जिस स्थान पर देवी सती के अंग गिरे उन स्थान को 52 शक्तिपीठों में पहचाने जाने लगा।
तो यह था हमारा आज का लेख जिसमें हमने आपको मां चंद्र बदनी मंदिर के बारे (Chandrbadni Mandir Uttarakhand) में जानकारी दी आशा करते हैं कि आपको चंद्र बदनी मंदिर के बारे में जानकर अच्छा लगा होगा। यदि आपको यह लेख पसंद आया है तो अपने दोस्तों और परिवार के साथ जरूर साझा करें । उत्तराखंड से संबंधित ऐसे ही जानकारी युक्त लेख पाने के लिए आप देवभूमि उत्तराखंड को जरूर फॉलो करें।