हेलो दोस्तों स्वागत है आपका देवभूमि उत्तराखंड के आज के नए लेख में। आप लोगों को भारत रत्न से सम्मानित पंडित गोविंद बल्लभ पंत के जीवन परिचय ( Govind Ballabh Pant Biography ) के बारे में जानकारी देने वाले हैं। दोस्तों देवभूमि जैसे इस महान देव तुल्य भूमि में कई महान लोगों ने जन्म लिया है उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन राज्य के विकास के लिए निछावर कर दिया था। डिस्प्ले एवं महान लोगों में से एक है पंडित गोविंद बल्लभ पंत जो की एक प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी और वरिष्ठ भारतीय राजनेता के लिए भी पहचाने जाते हैं। देवभूमि उत्तराखंड के आज के इस लेख में हम आपको पंडित गोविंद बल्लभ पंत के जीवन परिचय के बारे में जानकारी देने वाले हैं। दोस्तों आशा करते हैं कि आपको हमारा यह लेख जरूर पसंद आएगा इसलिए इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ना।
पंडित गोविंद बल्लभ पंत जीवन परिचय. Pandit Govind Ballabh Pant Life Introduction
स्वतंत्रता सेनानी एवं भारत रत्न से सम्मानित पंडित गोविंद बल्लभ पंत ( Govind Ballabh Pant Biography ) का जन्म 10 सितंबर 1887 को उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में हुआ। अल्मोड़ा के एक छोटे से गांव खंटू में रहने वाले गोविंद बल्लभ पंत एक साहसी व्यक्ति माने जाते हैं। गोविंद बल्लभ पंत जी के पिता का नाम मनोरथ पेंट और उनकी माता का नाम श्रीमती गोविंद भाई था। क्या कल में ही पिता की मृत्यु हो जाने के कारण उनकी परवरिश उनके नाना श्री बद्री दत्त जोशी ने की थी।
स्वतंत्रता सेनानी और वरिष्ठ भारतीय राजनेता के रूप में पहचाने जाने वाले गोविंद बल्लभ पंत उत्तर प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री और भारत के चौथे गृहमंत्री भी थे। यह मंत्री में उनका मुख्य योगदान को देखते हुए सन 1957 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। गृहमंत्री के रूप में उनका मुख्य योगदान भारत को भाषा के अनुसार राज्यों में विभक्त करना एवं हिंदी को भारत की राष्ट्रभाषा के रूप में भी प्रतिष्ठित करना था।
उनका बचपन काफी के बीच व्यतीत हुआ। 105 में उन्होंने अल्मोड़ा छोड़ दिया और अल्मोड़ा आ गए। पढ़ाई में अच्छे और होनहार गोविंद बल्लभ पंत म्योर सेंट्रल कॉलेज के गणित एवं राजनीति विषयों के अच्छे विद्यार्थियों में से एक माने जाते थे। अपनी पढ़ाई लिखाई के साथ वह कांग्रेस के स्वयंसेवक का कार्य भी करते थे। 1910 में उन्होंने अल्मोड़ा में दोबारा से वापसी की और वहां पर वकालत करना शुरू किया। लेकिन कुछ कठिन परिस्थितियों के कारण वह रानीखेत से होते हुए काशीपुर में प्रेम सभा नामक एक संस्था का गठन किया ।
इस सभा का गठन करने का मुख्य मकसद शिक्षा और साहित्य के प्रति लोगों में जागरूकता लाना था और वाकई में उनकी यह मुहिम इतनी व्यापक साबित हुई कि ब्रिटिश स्कूलों को काशीपुर से भागना पड़ गया था।
मुख्यमंत्री के रूप में गोविंद बल्लभ पंत. Govind Ballabh Pant as Chief Minister
सन 17 जुलाई 1937 से लेकर 2 नवंबर 1939 तक में ब्रिटिश भारत में संयुक्त प्रांत अथवा यूपी के पहले मुख्यमंत्री बने। 1 अप्रैल 1964 से 15 अगस्त 1947 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य करते रहे जब भारत वर्ष का अपना संविधान बन गया और संयुक्त प्रांत का नाम बदलकर उत्तर प्रदेश रखा गया तो दोबारा से उन्हें तीसरी बार इस पद के लिए सर्वसम्मति से मान्यता प्राप्त हुई। सरदार पटेल की मृत्यु के बाद उन्हें गृह मंत्रालय द्वारा भारत सरकार का प्रमुख दवाई क्या गृहमंत्री के रूप में दिया गया और गृहमंत्री में उनका कार्यकाल सन 1955 से 1961 तक रहा । 7 मार्च 1961 को हृदय घाट से जुड़ते हुए उनकी मृत्यु हो जाती है
भारत रत्न से सम्मानित पंडित गोविंद बल्लभ पंत नाम पर कई स्मारक एवं संस्थान बनाए गए जिनमें से कुछ नीचे दिए गए हैं।
गोविंद बल्लभ पंत के प्रमुख स्मारक. Major monuments of Govind Ballabh Pant
- पंडित गोविंद बल्लभ पंत सागर सोनभद्र ,उत्तर प्रदेश
- अमित बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ,पंतनगर उत्तराखंड
- पंडित गोविंद बल्लभ पंत इंटर कॉलेज काशीपुर उधम सिंह नगर.
- गोविंद बल्लभ पंत अभियांत्रिकी महाविद्यालय पौड़ी गढ़वाल.
दोस्तों यह था हमारा आज का लेख जिसमें हमने आपको पंडित गोविंद बल्लभ पंत के जीवन परिचय ( Govind Ballabh Pant Biography ) के बारे में जानकारी दी। आशा करते है कि आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। उत्तराखंड से संबंधित ऐसे ही जानकारी युक्त लेख पाने के लिए आप देवभूमि उत्तराखंड को जरूर फॉलो करें।
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