हेलो दोस्तों स्वागत है आपका देवभूमि उत्तराखंड के आज के नए लेख में आज हम बात करने वाले हैं उत्तराखंड की वीरांगना रानी कर्णावती के बारे में गढ़वाल की रानी भी कहा जाता है। आज के इस लेख में हम आपको रानी कर्णावती के जीवन से ( Story of Ranikarnavati ) संबंधित कुछ ऐसी महत्वपूर्ण बातें बताने वाले हैं जिन्हें जानकर आपको गर्व होगा कि उत्तराखंड में केवल एक धार्मिक और ऐतिहासिक क्षेत्र रहा है बल्कि इस भूमि ने कई महान वीरों एवं वीरांगनाओं को जन्म दिया है।
इस देवभूमि ने हमेशा ही वीर सबूत को जन्म दिया है चाहे बात की जाए वीर चंद्र सिंह गढ़वाली के बारे में या गढ़वाल की रानी कर्णावती के बारे में ( Story of Ranikarnavati ) या उत्तराखंड के अन्य प्रसिद्ध महिलाएं तीलू रौतेला के बारे में। उत्तराखंड में इतिहास में इन वीर महिलाओं की कहानी अक्सर सुनने को मिल जाती है उन्हें में से एक है रानी कर्णावती जिनके बारे में आज हम आपको जानकारी देने वाले हैं। दोस्तों आशा करते हैं कि आपको हमारा यह देख पसंद आएगा।
रानी कर्णावती की कहानी. Story of Ranikarnavati
दोस्तों जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं कि भारत देश पहले अंग्रेजों का गुलाम हुआ था। जिसमें उन्होंने पूरे भारत को अपना साम्राज्य के अधीन कर लिया था। उत्तराखंड राज्य इस साम्राज्य में शामिल था। अंग्रेजों के क्रूरता पूर्वक वार्ताव के कारण उत्तराखंड में स्थित कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी।
अंग्रेजों के इस क्रूरता पूर्वक बर्ताव के विरुद्ध लड़ने वाली गढ़वाल की रानी कर्णावती महीपत शाह की पत्नी थी। पानीपत शहर श्याम शाह के चाचा थे और पृथ्वी शाह महीपत के पुत्र थे। श्याम शाह की मृत्यु के बाद राजा महीपत शाह गढ़वाल की राजगद्दी पर बैठे । राजा महीपत एक पराक्रमी और निडर राजा थे जो दुश्मनों के विरुद्ध कड़ा जवाब देते थे।
कर्णवती महीपत शाह की साहसी और निडर पत्नी थी। महीपत शाह की मृत्यु के बाद रानी कर्णावती का पुत्र पृथ्वी शाह गद्दी पर बैठे मगर वह उसे समय महज 7 साल के थे। महज 7 साल की उम्र में उन्हें सत्ता के बारे में कोई भी जानकारी नहीं थी इसके कारण राज्य का संरक्षण रानी कर्णावती की देखरेख पर हुआ। रानी कर्णावती उन महिलाओं में से एक है जिन्होंने न केवल राज्य को चलाया बल्कि पृथ्वी शाह को एक महान राजा बनने के लिए सारे संस्कारों का ज्ञान भी दिया।
मुगलों और गढ़वाल की रानी कर्णावती के बीच संघर्ष। . Story of Ranikarnavati
मुगलों और गढ़वाल की रानी कर्णावती के बीच संघर्ष की कहानी उत्तराखंड के प्रमुख इतिहासकार शिवप्रसाद डबराल ने उन्हें गढ़वाल की रानी के नाम से भी संबोधित किया है। इन्हें नाक काटने वाली रानी भी कहा जाता है। जब दिल्ली में शाहजहां के शासनकाल के दौरान मुगलों को उत्तराखंड में नारी राज्य पर एक नारी के शासन का पता चला तो उन्होंने 1635 ईस्वी में नजावत खान के नेतृत्व में एक बड़ी सी के द्वारा गढ़वाल पर आक्रमण करने को भेजो।
मुगलों की तरफ से 1 लाख पैदल सैनिक और 30000 घुड़ सवार सैनिक थे। लेकिन किसी को भी यह अंदेशा नहीं था की रानी कर्णावती मां दुर्गा की साक्षात रूप है । युद्ध के दौरान गढ़वाल के सैनिकों ने मुगल सेवा के पांव उखड़ दिए और जो भी सैनिक बचे हुए थे उन पर गढ़वाल पर हमला करने के दुसाहस में रानी कर्णावती द्वारा उनकी नाक कटवा दी गई। इतिहास करो की माने तो बताया जाता है कि इस अपमान के बाद मुगल सेनापति निजावत खान आत्महत्या कर ली थी । इस संसार घटना का विवरण महारल उमरा में मिलता है।
बदला लेने के लिए 19 वर्ष तक किया इंतजार
आपको जानकर हैरानी होगी की रानी कर्णावती के हाथों बेइज्जत होने के बाद मुगलों को जो धक्का लगा उससे वह बहुत ज्यादा क्रोधी एवं अपमानित थे। वह हर हाल में अपना बदला लेना चाहते थे जिसका इंतजार उन्होंने 19 वर्ष तक किया। मुगलों ने 1655 में दोबारा से अपनी सेना भेजी और रानी कर्णावती के क्षेत्र में आक्रमण करने का फैसला किया। मुगलों ने इस बार अपनी सेवा की सहायता के लिए सिरमौर एवं कुमाऊं के शासको की भी सहायता मांगी। मुगलों के साथ सिरमौर के शासक मांधाता प्रकाश तथा कुमाऊं का शासक बाज बहादुर चंद्र की तीनों सेनन ने जब पुनः गढ़वाल पर आक्रमण किया तो ओरिएंटल सीरीज के अनुसार गढ़वाल की हार जाने के बाद श्रीनगर राजधानी रही।
पृथ्वी शाह एवं मुगलों के बीच कहानी
रानी कर्णावती के पुत्र पृथ्वी शाह जब बड़े हो गए थे तो उन्होंने गढ़वाल राज्य की गद्दी संभाली उसे वक्त मुगल बादशाह औरंगजेब का राज था। धारा सिखाओ एवं औरंगज़ेब से युद्ध के दौरान जब सुलेमान सिखाओ भाग तो उसने गढ़वाल नरेश पृथ्वी शाह के राज्य में शरण ली जिसे पृथ्वी शाह ने अपना धर्म समझकर संरक्षण दिया। औरंगजेब ने कई बार पृथ्वी शाह को युद्ध के लिए धमकाया लेकिन पृथ्वी शाह बिल्कुल भी उनकी बातों में नहीं आए।
दोस्तो यह था हमारा आज का लेख जिसमें हमने रानी कर्णावती के महान जीवन परिचय के बारे में ( Story of Ranikarnavati ) जानकारी दी। आशा करते हैं कि आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। आपकों यह लेख कैसा लगा हमें टिप्पणी के माध्यम से बताएं और उत्तराखंड से संबंधित ऐसे ही जानकारी युक्त लिख पाने के लिए देवभूमि उत्तराखंड को जरूर फॉलो करें।
यह भी पढ़े –
- मां धारी देवी मंदिर. Maa Dhari Devi Temple
- जिला पौड़ी गढ़वाल. Jila Pauri Garhwal
- कपिलेश्वर महादेव मंदिर पिथौरागढ़. Kapileshwar Mahadev Mandir
- उत्तराखंड की कोसी नदी. Kosi Nadi Uttarakhand
- उत्तराखंड राज्य परिचय. Uattarakhand Parichay