जिला चंपावत. Champawat District

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हेलो दोस्तों स्वागत है आपका देवभूमि उत्तराखंड के आज के नए लेख में। आज के इस लेख में हम आपको उत्तराखंड का जिला चंपावत के बारे में ( Champawat District) जानकारी देने वाले हैं। दोस्तों जैसा कि हम सभी लोग जानते हैं कि देवभूमि उत्तराखंड में कुल 13 जनपद है। यह 13 जनपद अपने किसी खास वजह के लिए पहचाने जाते हैं। आज के इस लिक में हम आपको जिला चंपावत के बारे में जानकारी देने वाली है आशा करते हैं कि आपको हमारा यह लेख पसंद आएगा। इसलिए इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ना।

जिला चंपावत. Champawat District

1766 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला हुआ जिला चंपावत ( Champawat District) उत्तराखंड का एक पर्वतीय जिला है जिसमें कुल पांच तहसील (चंपावत, पाटी, पूर्णागिरि ,लोहाघाट ,बड़कोट) है दावत जिले का मुख्यालय भी चंपावत शहर में ही है। यदि बात की जाए चंपावत जिले के (Champawat District Tahsil ) नाम के बारे में बताना चाहेंगे कि राजा अर्जुन देव की बेटी चंपावती के नाम पर इस जिले का नाम चंपावत रखा गया।

प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण चंपावत जिला खूबसूरत पहाड़ों के मध्य में स्थित एक ऐसा जिला है जहां पर आपको सांस्कृतिक एवं धार्मिक संस्कृति की एक अनोखी झलक देखने को मिलती है। अपनी सांस्कृतिक रीति-रिवाज को संजोए यहां के लोग एकता के एक सूत्र में बंधे हुए हैं। दरअसल चंपावत यहां की नदियां और गहरी खाइयो और इसके अलावा ऊंची पर्वत श्रृंखलाओं के लिए पहचाना जाता है। माना जाता है कि भगवान विष्णु का कुर्मा अवतार चंपावत में ही हुआ था।

पर्यटकों की दृष्टि से देखे तो चंपावत जिला यात्रा की दृष्टि से काफी अच्छा गंतव्य माना जाता है क्योंकि यहां पर ट्रैकिंग और एडवेंचर के बहुत सी गतिविधियां देखने को मिल जाती है। चंपावत जिला यहां के पर्यटक स्थलों और धार्मिक स्थलों से भरा हुआ है। यहां की धार्मिक स्थलों में आपको उत्तराखंड की संस्कृति और कलाओं की अनोखी झलक देखने को मिलती है।

चंपावत जिले का इतिहास. History of Champawat District

यदि बात की जाए चंपावत जिले का इतिहास के बारे में तो इतिहास के पन्नों पर नजर डालने से पता चलता है कि चंपावत कई सालों तक कुमाऊं की राजधानी रह चुकी है और इसलिए चंपावत को उत्तराखंड का ऐतिहासिक जिला भी कहा जाता है। चंपावत जिला तहसील बनने के बाद अंग्रेजों ने अपने शासनकाल में यहां पर कई तरह के आशियाने बनाए और चंपावत कुमाऊं के शासको की राजधानी भी रह चुकी है। बारे में अक्सर आज भी चंपावत के किले में देखने को मिलते हैं।

सन 1972 में जिले को पिथौरागढ़ जिले में सम्मिलित कर दिया गया उसके बाद सन 1997 में इस जिले को एक स्वतंत्र जिले के रूप में मान्यता दे दी गई थी।

एक स्वतंत्र जिला बनने के बाद चंपावत जिले में काफी परिवर्तन हुए समय के साथ-साथ यहां पर विभिन्न प्रकार के धार्मिक स्थलों का निर्माण किया गया और चंपावत जिले को पर्यटनों के लिए एक मशहूर जिले के रूप में पहचान मिली है।

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जिले से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण जानकारी, Other important information related to the district

दोस्तों अभी तक हम आपको चंपावत जिले का परिचय एवं चंपावत जिले का इतिहास के बारे में जानकारी दे चुके हैं लेकिन हम आपको कुछ ऐसी जानकारियां भी देने वाले हैं जो आपको चंपावत जिले के बारे में अच्छी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं नीचे को जानकारियां दे रखी है जिनके माध्यम से आप चंपावत जिले को और अच्छे से सकते हैं।

चंपावत की गुफाएं – पाताल रुद्रेश्वर गुफा।

चंपावत की सीमा रेखाएं – पूर्व में नेपाल, पश्चिम में अल्मोड़ा उत्तर में पिथौरागढ़ एवं दक्षिण में उधम सिंह नगर ।

चम्पावत की प्रमुख नदियां – गोरी गंगा, पनार नदी, लाधिय नदी, काली नदी ,लोहावती नदी ।

चंपावत जिले के पर्यटन स्थल – देवीधूरा मंदिर, पंचेश्वर मंदिर, लोहाघाट, मायावती आश्रम, विवेकानंद आश्रम, श्याम ताल, खेती खान का सूर्य मंदिर, माउंट एबर्ट आदि।

दोस्तों यह था हमारा आज का लेख जिसमें हमने आपको चंपावत जिले के ( Champawat District ) बारे में जानकारी दी। आशा करते हैं कि आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा यदि आपको चंपावत जिले के बारे में यह लेख पढ़ कर अच्छा लगा तो इसलिए को अपने दोस्तों और परिवार के साथ जरूर साझा करना। उत्तराखंड से संबंधित ऐसे ही जानकारी युक्त लेख पाने के लिए देवभूमि उत्तराखंड को जरूर फॉलो करें।

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