जिला पौड़ी गढ़वाल. Jila Pauri Garhwal

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हेलो दोस्तों स्वागत है आपका देवभूमि उत्तराखंड आज के नए लेख में। आज के इस लेख में हम बात करने वाले हैं उत्तराखंड के प्रसिद्ध जिला पौड़ी गढ़वाल ( Jila Pauri Garhwal) के बारे में। दोस्तों जैसा कि हम सभी लोग जाते हैं कि देवभूमि उत्तराखंड अपनी संस्कृति और परंपराओं के लिए पूरे देश विदेश में प्रसिद्ध है । गढ़वाल उत्तराखंड का एक प्रसिद्ध जिला है जो प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण होने के साथ-साथ संस्कृति और परंपराओं को एक सूत्र में संजोया हुवा है ।

पौड़ी गढ़वाल. Jila Pauri Garhwal

5329 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला हुआ पौड़ी गढ़वाल जिला एक पहाड़ी जिला है जिसमें कुल 13 तहसील है। यह 13 तहसील पौड़ी,श्रीनगर ,थलीसैंन , कोटद्वार , धुमाकोट, लैंसडाउन, यमकेश्वर, चौबटाखाल, चाकीसैन , सतपुली, जखरीखाल, रिखणीखाल, बीरोंखाल है

इसके अलावा जिला पौड़ी गढ़वाल में 15 विकासखंड है जो की कजलीखाल, पाबों, पौड़ी, थलीसैंण, रिखणीखाल, बीरोंखाल, दुग्गडा, लैंसडाउन, कोटा, यमकेश्वर, पोखड़ा, नेनीडंडा , खिर्सू, पानाखेत और द्वारीखाल है।

दोस्तों यदि बात की जाए पौड़ी गढ़वाल ( Jila Pauri Garhwal) के मुख्य शहरों के बारे में आपको बताना चाहेंगे कि श्रीनगर ,कोटद्वार,लैंसडाउन और देवप्रयाग जैसे कुछ ऐसी जगह है जो की पर्यटन स्थलों के लिए भी पहचाने जाते हैं। वैसे तो देवभूमि उत्तराखंड में पर्यटन स्थलों की कमी नहीं है लेकिन पौड़ी गढ़वाल की कुछ ऐसी जगह भी है जहां आपको बर्फ से ढकी चोटियां और प्राचीन धार्मिक स्थल अपने महत्व को संजोएं हुए हैं।

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पौड़ी गढ़वाल का इतिहास. History of Pauri Garhwal

पौड़ी गढ़वाल का इतिहास पौराणिक काल के अनुसार उतना ही पुराना है जितना कि यहां के हिमालय क्षेत्र की प्राकृतिक सुंदरता । उत्तराखंड में सबसे पुराना राजवंश कत्यूरी वंश था जिन्हें अखंड उत्तराखंड पर शासन किया। भारतवर्ष में शुरुआती तौर पर राजवाड़े का शासन रहा है उसे समय राजा राज किया करते थे। कत्यूरी राजवंश के राज्य के निशान कई शिलालेख व मंदिरों के रूप में आज भी प्राप्त होते हैं।

कस्तूरी वंश का पतन होने के बाद प्रमुख सेनापति चंद्रपुर गढ़ क्षेत्र के थे उनका नाम अजय पाल था जो सन 1493 के अंतर्गत शक्तिशाली शासन के रूप में उभर कर आए और वह कनक पाल के वंशज थे। इतिहास के अनुसार अजय पाल और उनके उत्तराधिकारियों ने लगभग 300 साल तक गढ़वाल में शासन किया। हालांकि इस समय अवधि के दौरान उन्हें कई हमले का शासन करना पड़ा। और वही हमले पौड़ी गढ़वाल के इतिहास में महत्वपूर्ण घटना मानी जाते हैं।

गोरखा वंश के शासन के दौरान अत्यधिक शोषण किया गया इसलिए गोरखाओं को कूरू माना जाता है। गौर खानी शब्द नरसंहार और लूटमार सेनाओं की निशानी बन गई थी। गौरखावों ने कुमाऊं अपने अधीन होने के बावजूद पौड़ी गढ़वाल के लूंगरगढ़ पर कब्जा कर लिया।
लगभग 1804 में गोरखाओं ने पूरे पौड़ी पर कब्जा कर लिया था। ।

सन 1815 में अंग्रेजों ने गोरखावों पर आक्रमण कर लिया और पूरे 1 वर्ष तक चले इस युद्ध में अंग्रेजों की विजय हुई। हालांकि अंग्रेज शासकों द्वारा गढ़वाल पर इतनी क्रूरता नही दिखाई जितना गोरखावों ने किया था।

बात उस समय की है जब गढ़वाल क्षेत्र को ब्रिटिश गढ़वाल कहा जाता था। अंग्रेजों ने गढ़वाल के अलकनंदा एवं मंदाकिनी नदी के पश्चिमी क्षेत्र में अपना राज स्थापित किया। जिसमें देहरादून भी सम्मिलित था। गढ़वाल का शेष हिस्सा राजा सुदर्शन शाह को दे दिया गया था जिसे उन्होंने टिहरी को अपनी राजधानी बना लिया था। आजादी के शुरुआती दौर में गढ़वाल और अल्मोड़ा जिले को कुमाऊं प्रशासन क्षेत्र का कमिश्नर संभालता था। इसके बाद 1960 में गढ़वाल जिले से चमोली नाम का जिला अलग किया गया वहां सन 1970 में गढ़वाल डिवीजन का केंद्र बना और इसका मुख्यालय पौड़ी बनाया गया था।

जिला पौड़ी गढ़वाल से जुड़ी अन्य जानकारी. Jila Pauri Garhwal

पौड़ी गढ़वाल के प्रसिद्ध मंदिर – सिद्धबली मन्दिर, ज्वाला देवी, नीलकंठ महादेव, मां धारी देवी, चामुंडा देवी, तारकेश्वर मंदिर, कालेश्वर मंदिर विष्णु मंदिर।

पौड़ी गढ़वाल के प्रसिद्ध पर्यटक स्थल – लैंसडाउन, कालागढ़ खिरसू पौड़ी गढ़वाल श्रीनगर, कोटद्वार।

पौड़ी गढ़वाल के प्रसिद्ध मेले – सिद्धबली जयंती गेंदा कोथिग, वीर चंद्र सिंह गढ़वाली मेला, बैकुंठ चतुर्दशी मेला , तारकेश्वर मेला, भुवनेश्वरी देवी मेला, ।

पौड़ी की नदियां – पश्चिम रामगंगा, नयार एवं अलकनंदा।

पौड़ी गढ़वाल की प्रमुख गुफाएं – गोरखनाथ गुफा।

दोस्तों यह था हमारा आज का लेख जिसमें मैं हमने आपको उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले ( Jila Pauri Garhwal) के बारे में जानकारी दी। दोस्तों आशा करते हैं कि आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। यह कैसा लगा हमें टिप्पणी के माध्यम से जरूर बताएं और उत्तराखंड से संबंधित ऐसे ही जानकारी युक्त लेख प्राप्त करने के लिए देवभूमि उत्तराखंड को जरूर फॉलो करें।

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